बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अब गंभीर हैं। वे 2027 का विधानसभा चुनाव ठीक तरीके से लड़ने की तैयारी कर रही हैं। पिछला लोकसभा और विधानसभा दोनों का चुनाव उन्होंने बहुत खराब तरीके से लड़ा। एक तरह से उन्होंने चुनाव से पहले ही हार मान ली थी और उनके लड़ने का तरीका ऐसा था, जिससे मतदाताओं में यह मैसेज गया कि वे भाजपा की मदद कर रही हैं। यही कारण था कि उनके कोर वोट में भी बिखराव हुआ। उनका वोट प्रतिशत दोनों चुनावों में बुरी तरह से घटा और उसी अनुपात में भाजपा और सपा दोनों को फायदा हुआ। मायावती की इसी राजनीति से कांग्रेस का भी हौसला बढ़ा और उसने बिखर रहे दलित वोट का कुछ हिस्सा हासिल करने का प्रयास किया। परंतु अब रसातल में पहुंचने के बाद मायावती गंभीर हो गई हैं। वे मजबूत तीसरी ताकत के तौर पर 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।
पार्टी और परिवार में चल रहे जिस आंतरिक घमासान के आधार पर बसपा को कमजोर बताया जा रहा है वह असल में पार्टी को मजबूत करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। मायावती ने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि वे आकाश से नाराज हैं और उनको कोई सजा देना चाह रही हैं। उनके फैसले से फर्क सिर्फ इतना आया है कि आकाश अब घोषित नहीं, बल्कि अघोषित उत्तराधिकारी हैं। कुछ समय तक वे लो प्रोफाइल और हाशिए में रहेंगे लेकिन उसके बाद परदे के पीछे से पार्टी संगठन का काम करेंगे और परदे के सामने उनकी बुआ यानी मायावती और पिता आनंद कुमार रहेंगे। आकाश के भाई ईशान आनंद भी परदे के पीछे से काम करेंगे। मायावती ने उनकी भी शादी तय कर दी है और जैसा कि उन्होंने रविवार, दो मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया, शादी गैर राजनीतिक परिवार में हो रही है। असल में मायावती अपने परिवार और अपनी पार्टी को बाहरी असर से बचाना चाह रही हैं।
पिछली बार जब उन्होंने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी से हटाया था उसके पीछे भी आकाश को सुरक्षित रखने की भावना ही थी। उनको पता था कि लोकसभा चुनाव में आकाश का ज्यादा बोलना और खुला भाजपा विरोध उनके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। ध्यान रहे मायावती के सामने कोई खतरा नहीं है। वे दलित राजनीति की ऐसी आईकॉन बन चुकी हैं कि कोई उनको हाथ लगाने के बारे में नहीं सोच सकता है। लेकिन आनंद कुमार, उनकी पत्नी विचित्र लता और आकाश आनंद की स्थिति ऐसी नहीं है। दूसरी बार आकाश को इसलिए हटाया गया क्योंकि मायावती को अंदेशा है कि आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने उनको प्रभावित किया है। असल में अशोक सिद्धार्थ को लेकर यह खबर है कि वे आकाश को स्वतंत्र राजनीति करने के लिए उकसा रहे थे। मायावती के बनाए पुराने नेताओं की जगह नए नेताओं को आगे करके टकराव के रास्ते पर ले जाना चाहते थे। मायावती अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं। तभी उन्होंने गुटबाजी बढ़ाने के आरोप में अशोक सिद्धार्थ व उनके करीबी नेताओं को पार्टी से निकाला। अब वे अपने हिसाब से पार्टी संगठन को नया रूप देंगी। उनकी कोशिश पार्टी को अगले चुनाव तक अपने पैरों पर खड़ा करने और मजबूत ताकत बनाने की है। जब उनको यकीन हो जाएगा कि आकाश परिपक्व हो गए हैं और किसी के असर में नहीं हैं या पार्टी इतनी मजबूत हो गई है कि किसी बाहरी ताकत का असर नहीं होगा, तभी आकाश को पार्टी सौंपेंगी।