delhi election: आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में मतदान से पहले खुद ही मान लिया है कि उनकी पार्टी की सीटें कम हो रही हैं।
सोमवार, तीन फरवरी को प्रचार बंद होने से पहले केजरीवाल ने सोशल मीडिया के अपने अकाउंट से एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में 55 सीटें जीत रही हैं।
गौरतलब है कि पिछली बार उनकी पार्टी 62 सीटों पर और उससे पहले 67 सीटों पर जीती थी। पहले पांच सीटें कम हुईं और अब केजरीवाल कह रहे हैं कि सात और सीटें कम हो रही हैं।(delhi election)
सवाल है कि चुनाव से पहले कौन नेता यह कहता है कि उसकी सीटें कम हो रही हैं? हालांकि केजरीवाल के कहने के पीछे यह भरोसा दिखाने की कोशिश है कि चुनाव उनकी पार्टी जीत रही है।
दिल्ली में बहुमत का आंकड़ा 36 सीट का(delhi election)
दिल्ली में बहुमत का आंकड़ा 36 सीट का है। सो, इस लिहाज से 55 सीटें भी बहुत हैं। उन्होंने इतनी सीटें जीतने का दावा करके एक मनोवैज्ञानिक दांव चला है, जिसमें यह स्वीकारोक्ति है कि इस बार भाजपा मजबूती से लड़ रही है और कांग्रेस के वोट काटने से आप को नुकसान हो रहा है।
ऐसा कह कर उन्होंने कांग्रेस की ओर से जा रहे वोट को भी एक मैसेज दिया है कि अगर ज्यादा वोट कटा तो भाजपा जीत सकती है। यह आम धारणा है कि कांग्रेस जितने वोट काटेगी भाजपा की जीत की संभावना उतनी बेहतर होगी।
सो, केजरीवाल ने अपने समर्थकों को भरोसा दिलाया कि वे मेहनत करें पार्टी की सीटें कुछ कम हो रही हैं लेकिन फिर भी पार्टी जीत रही है और दूसरे, कांग्रेस की ओर जा रहे वोट को भी रोकने की कोशिश की।
लेकिन वास्तविक स्थिति भी यह है कि आम आदमी पार्टी का वोट और सीटें घटने का ट्रेंड है। यह 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा।(delhi election)
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2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 67 विधानसभा सीटों पर अपने वोट में इजाफा किया। इसी तरह 2020 के चुनाव में बड़ी संख्या में ऐसी सीटें थीं, जहां भाजपा हारी लेकिन उसका वोट बढ़ा था।
दूसरी ओर 20 से ज्यादा सीटें ऐसी तीं, जहां आम आदमी पार्टी जीत तो गई थी लेकिन उसकी जीत का अंतर कम हो गया था। इसका मतलब है कि पांच साल के शासन के बाद उसके समर्थकों में थकान बढ़ी थी, जो 10 साल के बाद और बढ़ गई होगी।
यह स्थिति तब थी, जब कांग्रेस ने पूरी तरह से सरेंडर कर दिया था। कांग्रेस को पिछली बार सिर्फ सवा चार फीसदी वोट मिले थे, जबकि स बार वह बहुत ताकत से लड़ रही है।(delhi election)
इसलिए भाजपा की सीटें कम होने की बात सिर्फ मनोवैज्ञानिक दांव नहीं है, बल्कि जमीनी हकीकत भी है। केजरीवाल भी इस बात को समझ रहे हैं। उनको लग रहा है कि वोट प्रतिशत में हो सकता है कि वे थोड़ा आगे रहें लेकिन सीटें कम हो सकती हैं।