election Commission : देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति के समय कई बातों को लेकर विवाद हुआ। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के हवाले चयन समिति के सदस्य राहुल गांधी ने विरोध दर्ज कराया तो विपक्षी पार्टियों के नेताओं और उनके इकोसिस्टम ने मीडिया व सोशल मीडिया में ज्ञानेश कुमार को प्रोफाइल शेयर किया।
बताया गया कि वे अनुच्छेद 370 हटाने में शामिल रहे हैं तो अयोध्या का मामला भी देखते रहे हैं। असल ये दोनों जिम्मेदारी अधिकारी के तौर पर उन्होंने निभाई थी। (election Commission)
जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तब 2019 में वे गृह मंत्रालय में कश्मीर मामलों के संयुक्त सचिव थे और 2020 में अतिरिक्त सचिव बने तो अयोध्या से जुड़े सारे मामले उनको सौंपे गए थे। इस आधार पर उनको केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी बता कर पहले दिन से संदेह पैदा करने का प्रयास किया गया।
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बिहार में नवंबर में चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के ऊपर अभी चुनाव कराने की जिम्मेदारी नहीं। उनको पहला चुनाव बिहार में नवंबर में कराना है। लेकिन उससे पहले उन्होंने एक अच्छी पहल की है।
यह पहल चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों खास कर विपक्षी पार्टियों के टकराव को कम कर सकती है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग का आचरण विपक्षी पार्टियों से टकराने और सरकार का समर्थन करने का दिख रहा था। (election Commission)
लेकिन नए मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस धारणा को बदलने की पहल की है। उन्होंने प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक के तमाम चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों से मिलें और उनकी शिकायतों को दूर करें। इससे पहले कभी ऐसा नहीं होता था।
आमतौर पर पार्टियों के नेता चुनाव अधिकारियों के पास चुनाव के समय ही पहुंचते थे। उससे पहले दोनों के बीच संपर्क नहीं रहता था। अगर पार्टियों के अधिकृत प्रतिनिधियों के साथ चुनाव अधिकारियों की बैठक होती है तो कई कंफ्यूजन पैदा होने से पहले ही खत्म हो जाएंगे। (election Commission)
चुनाव आयोग में सब कुछ ठीक (election Commission)
मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारी यानी सीईओ, हर जिले से चुनाव अधिकारी यानी डीईओ और मतदाता सूची का काम देखने वाले इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी ईआरओ को निर्देश दिया है कि वे 31 मार्च तक सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े तमाम संबंधित पक्षों के साथ मुलाकात करें और उनकी समस्याओं को दूर करें।
सीईओ, डीईओ और ईआरओ के दो दिन के सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह निर्देश दिया। उन्होंने इस मामले में 31 मार्च के बाद एक्शन टेकेन रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है और साथ ही यह भी निर्देश दिया कि चुनाव अधिकारी राजनीतिक दलों के लिए सुलभ रहें, उत्तरदायी बनें और कामकाज में पारदर्शिता लाएं।
अगर ऐसा होता है तो हर मामले दिल्ली निर्वाचन सदन नहीं पहुंचेगा। जिला स्तर पर ही पार्टियों के प्रतिनिधि उसका समाधान करा सकते हैं। (election Commission)
मतदाता सूची या मतदान केंद्र आदि से जुड़ी समस्याओं को जिला स्तर या प्रदेश स्तर पर ही निपटाया जा सकेगा। हालांकि इस एक पहल के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि चुनाव आयोग में सब कुछ ठीक हो जाएगा या उसकी साख बहाल हो जाएगी या विपक्ष उस पर आरोप नहीं लगाएगा। परंतु एक यह अच्छी और भरोसा बनाने वाली पहल है।