भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में अपनी मजबूत स्थिति और सत्ता की बागडोर हाथ में होने का संदेश बनवाना शुरू कर दिया है। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की हर जगह मौजूदगी और फैसलों पर उनकी छाप से यह मैसेज बन रहा था लेकिन कैबिनेट विस्तार से भाजपा ने अपने को ज्यादा मजबूत बनाया है। राज्य में क्षमता के बराबर मंत्री बना दिए गए हैं। एक भी मंत्री पद खाली नहीं रखा गया और सभी सात मंत्री भाजपा से बने। अब नीतीश कुमार की सरकार में दो उप मुख्यमंत्रियों सहित भाजपा के 21 मंत्री हैं और जदयू से नीतीश कुमार सहित 13 मंत्री हैं। बुधवार, 26 फरवरी को हुआ विस्तार पूरी तरह से भाजपा का शो बन गया। नीतीश कुमार अपनी पार्टी के भी कुछ मंत्रियों को बदलना चाहते थे लेकिन पता नहीं क्यों उन्होंने इसे टाल दिया।
कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद बहुमत परीक्षण के समय मदद करने वाले आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को वे मंत्री बनाना चाहते थे। लेकिन नहीं बना पाए। सभी सातों मंत्री पद भाजपा के खाते में गए और राजपूत कोटे से राजू सिंह मंत्री बने, जो मुकेश सहनी की पार्टी से पाला बदल कर भाजपा में शामिल हुए थे। बहरहाल, भाजपा ने समीकरण के हिसाब से मंत्री बनाए। किसी यादव को मौका नहीं दिया। कोईरी, कुर्मी, तेली, केवट, मारवाड़ी, राजपूत और भूमिहार समाज से मंत्री बनाए। इसमें कोईरी, कुर्मी, केवट यानी अति पिछड़ा और भूमिहार मोटे तौर पर नीतीश कुमार का कोर वोट आधार रहा है। भाजपा ने इस वोट आधार को साधने का प्रयास किया है। भाजपा की इस राजनीति पर जदयू की भी बारीक नजर है। लेकिन मुश्किल यह है कि जदयू में इन दिनों फैसला करने का सिस्टम बिगड़ा हुआ है। इसी का फायदा उठा कर भाजपा अपनी राजनीति कर रही है।