असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को ऐसा लग रहा है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कोई दूसरी राजनीति नहीं आती है। यह हैरानी की बात है क्योंकि उनका राजनीतिक प्रशिक्षण उल्फा से शुरू हुआ था और कांग्रेस में परवान चढ़ा था। भाजपा में तो वे अपना अनुभव लेकर गए थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उन अनुभवों को उन्होंने सात ताले में बंद कर दिया है। अब वे सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं। चार महीने पहले झारखंड में इसी राजनीति में बुरी तरह से पिटने के बावजूद वे अपने राज्य असम में इसी राजनीति के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि असम में अगले साल मई में चुनाव है। उससे पहले उन्होंने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई को उनकी ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ के बहाने निशाना बनाया है।
करीब नौ साल तक सरकार में रहने के बाद अब सरमा को यह मुद्दा मिला है। इससे पहले करीब 11 साल की केंद्र सरकार और नौ साल की राज्य सरकार ने यह मुद्दा नहीं उठाया। अब उन्होंने कहना शुरू किया है कि गौरव गोगोई की पत्नी का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शादी से पहले बतौर ब्रिटिश नागरिक उन्होंने पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन से जुड़े कुछ काम किए हैं। इस दौरान वे जिस पाकिस्तान व्यक्ति के साथ काम करती थीं उसका नाम अली तौकिर शेख है। असम पुलिस ने उसके खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
ऐसा लग रहा है कि हिमंत बिस्वा सरमा को अगले चुनाव में गौरव गोगोई से बड़ी चुनौती दिख रही है। इसलिए वे घबराहट में इस तरह के कदम उठा रहे हैं। ध्यान रहे राज्य के 15 साल मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई पहले कोलियाबोर सीट से सांसद थे। यह मुस्लिम बहुल सीट थी। लेकिन बाद में परिसीमन के जरिए सीट की संरचना बदल दी गई है। तभी इस बार गौरव गोगोई हिंदू बहुल जोरहाट सीट से चुनाव लड़े। इस सीट पर सिर्फ एक बार 1957 में मुस्लिम सांसद रहा है। इस सीट पर गौरव गोगोई 54 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर जीते। इसी नतीजे ने हिमंत बिस्वा सरमा की चिंता बढ़ाई है।