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24-04-2025 Vol 19

भाजपा के सहयोगियों का संकट

एक समय था, जब माना जाता था कि एनडीए में भाजपा की नहीं, बल्कि सहयोगी पार्टियों की चलती है। केंद्र से लेकर कई राज्यों की राजनीति में यह दिखा भी। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सहयोगी पार्टियों के पास महत्वपूर्ण मंत्रालय होते थे और फैसले में उनकी भूमिका होती थी। बिहार में भाजपा ने नीतीश कुमार हों या झारखंड में सुदेश महतो, महाराष्ट्र में बाल ठाकरे हों या हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला, पंजाब में प्रकाश सिंह बादल और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू सबने अपने हिसाब से राजनीति की और भाजपा पिछलग्गू रही। लेकिन अब समय बदल गया है। अब भाजपा की वजह से सहयोगी पार्टियों की दुर्दशा है।

केंद्र सरकार में भाजपा की किसी सहयोगी पार्टी के पास कोई महत्व का मंत्रालय नहीं है। भाजपा ने एक नियम बना दिया कि चाहे जिस पार्टी के पास जितने भी सांसद हों उसका एक ही मंत्री बनेगा। तभी नीतीश कुमार ने अपना मंत्री नहीं बनवाया था। 18 सांसद वाले शिव सेना का भी एक ही मंत्री था। अब शिव सेना टूट गई है और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं। उनके साथ 13 सांसद हैं पर तमाम कोशिश के बाद वे एक भी मंत्री नहीं बनवा पा रहे हैं। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान भी मंत्री बनने के लिए तरस रहे हैं। उनके पिता वाला बंगला तो पहले ही खाली करा लिया गया था।

महाराष्ट्र में भाजपा ने एनसीपी के नेता अजित पवार को साथ मिला कर एकनाथ शिंदे को संकट में डाला है। शिंदे गुट से पहले जो मंत्री बन गए सो बन गए, अब किसी को नहीं बनाया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा शिव सेना कोटे की सारी सीटें एकनाथ शिंदे गुट को नहीं देगी, बल्कि उनकी सीटें शिंदे और अजित पवार के बीच बंटेंगी। शिंदे के असर वाले ठाणे और कल्याण सीट पर भी भाजपा की नजर है। भाजपा की सहयोगी रही पार्टियों जैसे अकाली दल और जनता दल यू की हालत देख कर शिंदे ज्यादा चिंता में हैं। बताया जा रहा है कि वे और उनकी पार्टी के सांसद अपना भविष्य अच्छा नही मान रहे हैं।

बिहार में जनता दल यू को राजद और कांग्रेस का साथ मिल गया है कि लेकिन पंजाब में अकाली दल को किसी का साथ नहीं मिला है और उसके नेता तय नहीं कर पा रहे हैं कि कम सीटों पर समझौता करके वापस भाजपा के साथ लौटें या अकेले लड़ें। यही हाल हरियाणा की जननायक जनता पार्टी का है। उसके नेता दुष्यंत चौटाला को तो भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया है लेकिन उनकी पारंपरिक लोकसभा सीट से लेकर उनकी पार्टी की जीती कई विधानसभा सीटों पर भाजपा ने दावा किया हुआ है और उसके प्रभारी बिप्लब देब बता चुके हैं कि वहां भाजपा लड़ेगी। तभी दबाव बनाने के लिए जननायक जनता पार्टी ने राजस्थान में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कई जाट बहुल सीटों पर पार्टी के लिए उम्मीदवार देखे जा रहे हैं। वहां भाजपा ने अपने सहयोगी रहे हनुमान बेनिवाल को छोड़ दिया है। उधर आंध्र प्रदेश में भाजपा के सहयोगी रहे और संभावित सहयोगी चंद्रबाबू नायडू भी जेल में बंद हैं।

NI Political Desk

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