भारत को विकसित होना है और दिखलाई दे रहा है कि दुनिया बाधक है! डोनाल्ड ट्रंप हों या चीन या फ्रांस, ब्रिटेन, यूरोप सभी भारत को सिर्फ भीड़ और बाजार समझते हैं। तो भारत क्या करे? (modi learn from bhutan)
जवाब है रास्ता तब संभव है जब हम खोपड़ी, दिमाग और बुद्धि पाएं या खोलें। भारत के हम लोगों की आंखे खुलें। पड़ोस को देखें, दुनिया के देशों को देखें कि वे कैसे अपना रास्ता बना रहे हैं?
बांग्लादेश ने पिछले बीस वर्षो में भीड़ का सस्ती लेबर के रूप में इस्तेमाल कर अपने को कपड़े सिलने की वैश्विक फैक्टरी बनाया। टेक्सटाइल में भारत को पछाड़ा। प्रति व्यक्ति आय में भारत से आगे हुआ।
वैसा ही भूटान की चौकाने वाली दास्तां है। भूटान की आबादी सिर्फ आठ लाख है! इतनी कम आबादी में कुछ भी नहीं हो सकता! मगर कमाल देखिए इस देश का, जहां के राजा ने बुद्धि का उपयोग किया, जनता में विवेक, बुद्धि, संतोष पैदा किया।
और प्राकृतिक संपदा की समझ में बांध बनवा कर पहले जलविद्युत शक्ति का उत्पादक देश बना। भारत को बिजली बेचना शुरू किया। (modi learn from bhutan)
मगर भारत गड़बड़ देश है। हिसाब से मोदी सरकार को भूटान की भरपूर जलविद्युत शक्ति के दोहन के प्रोजेक्ट बनवा कर सस्ती दो-चार रुपए प्रति यूनिट की बिजली खरीद उसे भारतीयों को उपलब्ध कराना था। भूटान (साथ ही अपने सिक्किम में भी) में बांध बनवाने थे।
वहां उत्पादित सौ प्रतिशत बिजली खरीद भारत के लोगों को सस्ती बिजली देनी थी। लेकिन उसके बजाय अडानी के झारखंड, छतीसगढ़ आदि में कोयले आधारित बिजली कारखाने खुलवाने, क्षमता बढ़ाने जैसी बुद्धिहीनता में आम जनता में महंगी बिजली की मार बनवाई।
इतना भी ख्याल नहीं कि मंहगे ईंधन से देश में न उत्पादकता बढ़ेगी और न दुनिया के मुकाबले में भारतीय मैन्यूफैक्चिरिंग सस्ती बनेगी। (modi learn from bhutan)
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग? (modi learn from bhutan)
बहरहाल, भारत के विशाल बाजार के बावजूद भूटान में संकट हुआ कि गर्मियों में बिजली सरप्लस बची रहती है वही सर्दियों में कम खपत। विश्व बैंक की मानें तो भूटान की जलविद्युत क्षमता 30 हजार मेगावाट है, जिसका अभी सिर्फ 1.6 प्रतिशत ही दोहन है।
खड़ी पहाड़ियों में नदियों के अंबार से दूसरे देशों के मुकाबले भूटान में जलविद्युत प्रोजेक्ट की औसत लागत बहुत कम बैठती है। सोचें, भारत को क्या इसका लाभ नहीं उठाना चाहिए था?
मगर भारत सरकार प्राइवेट कंपनियों के क्रोनी पूंजीवाद में, कोयले के बिजली कारखाने तथा मंहगी बिजली की इकॉनोमी बनाए रखने की मूर्खता में लगातार रही है। (modi learn from bhutan)
इसलिए भूटान जितनी बिजली दे सकता है वह भी भारत पूरी नहीं खरीदता। सन् 2020 का आंकड़ा है कि भूटान ने भारत को 27 हजार मिलियन यूनिट से अधिक जलविद्युत बिजली भारत बेची। वह 2023 में लगभग 16 हजार मिलियन यूनिट तक गिर गया। अर्थात भारत की 41 प्रतिशत कम खरीद!
तो सरप्लस बिजली का क्या हो? भूटान के राजा और उनके सलाहकारों ने तब भूटान को क्रिप्टोकरेंसी का सेंटर बनाने की रणनीति बनाई। क्रिप्टोकरेंसी की वैश्विक करेंसी के खेले में आईटी और कंप्यूटिग प्रोसेसिंग इंफास्ट्रक्चर आवश्यक है। पॉवर की जबरदस्त खपत होती है।
भूटान ने कंप्यूटर चिप्स, सर्वरों को आयात किया। फोर्ब्स के अनुसार 2021 में भूटान ने 51 मिलियन डॉलर मूल्य के कंप्यूटर चिप्स आयात किए जो 2020 के मुकाबले ज्यादा थे। जनवरी 2019 में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क बनाया। (modi learn from bhutan)
सवाल है क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग? इसे आसानी में इस तरह बूझें कि दुनिया भर की नेटवर्किंग, इंटरनेट की क्षमताओं, एप्लिकेशनों की कंप्यूटिंग प्रोसेसिंग के अंबार में वह विशाल प्रोसेसिंग क्षमता बनाना, जिसमें बिजली की भारी और अबाध सप्लाई भी आवश्यक है।
भूटान ने क्या किया?
हाल में एक खबर थी कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेजन के मालिक ने सर्वर-नेटवर्किंग (एआई आदि की जरूरत में, भविष्य में विशाल कंप्यूटिंग क्षमता) के खरबों डॉलर के प्रोजेक्ट बनाए हैं। (modi learn from bhutan)
एक और हकीकत जानें, भारत में जियो, एयरटेल याकि क्रोनी पूंजीवादी अंबानी, मित्तल महंगी, घटिया इंटरनेट कनेक्शन देते हैं। तो भूटान ने क्या किया? भूटान ने फरवरी 2025 से इलॉन मस्क की स्पेस एक्स स्टारलिंक सेटेलाइट इंटरनेट-फोन सर्विस को बुलाया, अनुमति दी।
ताकि पहाड़ी देश के दुरस्थ इलाकों में सभी ओर अबाध हाईस्पीड इटंरनेट उपलब्ध रहे। क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में वैश्विक डाटाबेस से माइंनिग का सेटअप जहां बिजली खाता है वही सुपरफास्ट स्पीड का इंटरनेट कनेक्शन अबाध होना चाहिए। (modi learn from bhutan)
सोचें, भूटान ने भारतीय कंपनियों की जगह स्पेस एक्स स्टारलिंक को चुना (जबकि भारत के दरबारी पूंजीपतियों ने मस्क की कंपनी को अनुमति नहीं मिलने दी)। (modi learn from bhutan)
बहरहाल, मई 2023 में भूटान ने ग्रीन डिजिटल एसेट माइनिंग ऑपरेशन विकसित करने के लिए सिंगापुर की बिटडीयर टेक्नोलॉजीज ग्रुप के साथ साझेदारी की।
“कार्बन-मुक्त डिजिटल एसेट माइनिंग डेटा सेंटर ” बनाया। तीन महिनों में गेडू नाम के शहर में एक सौ मेगावाट डेटा माइनिंग सेंटर बना। सितंबर 2023 में, गेडू में 217 बिटकॉइन की माइनिंग हुई। इस वर्ष छह सौ मेगावाट क्षमता के सेंटर का लक्ष्य है।
सवाल है इससे भूटान को क्या हासिल? (modi learn from bhutan)
जवाब है भूटान अब क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के बाद का वैश्विक खिलाड़ी है। उसके पास बिटकॉइन का चौथा सबसे बड़ा सरकारी भंडार है। यह सोने के भंडार याकि संपत्ति जैसा मामला है। (modi learn from bhutan)
भूटान की जीडीपी, आर्थिकी में इसका कोई 24 प्रतिशत योगदान हो गया है। इसकी कमाई से सरकार अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देते हुए है और नए बांध प्रोजेक्ट बन रहे हैं। तो भूटान से रोजगार की तलाश में नौजवानों का भारत जाना कुछ रूका है।
क्रिप्टोकरेंसी में भूटान के निवेश की सरकारी शाही कंपनी ड्रुक होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट्स का दिसंबर में क्रिप्टो पोर्टफोलियो कोई 1.2 बिलियन डॉलर था। ध्यान रहे डोनाल्ड ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसी को आगे बढ़ाने को रोडमैप बनाया है।
सोचें, भूटान का इससे दुनिया में क्या मान और महत्व होगा? मैं अस्सी के दशक में भूटान घूमा था। (modi learn from bhutan)
गुरूवार को मैंने अल जजीरा पर जब भूटान की इस उपलब्धि की खबर की वीडियो फुटेज देखी तो परिचित स्थानों की विकसित तस्वीरें देख सचमुच हैरानी हुई। लगा भूटान संपन्न, संतोषी और सच्चा विकास लिए हुए है, जबकि भड़भड़िए, भौकली भारत औरंगजेब में भविष्य पका रहा है!