Saturday

12-04-2025 Vol 19

फ़्री के दौर में विधायकों की सेल !

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद भले यह भी कहा जा रहा हो कि भाजपा ने कांग्रेस को जीतने का मौक़ा दिया ताकि 2024 की जीत के समय यह न कहा जाए कि भाजपा ईवीएम में गड़बड़ी करके जीती है। लेकिन नए संसद भवन के उद्धाटन के बाद हुई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में साफ़ कर दिया गया कि पार्टी यह चुनाव स्थानीय मुद्दों का समाधान न कर पाने की वजह से हारी थी। भाजपा के ही एक पूर्व सांसद पर भरोसा किया जाए संसद भवन के उद्घाटन के बाद हुई भाजपा की इस मीटिंग को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवोधित किया था और साथ यह गुर भी बताए कि सूबे में भले विपक्ष की पार्टी का नेता हो या फिर सत्ता का हरेक से मिल कर चलने का वक्त है स्थानीय मुद्दों का समाधान करने की हर कोशिश करने का समय है। और संगठन या पार्टी से जो भी फ़ीडबैक मिले उस पर अमल करना चाहिए ।

नेताजी की मानो तो इस बैठक में यह आगाह किया गया कि जल्दी यह भी जानकारी ली जाएगी कि केंद्र की योजनाओं का किस तरह राज्यों में प्रचार-प्सार किया जा रहा है। अब भला मोदी इस बैठक में कितनी सख़्ती से पेश आए और कितना समझाने की कोशिश की अपने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्रियों को यह तो चाहर दीवारी में ही सिमट गया पर यह ज़रूर सीख दी गई कि कि लोकसभा से पहले होने वाले ये चुनाव आप लोगों की परीक्षा भी है सो सभी से मिलजुल कर चलो , पार्टी के निर्देशों को मानें और स्थानीय मुद्दों का जल्दी से जल्दी समाधान करें ताकि कर्नाटक का जबाव दूसरे राज्यों में जीत से दिया सके। भला हो अपने मोदी का कि वे अपने नेताओं को तो समझाकर निकल लिए पर बाक़ी भी तो नेता हीरे न सो बिना खुसर-फुसर करें मानते भी कैसे?

सो बैठक निपटते ही एक डिप्टी सीएम ने दूसरे एक नेता से कहा मोदी जी अपना घड़ा हमारे ऊपर फोड़ कर निकल लिए पर राज्यों के फ़ैसले भी अगर केंद्र ही करता रहेगा तो जीत होती भी कैसे?, ऐन टाइम पर नेताओं को इधर-उधर या हटाकर नाराज़ नहीं करते तो कम से कम लाज तो बच जाती। अब विधानसभा चुनाव देंखें या लोकसभा की तैयारी करें। दूसरे नेताजी चप कैसे रहते सो बोले चलो सीख तो ली कांग्रेस से ही सही। पहले एक साथ चले तो अलग कर दिया अब अलग चले तो कांग्रेस का एकसाथ चलने का पाठ पढ़ा दिए। तीसरे नेताजी बोले जब चुनाव में सभी कुछ सस्ता और फ़्री मुहैया कराने की होड़ चली है तो नेता भी तो फ़्री होने चाहिए, लाखों में क्यों। हंसी के ठहाके चले और फिर चल दिए नेता भी अपनी लग्ज़री गाड़ियों में। अब भाजपा इन राज्यों में से कहाँ जीतती है यह तो बाद की बात है पर मध्यप्रदेश और राजस्थान में तो पार्टी नेता ही जीत की हाँ नहीं कर रहे हैं।

​अनिल चतुर्वेदी

जनसत्ता में रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव। नया इंडिया में राजधानी दिल्ली और राजनीति पर नियमित लेखन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *