Monday

14-04-2025 Vol 19

महंगाई दर नहीं घटी तो फॉर्मूला बदल देंगे

सबसे पहले तो यह समझने की जरुरत है कि भारत में महंगाई कभी कम नहीं होती है। जब महंगाई कम होने की हेडलाइन बनती है तो उसका मतलब होता है कि महंगाई बढ़ने की दर कम हुई है यानी महंगाई कम रफ्तार से बढ़ेगी। इसमें भी मुश्किल यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद महंगाई दर काबू में नहीं आ रही है। केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई चार फीसदी पर स्थिर करने का लक्ष्य तय किया है।inflation

लेकिन उसमें मुश्किल आ रही है। तभी सरकार अब महंगाई के आकलन का फॉर्मूला बदलने पर विचार कर रही है। याद करें कैसे भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन का आधार वर्ष बदला था। पहले 2004-2005 वित्त वर्ष के आधार पर जीडीपी की दर का आकलन होता था, जिसे बाद में सरकार ने बदल कर 2010-11 कर दिया। इससे जीडीपी की ऊंची दर दिखाने में सुविधा हो गई।

उसी तरह खबर है कि सरकार खुदरा महंगाई के आकलन का फॉर्मूला बदलने जा रही है। अभी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के आकलन में सबसे ज्यादा वेटेज खाने-पीने की चीजों की कीमतों को दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खाने-पीने की चीजों की खरीद पर हर घर का सबसे ज्यादा बजट खर्च होता है। जिस परिवार की आमदनी जितनी कम होती है, उसके बजट का उतना ज्यादा प्रतिशत हिस्सा खाने पीने की चीजों पर खर्च होता है। inflation

तभी इसे महंगाई मापने में सबसे ज्यादा वेटेज दिया जाता है। इसका नतीजा यह है कि फल-सब्जियों से लेकर अनाज के सीजन के हिसाब से महंगाई दर में उतार-चढ़ाव होता रहता है। अब बताया जा रहा है कि सरकार खाने-पीने की चीजों की वेटेज कम करने जा रही है ताकि महंगाई दर कम हो जाए और स्थिर भी हो जाए। इसका मतलब होगा कि कभी प्याज या टमाटर के दाम आसमान छुएंगे तब भी महंगाई दर पर असर नहीं होगा। अभी खाने पीने की चीजें की वेटेज 50 फीसदी है, जिसे कम करके 40 फीसदी तक लाया जा सकता है।  inflation

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *