Thursday

24-04-2025 Vol 19

भारत नहीं आ रहे घुमक्कड़!

नए साल की पूर्व संध्या पर गोवा सूना है और आगरा में विदेशियों से ज्यादा एनआरआई हैं। जानकारी के मुताबिक, जयपुर, उदयपुर और जैसलमेर में भी इस साल कम पर्यटक पहुंचे हैं।

भारत बिला शक दुनिया की सबसे दिलचस्प जगह है। यहां की महक और यहाँ का माहौल, यहाँ के लोग और यहाँ की चीज़ें, यहाँ का इतिहास और यहाँ के रहस्य – सभी अनूठे हैं। यहां जीतने के लिए पहाड़ हैं, तैरने के लिए समंदर हैं, घूमने के लिए शहर हैं और ऐसे राज्य हैं जिनमें आप खो सकते हैं। यहाँ सभी के लिए चाय और जलेबियां हैं और अपने आपको ऊंचे दर्जे का मानने वालों के लिए काफी और ब्लेक फारेस्ट केक भी हैं। भारत में सबके लिए सब कुछ है और हरेक के लिए कुछ न कुछ। यहां 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। दुनिया के सात अजूबों में से एक यहाँ है। हमारे देश की खूबसूरती पर्यटकों और घुमक्कड़ों को सम्मोहित करने वाली है और हाँ, वे यहाँ बहुत कुछ सीख-जान भी सकते हैं।

इसके बावजूद कुछ समय से भारत पर्यटकों का स्वर्ग का दर्जा खोता जा रहा है। इस साल का हॉलिडे सीजन इसका गवाह है। नए साल की पूर्व संध्या पर गोवा सूना है और आगरा में विदेशियों से ज्यादा एनआरआई हैं। जानकारी के मुताबिक, जयपुर, उदयपुर और जैसलमेर में भी इस साल कम पर्यटक पहुंचे हैं। और अगर आप गूगल पर “भारत में पर्यटकों की घटती संख्या” सर्च करेंगे तो नतीजे देखकर आपको धक्का लगेगा। वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की “यात्रा और पर्यटन रेंकिंग” में भारत 2019 से अब तक 10 स्थान नीचे खिसककर 39वें पायदान पर पहुंच गया है। जहां दि इकोनोमिस्ट ने “विदेशी अब छुट्टियां मनाने भारत क्यों नहीं आ रहे हैं” विषय पर पूरी रपट प्रकाशित की है वहीं दुबई में भारत से ज्यादा पर्यटक पहुंच रहे हैं – और इनमें बड़ी संख्या भारतीयों की है!

आप सोचते होंगे कि हमने शानदार हाईवे और हवाईअड्डे बनाये हैं, हम दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बन गए हैं, कई शहरों में नए एअरपोर्ट बन रहे हैं। हमारी एयरलाइनों ने सैकड़ों जहाज़ खरीदने के आर्डर दिए हैं। ऐसे में दुनिया भर के पर्यटक भारत की ओर रूख कर रहे होंगे। हकीकत इसके उलट है। विदेशी तो छोड़िये, भारत के पर्यटन स्थलों पर भारतीय भी नहीं पहुंच रहे हैं। मेरे परिचितों में से बहुत से छुट्टियां और क्रिसमस और नया साल मनाने के लिए दुबई, थाईलैंड या यूरोप गए हैं।

ज्यादातर देश पर्यटन को एक अहम निर्यात उद्योग मानते हैं क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा हासिल होती है, टैक्स से आमदनी बढ़ती है और लोगों को रोजगार हासिल होता है। पर्यटन का दुनिया की जीडीपी में करीब 10 प्रतिशत का हिस्सा है और हर दसवां रोजगार इससे जुड़ा हुआ है। और इसमें भारतीयों का अच्छा-खासा योगदान है। थाईलैंड के पर्यटन विभाग का अनुमान है कि 2023 में भारतीयों ने वहां करीब 63 अरब बहत (1.8 अरब अमरीकी डालर) खर्च किए जो उस देश की जीडीपी का करीब 0.4 प्रतिशत है।

हाल के वर्षों में एशिया और मध्यपूर्व के कई देश – जिनमें उजबेकिस्तान जैसा पुलिसिया देश और सऊदी अरब जैसे तानाशाह शासन वाले देश भी शामिल हैं – पर्यटकों का आना आसान बनाने के हर संभव उपाय करने में जुटे हुए हैं। कई देशों ने भारतीयों सहित विदेशियों के लिए या तो वीजा की शर्त को समाप्त कर दिया है या वीजा के नियमों को बहुत सरल बना दिया है। वे अपने-अपने पर्यटन स्थलों का जम कर प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग कर रहे हैं।

रणवीर सिंह अब स्विटजरलैंड के ब्रांड एबेंसडर नहीं हैं। अपने पिता के साथ वे अबूधाबी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। सैफ अली खान और सारा अली खान, अमिताभ बच्चन के साथ मिलकर दुबई का गुणगान कर रहे हैं। मध्य एशिया के देश अपने मुरीदों की तादाद बढ़ाने के लिए मंझले और बड़ी संख्या में फालोइंग वाले सोशल मीडिया इन्फ्यूलेंसर्स की मदद ले रहे हैं।

दूसरी ओर, भारत में पर्यटन सरकार की प्राथमिकताओं की सूची से गायब है। विदेशों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित बजट में दो-तिहाई कटौती कर दी गई है। यह पहले 1 अरब रूपये था और अब 33 करोड़ रूपये रह गया है। पर्यटन का देश की जीडीपी में योगदान भी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2002-03 के 5.8 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 5.2 प्रतिशत रह गया है। यहां तक कि घरेलू पर्यटन में भी गिरावट आई है क्योंकि लोग विदेश जाना पसंद कर रहे हैं।

भारत से की जाने वाली विदेश यात्राओं की संख्या हाल के वर्षों में दो गुनी से अधिक हो गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रपट के मुताबिक 2024 की पहली छमाही में कोविड के पूर्व की तुलना में भारत से विदेश यात्राओं की संख्या में 12 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई।

यह साफ है कि भारतीयों की घूमने-फिरने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। मैं और आप ही नहीं, बल्कि हर कोई कहीं न कहीं जाना चाहता है।  23 से 34 साल के उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और जल्दी ही इस आयु वर्ग के लोग, कुल जनसंख्या का पांचवा हिस्सा बन जाएंगे। और यही लोग घूमने-फिरने के लिए सबसे ज्यादा आतुर रहते हैं। इसकी एक वजह है शोशेबाजी – यानि अपने-अपने सोशल मीडिया एकाउंटों पर डालने के लिए अपने फोटो हासिल करना। इसलिए वे थाईलैंड, दुबई, कुवैत, कतर, मारीशस, तुर्की और वियतनाम जैसे देशों में जमघट लगा रहे हैं। इस उछाल के और भी बहुत से कारण हैं। भारत के पासपोर्ट की हैसियत अभी भी बहुत कमजोर है और इसके जरिए वीजा-मुक्त या उसी तरह का प्रवेश केवल 58 देशों में हासिल हो सकता है।

साथ ही इन देशों में जाना बहुत महंगा नहीं है और वहां की यात्रा की योजना आपको महीनों पहले से बनाने की ज़रुरत नहीं है। जनरेशन जेड आसानी से सीमित खर्चे में और नौकरी से ज्यादा छुट्टियाँ लिए बिना ‘विदेश यात्रा’ कर सकती है। इसके अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से बहुत से देशों ने भारतीयों को आकर्षित करने के लिए बेहतरीन मार्केटिंग रणनीति बना रखी है और हम सब जानते हैं कि मार्केटिंग से भारतीय कितनी जल्दी प्रभावित होते हैं!

पश्चिम के धनी देशों का रवैया पहले जैसा ही है। वहां भारतीयों को ऐसा महसूस नहीं होता है कि उनका स्वागत किया जा रहा है। ये देश ढ़ेर सारी कागजी कार्यवाही चाहते हैं, अच्छी आर्थिक हैसियत और वापिस जाने के इरादे के सुबूत मांगते हैं। यही वजह है कि अमरीका का वीजा हासिल करने में कई साल लग जाते हैं। शेंगेन वीजा (जो आपको 180  दिनों तक 26 यूरोपीय देशों की यात्रा करने की इज़ाज़त देता है) हासिल करना दुरूह है और ब्रिटेन के वीजा के लिए आपको भारी-भरकम शुल्क चुकाना होता है। लेकिन इन देशों को भारतीयों की कमी महसूस नहीं होती और  भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग करने में उनकी कोई रूचि नहीं है।

इसके बावजूद यह खुशी की बात है कि भारतीय – खासतौर पर युवा – यात्राएँ कर रहे हैं। लेकिन इसमें एक बुरी बात यह है कि वे घूमने-फिरने के लिए कर्ज ले रहे हैं। सन 2023 में हुए एक सर्वे के मुताबिक व्यक्तिगत ऋण लेने वाले शहरी भारतीयों का पांचवा हिस्सा छुट्टियों में घूमने-फिरने के लिए ऐसा करता है। छुट्टियां मनाने के लिए कर्ज लेने वालों की संख्या 21 प्रतिशत थी, जो घर की मरम्मत और उसे सजाने-संवारने के लिए कर्ज लेने वालों की संख्या (31 प्रतिशत) के बाद सबसे अधिक थी। छुट्टियों के लिए कर्ज लेने वालों में सबसे अधिक संख्या (74 प्रतिशत) नौकरीपेशा लोगों की थी। उसके बाद स्वरोजगार करने वाले पेशेवर (14 प्रतिशत) और व्यापारी (12 प्रतिशत) थे। ऋण चाहने वालों के सबसे पसंदीदा विदेशी स्थानों में दुबई, थाईलैंड और यूरोप शामिल थे।

इस तरह भारत, भारतीय और विदेशी – दोनों श्रेणियों के पर्यटकों को खो रहा है। यह आर्थिक दृष्टि से बहुत दुःखद और गंभीर है। भारत से कम दिलचस्प और रहस्यमय देशों की यात्रा करने की प्रवृत्ति चिंताजनक भी है। आखिरकार पर्यटन ही वैश्विक संस्कृति को गढ़ता है। इससे यह तय करने में मदद मिलती है कि किन स्थानों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है और किन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। भारत को भी भारतीयों की तरह नजरअंदाज किया जा रहा है जो यूरोप और अमरीका के अन्य आकर्षक स्थानों पर जाने से वंचित रह रहे हैं।

बहरहाल, शायद नया साल कुछ अच्छी खबर लाए। शायद दुनिया की सबसे दिलचस्प जगह का दर्जा भारत को दुबारा हासिल हो सके। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *