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09-03-2025 Vol 19

मोदीजी, तुर्की से पर्यटन कमाई सीखें!

यह बात बेतुकी लगेगी कि भला भारत और तुर्की में क्या तुलना हो सकता है। कहां डेढ़ सौ करोड़ आबादी और 32 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े क्षेत्रफल वाला भारत और कहां साढ़े आठ करोड़ आबादी और आठ लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला छोटा तुर्की। लेकिन भारत को इसलिए तुर्की से सीखना चाहिए क्योंकि भारत में पर्यटन के अपार ठिकाने है। तुर्की ने पर्यटन के क्षेत्र में गजब कमाल किया है। एक तरफ राष्ट्रपति एर्दोआन के समय में तुर्की में मुस्लिम कट्टरता बढ़ने की बात है तो दूसरी ओर पूरी दुनिया के पर्यटकों के तुर्की पहुंचने की हकीकत हैं। पिछले साल यानी 2024 में तुर्की में छह करोड़ विदेशी पर्यटक पहुंचे। इसके मुकाबले भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या एक तिहाई है। दिसंबर 2024 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने साल की समीक्षा की और 2023 के पर्यटन के आंकड़े पेश किए। पीआईबी की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में एक करोड़ 90 लाख के करीब विदेशी पर्यटक भारत आए। सोचें, कहां छह करोड़ और कहां दो करोड़ से कम! तुर्की की आबादी भारत के छह फीसदी के बराबर है और क्षेत्रफल एक चौथाई है लेकिन विदेशी पर्यटकों को लुभाने में वह भारत से तीन गुना ज्यादा है।

तुर्की को 2024 में विदेशी पर्यटकों से 61 अरब डॉलर की कमाई हुई है। यह पिछले साल यानी 2023 की कमाई के मुकाबले 8.3 फीसदी ज्यादा है। इसके मुकाबले विदेशी पर्यटकों से भारत की कमाई कुछ भी नहीं है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2023 में एक करोड़ 90 लाख के करीब विदेशी पर्यटक आए और उनसे भारत को दो लाख 31 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। दूसरी ओर तुर्की में छह करोड़ विदेशी पर्यटक आए और उनको पांच लाख 30 हजार करोड़ रुपए की आय हुई। यानी विदेशी पर्यटकों से भारत से दोगुने से ज्यादा कमाई तुर्की ने की। यह अलग बात है कि भारत की बड़ी आबादी और घरेलू पर्यटन की वजह से भारत की कमाई बाकी क्षेत्रों में ज्यादा हो जाती है। भारत में घरेलू पर्यटकों की संख्या, जिसमें तीर्थाटन करने वाले ज्यादा होते हैं, 25 करोड़ से ज्यादा है। इस वजह से पर्यटन से भारत की आय 13 अरब डॉलर यानी 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।

तुर्की ने जिन पर्यटक स्थलों के लिए दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर खींचा है वैसे पर्यटन स्थल भारत में बहुतायत है। तुर्की में ज्यादातर पर्यटक ऐतिहासिक स्थलों को देखने जा रहे हैं। इसके अलावा यूरोप और एशिया के बीच की रणनीतिक जगहों को और प्राकृतिक स्थलों को देखने के लिए जा रहे हैं। इन तीनों ही मामलों में भारत ज्यादा समृद्ध है। अगर तुर्की प्राचीन और मध्यकालीन सभ्यता का एक अहम पड़ाव है तो भारत भी प्राचीनतम सभ्यता वाला देश है, जहां सभ्यता की निरंतरता को लेकर दुनिया के तमाम पुरातत्ववेत्ता सहमत हैं। भारत में प्राकृतिक स्थलों की भी भरमार है। जंगल, पहाड़, समुद्र चारों तरफ हैं और ज्यादातर जगहें ऐसी हैं, जिनको अभी तक पर्यटन के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है। भारत में बौद्ध धर्म से जुड़ी तमाम ऐतिहासिक जगहें हैं, जिनकी यात्रा के लिए दुनिया भर के बौद्ध देशों के लोग आना चाहते हैं।

मुश्किल यह है कि बौद्ध धर्म से जुड़ी ज्यादातर जगहें बिहार और उत्तर प्रदेश में हैं, जहां पर्यटकों का पहुंचना और ठहरना ही मुश्किल है। बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों की स्थिति बहुत खराब है। उन्हें विकसित नहीं किया गया है। ढंग का हवाईअड्डा नहीं है। ठहरने के लिए अच्छे होटल नहीं है। परिवहन की व्यवस्था नहीं है। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद लोगों का आना और भी कम हुआ है। भगवान बुद्ध का जन्मस्थान नेपाल के लुम्बिनी में है। चीन एक कूटनीति और रणनीति के तहत लुम्बिनी को सबसे अहम स्थान के तौर पर विकसित कर रहा है। वह बता रहा है कि बुद्ध से जुड़ी असली जगह वही है। उसने बोधगया में बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने की बात को खारिज करना शुरू किया है और उसका थिंकटैंक कह रहा है कि बुद्ध जन्म से ही एनलाइटेंड यानी ज्ञानी थे। वह लुम्बिनी में हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रहा है और बड़ी संख्या में वहां पर्यटक जा रहे हैं। उसके मुकाबले बोधगया, राजगीर, वैशाली और कुशीनगर में पर्यटकों की आवक बहुत कम है।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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