कांग्रेस और भाजपा दोनों ने आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की इस बात के लिए आलोचना की थी कि उन्होंने पंजाब के सभी पार्टी विधायकों की बैठक दिल्ली में बुलाई थी। (punjab congress)
दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद केजरीवाल ने पंजाब के विधायकों की बैठक कपूरथला भवन में बुलाई थी, जिसके बाद यह चर्चा हुई थी कि वे पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और पार्टी पर अपनी पकड़ दिखाने के लिए वे दिल्ली में बैठक कर रहे हैं।
लेकिन अब कांग्रेस के प्रभारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस के विधायकों और नेताओं की बैठक दिल्ली में की। उनके बुलावे पर पार्टी के अनेक नेता पंजाब से दिल्ली आए। अब आम आदमी पार्टी ने इसका मुद्दा बनाया है।
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पंजाब की बैठक दिल्ली में क्यों (punjab congress)
अरविंद केजरीवाल ने जब पंजाब के नेताओं की बैठक दिल्ली में बुलाई थी तब उसका रणनीतिक मतलब था लेकिन सवाल है कि भूपेश बघेल क्यों पंजाब की बैठक दिल्ली में करेंगे?(punjab congress)
कांग्रेस के कई नेता याद दिला रहे हैं कि इसी तरह दिल्ली के नेता देवेंद्र यादव को उत्तराखंड का प्रभारी बनाया गया था तो वे उत्तराखंड की बैठक दिल्ली में करते थे।
हरीश रावत से लेकर तमाम वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली आकर बैठक करनी होती थी। इसका नतीजा 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दिखा, जब सारे अनुकूल हालात के बावजूद कांग्रेस नहीं जीत सकी। (punjab congress)
तभी कांग्रेस के नेता ही कह रहे हैं कि प्रभारियों को पार्टी संगठन और प्रदेश की राजनीति पर फैसला करना होता है तो उनको प्रदेश में बैठना चाहिए। प्रदेश के नेताओं को दिल्ली बुला कर मीटिंग करने से कुछ भी हासिल नहीं होता है उलटे प्रदेश के नेताओं की हैसियत कम होती है।