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08-06-2025 Vol 19

तुर्की अफरातफरी की और!

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turkey protest : क्या आपको एलेक्सी नवलनी याद हैं? वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा खतरा बन गए थे। नतीजतन पुतिन ने नवलनी को मरवा दिया। और उसके बाद से पुतिन चैन की बंसी बजा रहे हैं।

तुर्की में भी एक नवलनी उभरा है। वे इस्तांबुल के मेयर इकरम इमामोग्लु हैं, जिन्हें तुर्की के अगले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार माना जा  रहा है। वे देश के 71 वर्षीय थके-मांदे राष्ट्रपति रजब तैयब इर्दोगान के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।

यही वजह है कि  इर्दोगान ने 19 मार्च को इमामोग्लु को गिरफ्तार करवा दिया। उसी दिन 105 अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी के वारंट भी जारी किए गए, जिनमें इमामोग्लु के कुछ सलाहकार, उनकी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) से जुड़े कुछ म्युनिसिपिल पदाधिकारी और शीर्षस्थ पत्रकार भी शामिल हैं।

देखते ही देखते देश में अफरातफरी के हालात बन गए। देश राजनैतिक संकट में फंस गया। तुर्की के लोकतंत्र के लिए यह एक बड़ा खतरा है। (turkey protest)

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इमामोग्लु के समर्थक सड़कों पर उतर आए। उन्होंने चक्का जाम किए और जिस थाने में उन्हें गिरफ्तारी के बाद ले जाया गया था, उसके सामने विरोध प्रदर्शन किया। ये विशाल प्रदर्शन पिछले एक दशक के दौरान हुए सबसे बड़ा प्रदर्शन था। (turkey protest)

इन हालातों में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया और ‘दि इकोनोमिस्ट’ के अनुसार तुर्की के अधिकारियों ने पुराना सोवियत नुस्खा अपनाया: ‘‘जिसके खिलाफ कार्यवाही करनी हो, उसका नाम किसी न किसी अपराध से जोड़ दो‘‘।

पिछले तीन सालों के दौरान इमामोग्लु को कई जांचों और आरोपों का सामना करना पड़ा है, जो भ्रष्टाचार से लेकर उन चुनाव अधिकारियों के अपमान तक से संबंधित थे, जिन्होंने उन्हें 2019 में मेयर पद के चुनाव में जीत से महरूम रखने का प्रयास किया था। (turkey protest)

अब उन पर एक आपराधिक गिरोह का सरगना होने, एक आतंकवादी समूह की मदद करने, सरकारी ठेकों में रिश्वतखोरी और हेराफेरी आदि के कई प्रकार के आरोप लगाए गए हैं।

तुर्की के अधिकारियों ने इस बात का खंडन किया है कि इमामोग्लु, जो राष्ट्रपति के प्रतिद्वंद्वी हैं, पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। (turkey protest)

लेकिन सच्चाई शायद कुछ और (turkey protest) 

इमामोग्लु बहुत थोड़े समय में ही राष्ट्रपति इर्दोगान और उनकी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। उनके नेतृत्व में पिछले वर्ष स्थानीय चुनावों में विपक्ष ने जीत हासिल की।

यह इर्दोगान और उनकी सत्ताधारी जस्टिस एंड डेव्लपमेंट (एके) पार्टी की बीस सालों से अधिक की अवधि में पहली हार थी। (turkey protest)

उस जीत के बाद से वे जनमत संग्रहों में इर्दोगान पर अच्छी खासी बढ़त बनाए हुए हैं और 2028 में होने वाले चुनाव, जिनके बारे में कहा जा रहे है कि वे निर्धारित समय के पहले ही करा लिए जाएंगे, में उनका राष्ट्रपति पद का विपक्ष का उम्मीदवार बनना लगभग तय माना जा रहा है।

तुर्की का लोकतंत्र का मुखौटा हटता जा रहा है और वहां ऐसे हालात बनते जा रहे हैं जिनमें राजनैतिक प्रतिस्पर्धा लगभग असंभव होती जा रहा है। (turkey protest)

ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अंकारा के मेयर, जो राष्ट्रपति पद के एक अन्य संभावित दावेदार हो सकते हैं, को भी इमामोग्लु जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

इस्तांबुल की सड़कों पर अशांति

लोकतंत्र का दिखावा बिखर रहा है और यह तुर्की की अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा असर डाल रहा है। तुर्की की मुद्रा लीरा, जो पिछले कुछ सालों में कमखर्ची और ब्याज में वृद्धि के चलते कुछ मजबूत हुई थी, की कीमत में इमामोग्लु की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों के भीतर डालर की तुलना में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई।

तुर्की पिछले कई सालों से आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिसके चलते जीवन अधिक खर्चीला हो गया है, और जिसके कारण इन प्रदर्शनों के बहुत पहले से सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। (turkey protest)

लेकिन अब तो इस्तांबुल की सड़कों पर अशांति है। लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदी होने के बावजूद पिछले छःह दिनों से लगातार प्रदर्शन जारी हैं। दस पत्रकारों सहित 1100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

इस कार्यवाही से निवेशकों का भरोसा हिल गया है और यदि इर्दोगान, पुतिन की राह पर चलते रहे तो तुर्की को आर्थिक संकट का सामना तो करना ही पड़ेगा, वहां रूस जैसे हालात बन जाएंगे। (turkey protest)

इमामोग्लु का अंत भले ही निकट भविष्य में नवलनी जैसा हो या न हो, लेकिन यह तो पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि उन विज्ञापनों के दिन लद गए हैं जिनमें तुर्की को पर्यटन और सैर-सपाटे के नए ठिकाने के रूप में प्रचारित किया जाता था। इसके उलट, देश अंधकार के रसातल में धंस सकता है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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