नीतीश कुमार की पार्टी के कर्ता धर्ता लोग भाजपा के दांव को समझ गए हैं। परंतु मुश्किल यह है कि उसमें से ज्यादातर लोग भाजपा के नजदीकी हैं। वे या तो किसी लालच से या किसी भय से भाजपा के हिसाब से काम कर रहे हैं। तभी नीतीश कुमार के लिए कोई जवाबी दांव चलना मुश्किल हो रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा की तैयारियों की काट के तौर पर नीतीश के बेटे निशांत कुमार को आगे किया गया है। उनकी मीडिया में सक्रियता बढ़ाई गई है। वे सामने आकर अपने पिता के काम बता रहे हैं और बिहार के लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे नीतीश को वोट करें। कहा जा रहा है कि वे नालंदा की हरनौत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन यह तो छह महीने बाद की रणनीति है। उससे पहले अगले छह महीने में भाजपा से कैसे डील करेगी नीतीश की पार्टी?
जानकार सूत्रों का कहना है कि जनता दल यू में नया दांव फिर से ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का हो सकता है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर जनता दल यू की ओर से भाजपा को रोकने की कोशिश होगी। यह भी कहा जा रहा है कि निशांत को सक्रिय करने का फैसला भी उनके कहने पर ही हुआ है। मुख्यमंत्री आवास के जानकार सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि तीन लोग निशांत को राजनीतिक प्रशिक्षण देने में लगे हैं, जिनमें एक ललन सिंह भी हैं। हालांकि ललन सिंह पिछले कुछ समय से भाजपा के भी बहुत करीब हुए हैं और दिल्ली में बजट के बाद बिहार के एनडीए सांसदों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने वालों में वे सबसे आगे थे। फिर भी उनको पता है कि उनकी पूछ इसलिए है क्योंकि वे जनता दल यू के नेता हैं। अगर नीतीश की राजनीति खत्म होती है और भाजपा के हाथ में बिहार की राजनीति की कमान आ जाती है तो फिर जदयू नेताओं की पूछ घटेगी। बहरहाल, अगले एक हफ्ते में बिहार को लेकर कुछ बड़े फैसले होंगे।