Wednesday

12-03-2025 Vol 19

चुनाव से जुड़ा एक और विरोधाभास

भारत में चुनावों से जुड़े कई विरोधाभासों की खूब चर्चा होती है। जैसे अक्सर कहा जाता है कि जेल में बंद व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है लेकिन जेल में बंद व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता है। इसी तरह एक विरोधाभास यह है कि एक व्यक्ति दो या तीन जगह से चुनाव लड़ सकता है लेकिन एक व्यक्ति दो या तीन जगह वोट नहीं डाल सकता है। यह भी विरोधाभास है कि सजा पाया हुआ व्यक्ति सजा की अवधि खत्म होने के छह साल बाद फिर चुनाव लड़ सकता है लेकिन सजा पाया हुआ व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं कर सकता है। ऐसा ही एक नया विरोधाभास अब देखने को मिल रहा है।

वह विरोधाभास यह है कि जेल में बंद व्यक्ति अगर विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ता है तो उसे चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत मिल सकती है या कस्टडी पैरोल मिल सकती है। लेकिन वही व्यक्ति अगर चुनाव जीत जाता है तो उसे विधानसभा या संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए जमानत या कस्टडी पैरोल नहीं मिलेगी। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार इंजीनियर राशिद को पिछले साल हुए जम्मू कश्मीर चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत मिली थी। उससे पहले वे जेल में रह कर ही सांसद का चुनाव जीते थे। लेकिन अब वे संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल मांग रहे हैं तो वह भी नहीं मिल रही है। सोचें, जो व्यक्ति चुनाव लड़ कर जन प्रतिनिधित्व बन सकता है वह संसद या विधानसभा में अपने लोगों की बात उठाने के लिए वहां जाने की मंजूरी नहीं मिलेगी!

NI Political Desk

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