पश्चिम एशिया में चल रही जंग पर भारत सरकार का रूख तटस्थ है। उसकी ओर से शांति की अपील तो की जा रही है लेकिन वह सीधे तौर पर इसमें पार्टी बनने से बच रही है। हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की इजराइली हमले में हुई मौत के मामले पर भी भारत ने चुप्पी रखी। भारत सरकार की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है। हालांकि इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की। शनिवार, 28 अगस्त को नसरल्लाह के मारे जाने की पुष्टि हुई थी। इसके दो दिन बाद सोमवार, 30 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने नेतन्याहू से बात की थी।
टेलीफोन पर हुई इस बातचीत की जानकारी देते हुए मोदी ने खुद बताया कि उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से पश्चिम एशिया के हालिया घटनाक्रम पर बात की। इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के लिए हमारी दुनिया में कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- क्षेत्रीय तनाव को रोकना और सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सोमवार को हुई इस बातचीत में पीएम मोदी ने किसी विशेष घटना का जिक्र नहीं किया। सबको पता है इसके दो दिन पहले ही इजराइल ने हमास के बाद लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बड़ा हमला किया था।
इससे पहले भी भारत का रुख तटस्थ रहा है। 19 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र संघ में इजराइल को लेकर एक प्रस्ताव आया था लेकिन भारत ने उस पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। 19 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव को लेकर वोटिंग हुई, जिसमें मांग की गई थी कि इजरायल 12 महीने के अंदर बिना किसी देरी के अपने कब्जे वाले फिलस्तीनी क्षेत्र में अपनी अवैध उपस्थिति समाप्त करे। भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
बहरहाल, नसरल्लाह की मौत या बाकी जंग को लेकर सरकार खामोश है लेकिन भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा की ओर से नसरल्लाह की मौत की बजाय उसकी मौत पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर बयान दिया गया। भाजपा ने इस तरह के प्रदर्शन और शोक जताने की आलोचना की। भाजपा के प्रवक्ताओं ने कहा कि लेबनान में नसरल्लाह की मौत पर भारत में जो लोग छाती पीट रहे हैं वे बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले हमलों पर चुप्पी साध लेते हैं। कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के शोक मनाने और प्रचार नहीं करने पर भी प्रदेश भाजपा के नेताओं ने आपत्ति जताई और बयान दिए।