जितना विरोधाभास और यू-टर्न अपनी 12 साल की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने दिखाया है वह एक रिकॉर्ड है। यह कैसी विडम्बना है कि आम आदमी की तरह राजनीति करने का वादा करके सरकार में आई आम आदमी पार्टी के सर्वोच्च नेता अपने लिए 50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके बंगला बनवा रहे हैं तो उनके एक दूसरे नेता इस बात के लिए जी-जान से लड़ रहे हैं कि किस तरह से उनको टाइप-सात का बंगला मिला रहे। पहली बार के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा अपना बंगला बचाने की कानूनी लड़ाई को संविधान बचाने की लड़ाई बता रहे हैं। वे पहली बार के सांसद हैं और उनके सिर्फ इस आधार पर पंडारा रोड में टाइप-सात का बंगला चाहिए कि वे एक बार दिल्ली के विधायक भी रहे हैं। सोचें, कितने ही सांसद हैं, जो दो बार या तीन बार या उससे भी ज्यादा बार जीते हैं और अब भी नार्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू के फ्लैट्स में रहते हैं। इंद्रजीत गुप्ता ने वेस्टर्न कोर्ट में पूरा जीवन बिताया और जब वे देश के गृह मंत्री बन गए थे तब भी वेस्टर्न कोर्ट में ही रहे।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और कई बार संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे शिबू सोरेन अब भी नॉर्थ एवेन्यू के फ्लैट में रहते हैं। खुद राघव चड्ढा की पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में शामिल संजय सिंह भी नॉर्थ एवेन्यू के फ्लैट में रहते हैं। लेकिन चड्ढा को किसी तकनीकी कारण से टाइप-सात का बंगला आवंटित हो गया तो अब वे जी-जान लगा कर उसको बचाने की कोशिश में लगे हैं। वे बंगला बचाने की कोशिश कर रहे हैं यह बात समझ में आती है लेकिन हैरानी की बात है कि इसे वे संविधान बचाने की लड़ाई बता रहे हैं। बंगला खाली करने के आदेश पर हाई कोर्ट की रोक के बाद उन्होंने ट्विट करके कहा कि यह संविधान बचाने की लड़ाई है। ध्यान रहे आम आदमी पार्टी के नेताओं ने राजनीति शुरू करते समय कहा था कि वे न बंगला लेंगे, न गाड़ी लेकिन राघव चड्ढा बंगले के लिए लड़ रहे हैं और कई गाड़ियों के काफिले से चलते हैं क्योंकि पंजाब की आम आदमी पार्टी ने उनको कुछ अज्ञात कारणों से जेड प्लस की सुरक्षा दे रखी है।