Priyanka Gandhi: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के जबसे केरल के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा हुई तब से सांसद बन कर आने और संसद में पहला भाषण देने तक शायद ही कहीं वे स्वतंत्र राजनीति करती दिखी हैं।
राहुल गांधी उनको वायनाड से चुनाव लड़ा रहे थे। वे चार बार प्रचार के लिए गए। प्रियंका जीतीं तो उनके पहले दौरे में भी राहुल वायनाड गए।
प्रियंका, जब पहली बार संसद आईं तो राहुल साथ थे और सीढ़ियों के ऊपर उनकी फोटो खींच रहे थे। प्रियंका जब संसद के परिसर में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं तो राहुल साथ थे और उनके कंधे से लटका हुआ बैग हाथ में लेकर कुछ देख रहे थे और बोल रहे थे। सदन के अंदर प्रियंका अक्सर अगली पंक्ति में राहुल के पास जाकर बैठ जाती हैं।
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इसी तरह संसद के शीतकालीन सत्र में यह भी देखने को मिला कि अगर राहुल सदन में नहीं है तो प्रदर्शन के समय प्रियंका के साथ केसी वेणुगोपाल मौजूद रहे।
अभी प्रियंका ने वायनाड में प्राकृतिक आपदा के प्रभावितों के लिए केंद्र से फंड मांगने के लिए प्रदर्शन किया तो वेणुगोपाल उनके साथ थे।
कहा जा रहा है कि वेणुगोपाल ने जिस तरह से राहुल पर अपना नियंत्रण बनाया है उसी तरह वे प्रियंका पर भी बनाना चाहते हैं।
तभी सवाल है कि क्या प्रियंका सदन में या सदन से बाहर स्वतंत्र राजनीति कर पाएंगी? यह भी सवाल है कि कांग्रेस पार्टी उनको शोपीस बना कर रखना चाहती है कि वास्तविक राजनीति में उतार कर उनका फायदा लेना चाहती हैं?
अगले कुछ दिन में खासकर संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद पता चलेगा कि प्रियंका स्वतंत्र होकर कितनी राजनीति करती हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम में उनको क्या जिम्मेदारी मिलती है।