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गपशप

नौकरशाही में सब कुछ पहले जैसा

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लोकसभा चुनाव, 2024 में जब भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और वह 240 सीटों पर रूक गई तो विपक्षी पार्टियों के साथ साथ भाजपा के अनेक बड़े नेता और अधिकारी भी खुश थे कि अब उनकी पूछ बढ़ेगी या उनको स्वतंत्र रूप से कामकाज करने का मौका मिलेगा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले दिन से बता दिया कि कामकाज के ढर्रे में कुछ भी बदलने नहीं जा रहा है। सब कुछ पहले की तरह होता रहेगा। सारे कामकाज नौकरशाही के हवाले रहेंगे। अधिकारी ही सारे काम करेंगे और उसमें भी चुनिंदा अधिकारी। तभी सरकार बनते ही अनेक पुराने अधिकारियों की फिर से नियुक्ति हो गई।

इसके बाद यह भी कहा जा रहा है कि जो अधिकारी कई कई बार का सेवा विस्तार लेकर अहम पदों पर बैठे हैं उन सबको फिर से सेवा का मौका मिलेगा। संभव है कि उन सबको फिर से विस्तार मिले और वे आगे भी काम करते रहें। सोचें, अहम पदों के सचिवों को इतनी बार सेवा विस्तार मिला कि उस पद की आस लगाए कई बैच के योग्य और सक्षम अधिकारी रिटायर हो गए। निष्ठा के आधार पर नियुक्त हुए अधिकारी सभी अहम विभागों के काम चला रहे हैं। योग्यता और अवसर की समानता का सिद्धांत तो जैसे कूड़ेदान में डाल दिया गया है।

सबसे ताजा सेवा विस्तार खुफिया ब्यूरो यानी आईबी के प्रमुख तपन कुमार डेका का है। उनको आईबी निदेशक के तौर पर सेवा विस्तार मिल गया है। उनका कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा था। उससे पहले उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। अब वे 30 जून 2025 तक पद पर बने रहेंगे। इसी तरह की दूसरी केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय है, जिसके निदेशक यानी ईडी राहुल नवीन हैं। पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार और सीधे आदेश की मजबूरी में संजय मिश्रा को ईडी पद से हटाना पड़ा तब 15 सितंबर 2023 को राहुल नवीन कार्यवाहक ईडी बने।

इस साल जनवरी में अन्य अधिकारियों के साथ साथ उनको भी प्रमोशन मिला और वे अतिरिक्त सचिव का दर्जा पा गए। ध्यान रहे ईडी का पद अतिरिक्त सचिव के बराबर होता है। तभी कहा जा रहा था कि अब राहुल नवीव पूर्णकालिक ईडी बन जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे अब भी कार्यवाहक ईडी हैं। सोचें, जो एजेंसी पूरे देश में विपक्षी नेताओं की नकेल कसने के लिए इस्तेमाल की जा रही है उसका प्रमुख कार्यकारी व्यवस्था वाला है! साढ़े नौ महीने से कार्यवाहक ईडी से एजेंसी का काम चल रहा है। यह समझना मुश्किल नहीं है कि इतनी महत्वपूर्ण एजेंसी में ऐसी एडहॉक व्यवस्था बनाए रखने के पीछे क्या मकसद होगा।

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ के सारे अधिकारियों और सलाहकारों को रिपीट कर दिया। पीके मिश्रा को फिर से प्रधान सचिव बनाया गया तो अजित डोवाल फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने। प्रधानमंत्री के सलाहकारों, अमित खरे और तरुण कपूर को भी फिर से सलाहकार बनाया गया। सरकार के सबसे बड़े अधिकारी यानी देश के कैबिनेट सचिव के पद पर राजीव गौबा बरसों से विराजमान हैं। वे 30 अगस्त 2019 को कैबिनेट सचिव बने थे और 30 अगस्त 2024 तक उनका कार्यकाल है। कैबिनेट सचिव का पद दो साल का होता है। लेकिन सेवा विस्तार के जरिए इस पद पर पांच साल तक रहने वाले हैं। नौकरशाही में वरिष्ठ अधिकारी अब कैबिनेट सचिव बनने की आस छोड़ चुके हैं।

उनको लग रहा है कि 30 अगस्त 2024 के बाद भी गौबा को सेवा विस्तार मिल सकता है। इसी तरह अजय कुमार भल्ला 20 अगस्त 2019 को देश के गृह सचिव बने थे। गृह सचिव का पद भी दो साल का होता है लेकिन सेवा विस्तार के सहारे वे भी पांच साल तक रहने वाले हैं। उनको 20 अगस्त 2024 तक सेवा विस्तार मिला हुआ है। गृह सचिव बनने की आस लिए अनेकों अधिकारी रिटायर हो गए। अधिकारियों को कार्यकारी बना कर यानी एडहॉक व्यवस्था करके या अधिकारियों को सेवा विस्तार देकर काम कराना इस सरकार की पहचान बन गई है। इसका मतलब है कि अधिकारियों की नियुक्ति में योग्यता और क्षमता की बजाय भरोसा सबसे अहम तत्व बन गया है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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