Thursday

24-04-2025 Vol 19

झारखंड में भी आसानी नहीं !

झारखंड में चुनाव नतीजों से प्रदेश भाजपा के सारे नेता हिले हुए हैं। उनको लग रहा था कि नरेंद्र मोदी की लहर में सारी सीटें जीत रहे हैं तो एक गिरिडीह सीट हार भी जाएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसका उलटा हो गया गिरिडीह सीट तो गिरते पड़ते आजसू जीत गई लेकिन भाजपा पांच सीटों पर हार गई। उसे तीन सीटों का नुकसान हुआ। विधानसभा चुनाव के लिए यह खतरे की घंटी है। 

झारखंड में भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में भी अपनी सहयोगी आजसू को एक लोकसभा सीट दी। गिरिडीह सीट पर पिछली बार चुनाव जीते चंद्रप्रकाश चौधरी फिर से चुनाव लड़े और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद चुनाव जीत गए। सुदेश महतो के साथ दूसरा धोखा यह हुआ है कि एक एक सांसद वाली दूसरी पार्टियों को केंद्र में मंत्री पद मिल गया लेकिन उनकी पार्टी को मंत्री पद नहीं दिया गया। इससे सुदेश तो पता नहीं कितने नाराज हैं लेकिन उनके इकलौते सांसद की नाराजगी बहुत है। सो, झारखंड में भाजपा के लिए अपनी सहयोगी आजसू के साथ तालमेल बैठाना आसान नहीं होगा। 

जयराम महतो के हवाले दावा किया जा रहा है कि महतो यानी कोईरी वोट पर सुदेश की पहले की तरह पकड़ नहीं है। ध्यान रहे पिछली बार यानी 2019 में भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी यही गलती की थी, जिसके बाद सुदेश ने ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। उनकी पार्टी को कुल 17 लाख वोट मिला था और एक दर्जन सीटों पर उनके उम्मीदवारों की वजह से भाजपा हारी थी। सो, झारखंड का फैसला भी भाजपा को बहुत सोच समझ कर करना होगा।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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