मोरक्को को भूकंप ने दहला दिया है। उसके अल होज़ प्रांत में 3,000 लोग मारे गए वही पहाड़ी इलाकों में बसे कई गांव पूरी तरह नष्ट हो गए। सबसे बुरी बात यह है कि देश के लोग अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से कह रहे हैं कि उन्की कोई चिंता करने वाला नहीं है। भूकंप की रात देश के सम्राट मोहम्मद षष्ठम पेरिस में थे, जहां उनका ज्यादातर वक्त बीतता है। उन्हें स्वदेश लौटने और सार्वजनिक वक्तव्य जारी करने में पूरा एक दिन लग गया। शनिवार की देर शाम उन्हें टीवी पर एक कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिखाया गया, लेकिन बिना आवाज के, अर्थात वीडियो म्यूटेड था।
मंगलवार को वे एक अस्पताल गए और उन्होंने रक्तदान किया। वे मारूकेश भी गए जो भूकंप-पीड़ित क्षेत्र के नज़दीक स्थित बड़ा शहर है। लेकिन उन्हे भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित अल होज़ प्रांत जाने के बारे में कुछ नहीं बताया गया। मोरक्को के अधिकारियों का कहना है कि वे संकट का सामना करने में जुटे हुए हैं और जरूरत पड़ने पर मदद की गुहार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सम्राट का मार्गदर्शन उन्हें शुरू से ही मिल रहा है। लेकिन विनाश की पीड़ा झेल रहे इलाके में उनकी गैर-मौजूदगी, पीड़ितों के साथ उनके खड़े नहीं होने, और जनता को अपने साथ का विश्वास न दिलाने के लिए उनकी आलोचना हो रही है। इस आलोचना में आक्रोश भी है और पीड़ा भी।
सम्राट मोहम्मद षष्ठम, जो हाल में 60 बरस के हुए, मोरक्को के सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं। सैद्धांतिक तौर पर भले ही मोरक्को संवैधानिक राजतंत्र हो किंतु हकीकत यह है कि हर मामले में मोहम्मद षष्ठम का निर्णय ही अंतिम होता है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार वे देश की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख हैं, और इस्लामिक धर्मावलंबियों के मुखिया भी, हालांकि यह मुद्दा विवादित है। उनके कई सलाहकार और मंत्री हैं जो उनके स्कूल के दिनों के मित्र हैं, लेकिन किसी भी कार्यवाही के लिए उनका अनुमोदन आवश्यक होता है। भूकंप के बाद अधिकारी कोई कदम नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि वे कुछ भी करने से पहले सम्राट की आज्ञा की का इंतजार कर रहे हैं।
मध्यपूर्व के नेताओं में से मोहम्मद सार्वजनिक रूप से और मीडिया में सबसे कम नज़र आते हैं। सन् 1999 में सम्राट बनने के बाद से उन्होंने न तो कोई पत्रकार वार्ता की है और ना ही कोई टीवी इंटरव्यू दिया है। वे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी नहीं जाते। राजा बनने की वर्षगांठ के अवसर पर जनता को संबोधित करते समय वे बोलने में लड़खड़ा जाते हैं। अपने पिता हसन द्वितीय, जो तानाशाह थे और जिनके विभिन्न भिन्न पृष्ठभूमियों के कई सलाहकार थे, के विपरीत मोहम्मद षष्ठम अपनी ही दुनिया में रहते हैं। उनके दरबारियों के मुताबिक सत्ता में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है और वे राजा बने रहना नहीं चाहते। मगर दौलत से हासिल होने वाले ऐशोआराम का भरपूर आनंद उठाने में उन्हें कोई संकोच नहीं होता।
लेकिन एक अयोग्य आयर अक्षम राजा के बावजूद मोरोक्को को उत्तर अफ्रीका का एक सफल राष्ट्र माना जाता है, जहां तुलनात्मक रूप से अधिक खुलापन और स्थिरता है और जो उद्योग एवं पर्यटकों को आकर्षित करता है। वह आतंकरोधी कार्यवाहियों के मामले में अमेरिका एवं पश्चिमी देशों का एक भरोसेमंद सहयोगी रहा है और उसने सन् 2020 में इजराइल को मान्यता दे दी है। सन् 1999 में वारिस के तौर राजगद्दी हासिल करने के करीब एक साल बाद टाईम पत्रिका को दिए गए एक दुर्लभ साक्षात्कार में, जो पत्रिका के उस अंक में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ, उन्हांने स्वयं को ऐसा सुधारक बताया जो ‘गरीबी, कष्ट और अशिक्षा को कम करना चाहता है’।लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मैं जो भी करूंगा वह मोरोक्को के लिए नाकाफी होगा”।उनके शासन के शुरूआती दौर में धार्मिक दृष्टि से रूढ़िवादी मोरोक्को में बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव हुए। उन्होंने कई राजनैतिक बंदियों को रिहा किया, पारिवारिक कानूनों में बदलाव किया, विवाह की न्यूनतम आयु 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष की, लैंगिक समानता की स्थिति बेहतर की, महिलाओें को तलाक मांगने का हक दिया और पहली पत्नि को यह अधिकार दिया कि वह पति को दूसरा विवाह करने से रोक सके। उन्होंने तलाक को एक कानूनी प्रक्रिया का दर्जा दिया। एक साधारण चिठ्ठी के माध्यम से पति द्वारा पत्नि को तलाक दिए जाने की परंपरा को समाप्त किया। और अरब स्प्रिंग के दौरान, जहां पड़ोसी देशों में राष्ट्रपतियों को पद छोड़ना पड़ा, उन्होंने स्थिरता और निरंतरता कायम रखते हुए कई सुधार लागू किए। सन् 2003 में हुए बम हमलों के बाद उन्होंने और उनकी सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथी राजनीतिज्ञों और आतंकवादियों के विरूद्ध कड़े कदम उठाए।
लेकिन हाल के दिनों में राजा ‘विचलित’ हो गए हैं और उन तक पहुंचना कठिन हो गया है। सन् 2018 में अपने तलाक की प्रक्रिया के दौरान उनका संपर्क जर्मनी में जन्में जर्मन-मोरक्कन मिश्रित नस्ल के मार्शल आर्ट्स फाइटर अबूबकर अबू एज़ेटार और उनके दो भाईयों से हुआ। उसके बाद से वे उनके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। एज़ेटार बंधुओं को राजा की इतनी निकटता हासिल है कि न केवल उनकी सीधी पहुंच सारी राजसी दौलत और सुख-सुविधाओं तक है बल्कि वे राजा और उनके सलाहकारों के बीच खाई भी पैदा कर रहे हैं। सभी राजमहलों से जुड़े कुछ राज होते हैं जो रहस्य के घेरे में होते हैं। ऐसा ही मोरक्को के राजमहल के मामले में भी है जहां राजा का स्वास्थ्य एक बड़ा रहस्य है। अतीत में उन्हें दिल और फेफड़ों से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याएं रही हैं लेकिन इस संबंध में आधिकारिक रूप से कभी कुछ नहीं बताया गया और उनकी सेहत की वर्तमान स्थिति के बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। और थाईलैंड की तरह, मोरक्को में भी राजा की निजी ज़िंदगी और उनके शारीरिक एंड मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना सख्त मना है। उनके आसपास के लोगों, उनके पुत्र और उत्तराधिकारी 20 वर्षीय मौले हसन आदि के बारे मे आधिकारिक रूप से कभी कुछ नहीं बताया जाता। और राजा की सार्वजनिक रूप से आलोचना कम ही होती है क्योंकि ऐसा करने पर कड़े दंड का प्रावधान है। उनका राजनैतिक विरोध कमजोर है और हाशिए पर है। लेकिन आमतौर पर राजा को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और ज्यादातर आलोचना सरकार की होती है। फिर भी मोरोक्को में यह साफ दिखा रहा है कि राजा बहुत अधिक समय एज़ेटार बंधुओं के साथ बिता रहे हैं जो जनता को पसंद नहीं आ रहा है और जिसको लेकर जनाक्रोश है।
मोरक्को और सऊदी अरब दोनों इस्लामिक देश हैं। दोनों में राजशाही है। लेकिन वे एक-दूसरे से एकदम अलग हैं। एक तरफ हैं एमबीएस जो विश्व के रंगमंच पर अपने देश की मार्केटिंग करते नजर आते हैं और देश की जनता के लिए नए-नए व्यवसाय लाते हैं और देश के लोगों को गौरवान्वित महसूस करने के मौके उपलब्ध कराते हैं। दूसरी ओर हैं मोहम्मद षष्टम जो उस वक्त भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं जब उनके देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। मोरक्को की जनता पहले से ही बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और देश व्यापी सूखे से परेशान है और अब उन्हें भूकंप से जुड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि मोहम्मद षष्टम एज़ेटार भाईयों के चंगुल से बाहर नहीं निकलते तो इस बात की संभावना है कि सेना उनका तख्ता पलट दे। उनके सुरक्षा प्रमुख पहले भी दो बार उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास कर चुके हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)