समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी गठबंधन की राजनीति में दो कदम आगे और एक कदम पीछे की राजनीति कर रहे हैं। उनकी पार्टी गठबंधन के कई एजेंडे से असहमति जताती है। संसद में कांग्रेस से दूरी भी बना लेते हैं। राज्यों में चुनाव लड़ने पहुंच जाते हैं और दूसरी ओर गठबंधन में बने रहने का दावा भी करते हैं। अभी तो उन्होंने ओडिशा में कांग्रेस के ही नेता को तोड़ कर अपनी पार्टी का आधार बनाने का दांव चल दिया है, जिससे कांग्रेस बहुत नाराज है। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना से मुलाकात की और उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी को राज्य में मजबूत करने की बात कही।
इस मसले पर विवाद बढ़ा तो अब अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन बना रहेगा। उन्होंने 2027 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ने का ऐलान किया है। इससे पहले दोनों पार्टियों ने 2017 का चुनाव एक साथ लड़ा था और बुरी तरह से हारे थे। उस समय कांग्रेस को एक सौ सीटें मिली थीं। क्या अखिलेश यादव इस बार भी तालमेल करते हैं तो कांग्रेस को एक सौ सीट दे देंगे? कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रभारी बना कर भेजा है और भूमिहार अध्यक्ष रखा है। इससे माना जा रहा है कि कांग्रेस भाजपा के सवर्ण वोट में सेंथ लगाने का प्रयास कर रही है। यह राजनीति सपा के अनुकूल है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी पिछड़ा और दलित की राजनीति कर रहे हैं। अगर कांग्रेस आने वाले दिनों में इसी लाइन पर लौटती है तब दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जैसे बिहार में बढ़ा है।