लोकसभा चुनाव 2024 में हिंदुत्व का मुद्दा टॉप पर होगा। तैयारियां चल रही हैं। अयोध्या में भव्य राम जन्मभूमि मंदिर बन रहा है। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कथित शिवलिंग की पूजा अर्चना की मंजूरी हासिल करने की भी कानूनी लड़ाई बढ़ रही है। मथुरा में शाही ईदगाह के सर्वेक्षण का मामला भी अदालत में है। उधर मां विंध्यवासिनी कॉरिडोर का पहला चरण चुनाव से पहले पूरा हो सकता है। उधर पूर्वोत्तर में मां त्रिपुर सुंदरी के कॉरिडोर का निर्माण होना है। देश के दूसरे हिस्सों में भी भूले बिसरे मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। विदेशों में भी मंदिर बनाए जा रहे हैं। कथित लव जिहाद से हिंदू लड़कियों को बचाने के लिए भाजपा शासित राज्यों में कानून बन रहे हैं तो धर्मांतरण रोकने के कानून भी लागू किए जा रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी को छोड़ कर देश भर के मुखर मुस्लिम नेताओं पर किसी न किसी मामले में कार्रवाई हो रही है। उत्तर प्रदेश में आजम खान के परिवार से लेकर दिल्ली में ताहिर हुसैन और मुंबई में नवाब मलिक तक इसकी मिसाल हैं। अपने समर्थक हिंदुओं के तुष्टिकरण के लिए समान नागरिक संहिता पर भी काम शुरू हो गया है। विधि आयोग इस पर लोगों की राय ले रहा है। इसलिए कुल मिला कर मंदिर निर्माण से लेकर मुस्लिम नेताओं को निशाना बनाने और समान नागरिक संहिता लागू करने का मुद्दा अगले साल के लोकसभा चुनाव की भूमिका और एक्शन दोनों है।
हिंदुत्व के मुद्दे का सबसे ज्यादा प्रचार अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण से होगा। इसका ऐसा प्रचार होगा, जैसा इससे पहले कभी किसी चीज का नहीं हुआ होगा। इसकी शुरुआत नवंबर में दिवाली के समय हो जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि इस साल दीपोत्सव पर 21 लाख दीये जलाए जाएंगे। पूरी अयोध्या नगरी सजाई जाएगी। सरयू के किनारे और सरयू नदी में दीये जलाए जाएंगे। उन्होंने कहा है कि पांच सौ साल बाद भगवान राम अपने घर में बिराजने वाले हैं। सोचें, ये पांच सौ साल का जुमला कितना मारक होगा! भाजपा पहले से अयोध्या में राममंदिर को पांच सौ साल पहले बाबर के समय में मंदिर तोड़े जाने से जोड़ती रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि अयोध्या को दुनिया का सबसे सुंदर नगर बनाएंगे। इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर अभी काम हो रहा है। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हवाईअड्डे का निर्माण किया जा रहा है, जिसके बारे में कहा गया है कि यह इतना बड़ा होगा कि हर दो मिनट में एक विमान वहां से उड़ान भर सकेगा। मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो सकती है। इस तरह माना जा रहा है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद से रामलला का उत्सव शुरू होगा, जो 22 जनवरी और उसके बाद भी चलता रहेगा। पूरे देश से साधु संत और मानस के मर्मज्ञ बुलाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। सोचें, उस समय की प्रधानमंत्री की छवि क्या होगी! आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में मोदी ने जैसे मंदिर का शिलान्यास किया था उससे कई गुना अधिक भव्य समारोह होगा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का। मंदिर के लोकार्पण का। इसे सारी दुनिया देखेगी और हिंदू गौरव का जो गान होगा, वह कल्पनातीत है। यह समारोह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ साथ अतीत के हिंदू गौरव की स्थापना का भी कार्यक्रम होगा। इससे भाजपा जातियों के बंधन तोड़ने और हिंदुत्व की भावना को मजबूत करेगी।