Monday

10-03-2025 Vol 19

भाजपा के साथ जाने में दो बाधाएं हैं

नीतीश कुमार की पार्टी सैद्धांतिक रूप से तय कर चुकी है कि उसे भाजपा के साथ जाना है। यह मजबूरी का फैसला है क्योंकि लालू प्रसाद ने नीतीश के ऊपर इस बात के लिए दबाव बनाया है कि वे 14 जनवरी के बाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएं। नीतीश इसके लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन दूसरी ओर भी इसी तरह की बाधाएं हैं। भाजपा भी उनको मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा चाहती है कि नीतीश मुख्यमंत्री पद छोड़ें और भाजपा का सीएम बनवाएं। यह पहली बाधा है। दूसरी बाधा यह बताई जा रही है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव हो। भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है। तभी इन दो मसलों पर दोनों तरफ से शह-मात का खेल चल रहा है।

असल में दोनों एक दूसरे से धोखा खाए हुए हैं। भाजपा के साथ लड़ कर चुनाव जीतने के बाद नीतीश राजद के साथ चले गए थे तो दूसरी ओर साथ लड़ते हुए भी भाजपा ने चिराग पासवान को अलग से लड़ कर नीतीश को नुकसान पहुंचाया था। तभी भाजपा गारंटी चाहती है कि नीतीश फिर साथ नहीं छोड़ेंगे तो दूसरी ओर नीतीश गारंटी चाहते हैं कि भाजपा फिर से चिराग पासवान टाइप की साजिश करके उनको नहीं हरवाएगी। इसलिए वे चाहते हैं कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव हो जाए और भाजपा चाहती है कि नीतीश पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ दें तो भाजपा उनके साथ उनकी शर्तों पर बात करे। सो, मुख्यमंत्री पद और लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव ये दो बाधाएं हैं, जिनकी वजह से जदयू के भाजपा के साथ जाने का फैसला अटका हुआ है। बाकी चीजें तय हैं। पहली बार भ्रष्टाचार के मसले पर राजद छोड़ चुके नीतीश कुमार के पास इस बार भी वही मुद्दा होगा क्योंकि तेजस्वी यादव के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई किसी भी समय हो सकती है।

NI Political Desk

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