हां, वियतनाम से सीखना चाहिए। वैश्विक तुलना में (विश्व बैंक रिपोर्ट) वियतनाम दुनिया का वह देश है, जहां के स्कूली बच्चे न केवल पढ़ाई, शिक्षण स्कोर में भारत, थाईलैंड, मलेशिया से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, बल्कि ब्रिटेन और कनाडा के छात्रों से भी श्रेष्ठ हैं। (vietnam education)
कोई आश्चर्य नहीं जो श्रेष्ठ शिक्षा, श्रेष्ठ वियतनाम का दुनिया में आज डंका है। वहां के लोगों की तेजी से प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है और दुनिया की यह वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्री लगातार निवेश भारी आकर्षित करते हुए है!
भारत के बच्चों, नौजवानों की शैक्षिक काबिलियत को यदि वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पेरू, चीन, ब्राजील के स्कूली बच्चों के आईने में देखें तो लगेगा हमें अपने आपका कुछ भी तो भान नहीं है। (vietnam education)
वाजपेयी सरकार के समय भारत ने सर्व शिक्षा अभियान में बच्चों के दाखिले कराने, उन्हें फुसलाने-ललचाने और उन्हे मिड डे मिल आदि से कक्षाओं में भीड़ बनवाने का जो महाअभियान चलाया था वह देश की बरबादी में मील का पत्थर है। भारत ने साक्षरता के नाम पर निरक्षरों की भीड़ बनाई।
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बच्चों का भविष्य बरबाद (vietnam education)
बच्चों का भविष्य बरबाद हुआ।तभी गौर करें वैश्विक सर्वेक्षणों के इन तथ्यों पर, भारत में दस साल की उम्र के स्कूली बच्चों में साठ प्रतिशत कायदे से एक पैरा नहीं पढ़ सकते। पांच साल की स्कूलिंग के बाद चालीस प्रतिशत बच्चियां एक पूरा वाक्य सही नहीं पढ़ पातीं।
नौ साल के आधे बच्चे आठ और नौ का जोड़ जितना आसान काम भी नहीं कर सकते। दस साल के आधे भारतीय सात साल के बच्चों के लिए लिखा गया पैराग्राफ नहीं पढ़ सकते। (vietnam education)
15 साल की उम्र में तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश के छात्र शंघाई के अपने साथियों से पांच साल पीछे हैं। इन राज्यों के औसत 15 वर्षीय बच्चे अमेरिकी कक्षा के बॉटम वाले दो प्रतिशत में होंगे। महामारी से पहले भारत के दस साल के बच्चों में से आधे से भी कम बच्चे एक साधारण कहानी पढ़ सकते थे।
भारत के स्कूलों के बच्चों की तुलना में वियतनाम के बच्चे कक्षा, होमवर्क, रटने में कम समय बिताते हैं लेकिन वहां अध्यापक क्योंकि अच्छे, अनुभवी और पूरा ध्यान देने वाले होते है तो बच्चों का शैक्षिक विकास टॉप पर है। (vietnam education)
वियतनाम की स्कूली शिक्षा में जोर गणित और भाषा की साक्षरता पर है क्योंकि वहा मानना है कि यदि इन दो में बच्चों की पुख्ता नींव बन गई तो बाकी विषयों की समझ और आगे की पढ़ाई का शैक्षणिक कौशल बेहतर बनेगा।
भारत में क्या हुआ
वियतनाम के नौजवानों, शिक्षा व्यवस्था की खूबी बच्चों को शैक्षिक काबलियत में ठोस बनाना है। वहां सामाजिक, आर्थिक कारणों याकि सरकारी और प्राइवेट शिक्षा के बच्चों के शैक्षिक विकास में वह असमानता नहीं है जो भारत में भयावह है। (vietnam education)
भारत और दुनिया का फर्क यह भी है कि बाहर सरकारें स्कूली शिक्षा पर ज्यादा खर्च करती हैं। स्कूली शिक्षा को देश की बुनियाद और भविष्य की प्राथमिकता का महत्व है। अध्यापक से दूसरा कोई काम (जैसे भारत में अध्यापकों से मिड डे भोजन पकवाने से ले कर चुनाव कराने के ढेरों काम) नहीं कराया जाता।
वे केवल क्वालिटी शिक्षा और कठोर परीक्षा में बच्चों के अच्छे प्रदर्शन के लिए उत्तरदायी और जवाबदेह होते हैं। वियतनाम का शिक्षा पर जोर अपने राष्ट्र निर्माता हो ची मिन्ह के इस आधार वाक्य पर है कि, ‘दस साल के फायदे के लिए, हमें पेड़ लगाना चाहिए मगर सौ साल के लाभ के लिए हमें लोगों का शैक्षिक विकास करना चाहिए’!
और भारत में क्या हुआ है? शिक्षा के नाम पर भारत में बीस सालों में तैयार पचास करोड़ नौजवानों की भीड़, बेगार वाली है वही बजट में खर्चा ढाई-तीन प्रतिशत! (vietnam education)