Thursday

24-04-2025 Vol 19

जी-20 लीला के मोदी वोट?

भाजपा मंत्री,नेता, संघ परिवार के मुखिया सभी अभिभूत है। भाजपा बम-बम है। कार्यकर्ता और भक्त आत्मविश्वास में है। सबके लिए नरेंद्र मोदी मानों सूर्य भगवान। उन्ही से पृथ्वी का जीवन, वे ही जगदगुरू। वे भले अपने आपको विश्व मित्र कहें, पर भक्तों के वे विश्वगुरू है और हम सभी भारतीय इन गुरूदेव की भक्त प्रजा! सवाल है तब भला दो महिने बाद होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में, सात महिने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में जगत के सूरज को क्या कोई हरा सकेगा?  कतई नहीं। उलटे नरेंद्र मोदी की सुनामी आएगी। वह जल प्रलय होगा जिसमें वे तमाम विरोधी और खासकर इंडिया वाले घमंडिया ऐसे बह जाएगें जैसे लीबिया के डेरना इलाके में लोग जलप्रलय में बह गए, समुद्र में समा गए। फिर बनेगा असल भारत!

हां, नरेंद्र मोदी की मनोदशा में अशोक गहलोत, कमलनाथ, भूपेश बघेल, चंद्रशेखर राव, राहुल, नीतिश, शरद पवार, खड़गे, सोनिया गांधी आदि कतई घमंडी नहीं है हल्कि चिंदी चींटिया है। आखिर नरेंद्र मोदी विश्व विजेता है। उनकी कमान से शाईनिग जी-20 हुआ। राजघाट पर बाईडन और ऋषि सुनक नंगे पांव पैदल चले। विश्व नेताओं ने अंहिसा का प्रण लिय। मोदीजी के छोड़े अमन के कबूतर बीजिंग, मास्कों, कीव, लंदन, पेरिस, वाशिंगटन, रियो, जोहांसबर्ग जब सब जगह पहुंच हमारी महानता की गुटरगूं कर रहे है तो ऐसे जगद गुरू नरेंद्र मोदी को भारत के लोग कैसे हरा देंगे?

यह सब कोई व्यंग नहीं है। दरअसल नरेंद्र मोदी और भक्त प्रजा का इलहाम है। अमित शाह, जेपी नड्डा, भागवत आदि सबका विश्वास है। जाहिर है वोट किसी शिवराजसिंह, रमनसिंह, वसुंधरा या शेखावत, योगी या फड़नवीस के चेहरे को देख, या भाजपा नाम की दुकान के बोर्ड को देख नहीं पड़ने है बल्कि बल्कि मतदाता सूर्य (मोदी) प्रणाम में वोट डालेंगे है! इंडिया के घमंडिया चिंदी चेहरों, जगत के कीट-पंतगों, उम्मीदवारों-कार्यकर्ताओं का जीतने का कोई अर्थ नहीं है। प्रजा का दिल और दिमाग जब पूरी तरह नरेंद्र मोदी से वशीभूत है तो 40 प्रतिशत मतदाता तो अपने आप नरेंद्र मोदी के चेहरे को ध्यान कर वैसे ही वोट डालेंगे जैसे पुलवामा के बाद डाले थे। वोट नरेंद्र मोदी को पड़ेंगे न कि शिवराजसिंह चौहान के चेहरे या अमित शाह, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, बीएल संतोष आदि के मेनेजमेंट को या बांटी जा रही रेवडियों से।

निश्चित ही 25-30 दिन बाद घोषित होने वाले विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल है। नरेंद्र मोदी ने जैसे जी-20 की बैठक में अचानक पोटली से साझा घोषणापत्र निकाल कर सबको हैरान किया वैसे वे इस सेमी फाइनल में भी करेंगे। कुछ लोगों का कहना होता है कि मैं नरेंद्र मोदी को कुछ ज्यादा ही समर्थवान मानता हूं। पर इसकी वजह उत्तर भारत के हम हिंदुओं की तासीर को मेरा समझना है। नरेंद्र मोदी सफल जादूगर इसलिए है क्योंकि सामने वाला दर्शक बेचारा दीन-हीन-गरीब है और वह तो जुमलों से ही मंत्रमुग्ध, वशीभूत हो जाता है। आखिर जो नस्ल सदियों गुलाम रही, जो मुगलों, गौरो, गांधी, नेहरू, मोदी सबसे अभिभूत रही, जिसका कलियुग सांप-सपेरों की बीन, जादू टोनों में गुजरा है तो उसमें चालाक, वाचाल नेता-अभिनेता कितना समर्थ और महाबली हुआ होगा इसे हर समझदार को मानना चाहिए।

सोचे, जी-20 के समूह देशों में शिखर सम्मेलन एक सालाना रूटिन की इवेंट है। आई-गई बात है। लेकिन नरेंद्र मोदी ने, उनकी सरकार ने, भारत के मीडिया ने इस एक इवेंट को क्या बनाया? चकाचौंध पैदा करता रंगबिरगा आयोजन! तभी जी-20 के अगले अध्यक्ष ब्राजिल के लूला को कहना पड़ा कि हम ऐसा आयोजन नहीं कर सकते! क्यों? इसलिए क्योंकि ब्राजिल के लोग पढ़े-लिखे-समझदार नागरिक है न कि भक्त प्रजा। वहा लूला हवाबाजी, जुमलेबाजी करेंगे तो नागरिक ऐसी तैसी कर डालेंगे। जैसे लूला के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बोलसोनारो को किया या उससे पहले खुद लूला को किया था।

सो भक्त प्रजा की भीड में यदि चुनाव है तो जीतेगा वही, समर्थवान वहीं होगा जो अपने को भगवान दिखलाएं। जिसके मुंह से विश्वमित्र, जगतगुरू जैसे जुमले निकले। जो वक्त अनुसार रंग बदले, पौशाक बदले। कभी कृपा करें तो कभी गाली दे। अपने कलियुगी वक्त में हम हिंदुओं का जीना यदि आस्था से है, बहुमुखी-बहुरूपी लीलाओं से है, अशिक्षा-असुरक्षा और अंधविश्वासों में है तो इस सत्य को नोट रखें कि मोदी का भगवान या गुरू, विजेता होना हम भारतीयों की बुनावट से है।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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