भारत में पिछले कुछ समय में रिसॉर्ट राजनीति खूब फली फूली है। कहीं राज्यसभा चुनाव के लिए विधायकों को छिपाया जा रहा था तो कहीं सरकार गिरने से बचाने के लिए विधायकों को रिसॉर्ट में छिपाया जा रहा था। उत्तर बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मेयर के चुनाव से पहले पार्षदों आदि को नेपाल ले जाने की घटनाएं भी होती रही हैं। लेकिन अब रिसॉर्ट राजनीति एक नए स्तर पर पहुंच गई है। आंध्र प्रदेश इस मामले में भी देश को रास्ता दिखा रहा है। ध्यान रहे दक्षिण भारत के राज्यों में राजनीति पर जितना खर्च होता है उसका 10 फीसदी भी उत्तर भारत में नहीं होता है।
तभी रिसॉर्ट की राजनीति हुई तो आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी टीडीपी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने एक शहर के मेयर के चुनाव से पहले पार्षदों को मॉरीशस और श्रीलंका पहुंचा दिया। गौरतलब है कि विशाखापत्तनम में मेयर का चुनाव होना है। वहां सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के पार्षदों की संख्या लगभग बराबर है। टीडीपी, जन सेना पार्टी और भाजपा को मिला कर 47 पार्षद हैं तो जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के पास 46 पार्षद हैं। कहा जा रहा है कि जगन की पार्टी के पार्षदों को तोड़ने की कोशिश हुई। दूसरी ओर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को भी लग रहा है कि उनके कुछ पार्षद इधऱ उधर हो सकते हैं। तभी दोनों ने अपने पार्षद वहां से हटाए। एक पार्टी ने अपने पार्षदों को मॉरीशस भेजा है और दूसरे ने श्रीलंका। दोनों पार्टियों के बड़े और पुराने नेता पार्षदों की निगरानी के लिए भेजे गए हैं। ध्यान रहे कई बार उत्तर और पश्चिम भारत के विधायकों को कर्नाटक के रिसॉर्ट में ले जाया जा चुका है अब उधर के पार्षद भी स्थानीय रिसॉर्ट में नहीं रखे जा रहे हैं।