आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने एक खतरनाक दांव चला है। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले राज्य के सबसे बड़े नेता और मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार करा दिया। नायडू को भ्रष्टाचार के मामले में पिछले शनिवार को गिरफ्तार किया गया और उस दिन से राज्य में राजनीतिक ड्रामा चल रहा है। इस पूरे घटनाक्रम का बड़ा राजनीतिक असर हुआ है। बताया जा रहा है कि जगन मोहन ने भाजपा और कांग्रेस को प्रदेश की राजनीति से पूरी तरह बाहर करने के लिए यह दांव चला है। उन्होंने इस मकसद से भी यह दांव चला है कि टीडीपी और चंद्रबाबू नायडू पर ऐसा आरोप लगा दो कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई में उतर रहे नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा उनसे तालमेल न करे। इससे भाजपा के उभरने की संभावना भी खत्म होगी। कांग्रेस पहले से बहुत कमजोर है। अगर मुकाबला वाईएसआर कांग्रेस बनाम टीडीपी होगा तो दोनों पार्टियां हाशिए में ही रह जाएंगी।
लेकिन यह खतरनाक दांव है, जो उलटा भी पड़ सकता है। जगन मोहन मान रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा को हाशिए में रखने के लिए जरूरी है कि उनकी और नायडू की पार्टी में सीधा मुकाबला हो। वे मान रहे हैं कि नायडू की पार्टी इतना कमजोर है कि उनका मुकाबला नहीं कर पाएगी। लेकिन चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद माहौल बदलने लगा है। लोगों का समर्थन उनके साथ जुड़ने लगा है। सबसे बड़ा घटनाक्रम यह हुआ है कि पवन कल्याण ने अपनी जन सेना पार्टी और तेलुगू देशम पार्टी के बीच तालमेल का ऐलान कर दिया है। पवन कल्याण और चंद्रबाबू नायडू तेलुगू राजनीति के दो सबसे बड़े समुदायों- कापू और कम्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर ये दोनों समुदाय एक साथ आते हैं तो जगन मोहन के लिए चुनाव मुश्किल हो जाएगा। यह सही है कि उनको एडवांटेज है लेकिन चंद्रबाबू को गिरफ्तार करा करके उनको टीडीपी के लिए भी मौका बनवा दिया है।