Monday

31-03-2025 Vol 19

हरियाणा में खट्टर ही मालिक

हरियाणा में उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भाजपा में घमासान मचा है। एक दर्जन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, जिनमें दो मंत्री और कई विधायक हैं। बागी होने वाले जिला पदाधिकारियों की गिनती ही नहीं है। पार्टी से बागी होकर विधायक, मंत्री और दूसरे पदाधिकारी निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं या कांग्रेस पार्टी में चले गए हैं। पार्टी की ओर से इस बगावत को शांत करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन सवाल है कि इतनी बगावत क्यों हो गई? भाजपा को पहले भी अपने नेताओं की टिकट काटती थी लेकिन छिटपुट विरोध के अलावा इतनी बड़ी बगावत नहीं होती थी। इसको लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर माना जा रहा है।

लेकिन इसके अलावा एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी दोस्त माने जाने वाले राज्य के पूर्व  मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मालिक बन गए हैं और उनके हिसाब से नेताओं के भाजपा में शामिल होने और टिकट देने का फैसला हुआ है, जिसकी वजह से इतने बड़े पैमाने पर बगावत हुई है। भाजपा के कई नेता मान रहे हैं कि अगर पहले की तरह अमित शाह फैसला करते तो इतनी बगावत नहीं होती। तो क्या अमित शाह हरियाणा में टिकट बंटवारे और जमीनी राजनीति से दूर रहे हैं?

अमित शाह की जो भी भूमिका रही हो लेकिन दो भारी भरकम मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खूब सक्रिय भूमिका निभाई है। खट्टर प्रदेश की राजनीति में कितने पावरफुल है यह इस बात से साबित होता है कि उन्होंने अपने करीबी व्यक्ति को टिकट दिलाने के लिए मुख्यमंत्री की सीट बदलवा दी। ऐसा देश में आजतक नहीं हुआ है कि मुख्यमंत्री की सीट बदल जाए और उनको पता ही नहीं चले। असल में नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बने तो वे कुरूक्षेत्र के सांसद थे। वे मनोहर लाल खट्टर की पसंद है और उनके लिए खट्टर ने अपनी करनाल सीट खाली की, जहां से उपचुनाव में वे विधायक बने।

मुख्यमंत्री सैनी फिर से करनाल सीट से ही लड़ना चाहते थे। लेकिन एक दिन अचानक प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने ऐलान किया कि मुख्यमंत्री लाडवा सीट से लड़ेंगे। इस पर सैनी भड़के और कहा कि भाजपा में टिकट का फैसला केंद्रीय चुनाव समिति में होता है, प्रदेश अध्यक्ष फैसला नहीं करता है। उन्होंने करनाल से ही लड़ने का ऐलान भी कर दिया। लेकिन जब सूची आई तो उनका लाडवा सीट के लिए तय हुआ और उनकी करनाल सीट पर जगमोहन आनंद को उम्मीदवार बनाया गया। जगमोहन आनंद की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे मनोहर लाल खट्टर को मीडिया सलाहकार थे। सो, खट्टर ने उनको टिकट दिलाने के लिए मुख्यमंत्री की सीट बदलवा दी।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *