यह भारत का नया नारा है! मोदी-शाह, संघ का हिंदुओं से नया आह्वान है। राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला, उद्धव ठाकरे, केजरीवाल, अखिलेश, तेजस्वी जैसे विरोधियों की कमान में दुश्मनों की सेना सामने खड़ी है। पानीपत का अखाड़ा सजा हुआ है। सो, उठो, जागो, रोजी-रोटी की चिंता छोड़ो और लड़ने के लिए कमर कसो। युद्ध मैदान में दिल्ली के राजाधिराज, बादशाहों के बादशाह नरेंद्र मोदी हाथी पर बैठे हैं और संदेश दे रहे हैं- हमारी एकता देश की ढाल है। हम बंटेंगें तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे। इसलिए कांग्रेस और अघाड़ी की दुश्मन सेना के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है।
उधर मुख्य सेनापति अमित शाह ने चाणक्य नीति, धंधे की नीति में दुश्मनों के मोर्चों में सेंध, तोड़फोड़, खरीद फरोख्त, साम-दाम-दंड-भेद सभी तरीकों से मैदान में सेना सजा दी है।
बस एक ही चिंता है। हिंदुओं के ज्ञात इतिहास के पहले अजैविक भगवान नरेंद्र मोदी का जयकारा कुछ कम लग रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत चिंता में हैं। उन्होंने भी जून के बाद भगवानश्री का जयकारा नहीं लगाया तो लोगों में शंका बनी। इसलिए वे भी अब मैदान में कूद पड़े है और कह रहे है हम हिंदू राष्ट्र हैं और हमें एकजुट होना होगा। उधर यूपी में योगी आदित्यनाथ का आह्वान है- बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे।
मान सकते हैं जम्मू कश्मीर और हरियाणा के चुनाव बंटने, कटने की ओर भारत का अगला कदम है! 23 वर्षों से नरेंद्र मोदी की राजनीति से धीरे ही सही भारत के बंटने, कटने की दिशा की ओर बढ़ते कदम एक के बाद एक ठोस हैं। चाहे इसे इजराइल के साथ भारत के कदमताल की कवायद मानें और चाहे इसे अमित शाह के पानीपत की तीसरी लड़ाई में हिदुओं के संकल्प का नया मुकाम मानें। और चाहें तो इस नए मौलिक जुमले को संघ और भाजपा परिवार का विजन समझें।
बंटना हरियाणा और जम्मू कश्मीर दोनों जगह दिखलाई दिया। हरियाणा में मुस्लिम बहुल इलाके (चारों सीटे मुसलमान ने जीती) से पैदा हिंदू भय अगल बगल के गुरूग्राम, फरीदाबाद, अहिरवाल क्षेत्र की सभी सीटों पर दिखलाई दिया। कांग्रेस उम्मीदवारों को अहसास ही नहीं हुआ और वे हार गए। उधर श्रीनगर में मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी तथा हिंदू बहुल जम्मू में दोनों इलाकों में यही मंत्र चला कि ‘बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो लड़ने में कैपेबल होंगे!
वाह! भारत का दिल और दिमाग। उसे कितना भय चाहिए और कितना बंटना! इसमें नरेंद्र मोदी और अमित शाह का अर्थ नहीं है इनका फैसला तो प्रकृति, समय और इतिहास से अपने आप होगा। लेकिन भारत देश का फैसला तो आंखों देखी होता हुआ है। दिल-दिमाग एकता के नाम पर बिखर रहा है और सुरक्षा के नाम पर हर कोई भयाकुल हो रहा है। लड़ने का आह्वान है और चीन भारत को खाता हुआ, आर्थिक गुलाम बनाता हुआ है। इजराइल और ईरान से दिल, दिमाग के फैसले हो रहे हैं तो भूखे पेट में भी कटने को बकरे तैयार हैं!