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10-04-2025 Vol 19

महिला बिल: सोनिया का ठीक कहना- “अपना है”

मोदी जी मंगलवार को नई संसद की लोकसभा में बोले ईश्वर ने इस काम के लिए शायद मुझे चुना है। शब्दों का भीषण जाल बुनते हुए। लेकिन ईश्वर ने तो महिला बिल सोनिया को हाथों राज्यसभा में 2010 में ही पास करवा दिया था।यह सोनिया गांधी की दृढ़ इच्छा शक्ति थी कि मनरेगा जिसे अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला कार्यक्रम कहा था वह लाना, किसानों को 72 हजार करोड़ रुपए के कृषि कर्जों से मुक्ति दिलाना औरउसके बाद महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिला बिल लाकर सबसे बड़ा कदमउठाना।

‘इंडिया’ (INDIA) की बड़ी सफलता! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिन्दू-मुसलमान पिच से बाहर धकेल दिया। कुछ समझ में नहीं आया तो महिला बिल ले आए। यह बिल राजनीतिकरूप से भाजपा के समर्थन में कभी नहीं जा सकता। पुराने भाजपा के नेता इसबात को समझते थे इसीलिए 2010 में लोकसभा में लाने से पहले बैक आउट (पीछेहटना) कर गए। उन दिनों सोनिया गांधी फार्म में थी। उनका जादू चल रहा था।मनरेगा और किसान कर्ज माफी जैसे क्रान्तिकारी फैसले ले चुकी थीं। महिला बिल पर भी भाजपा उनके प्रभाव में आ गई। और राज्यसभा में समर्थन कर दिया।मगर लोकसभा में उस समय वहां की विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मना करदिया। एक तकनीकी कारण लाते हुए कि लोकसभा में मार्शल नहीं आएगा।

राज्यसभा में टेबल पर चढ़कर एक सदस्य द्वारा कांच के ग्लास से अपना हाथ काटने की कोशिश करने के दौरान राज्यसभा में मार्शलों ( सदन के अंदर आ सकने वाले संसद को सुरक्षाकर्मी) का उपयोग करना पड़ा था। इस को बहानालेकर भाजपा ने लोकसभा में बिल के साथ ऐसी शर्त लगा दी कि जिसे कोई पूराकर ही नहीं सकता था। अगर लोकसभा में स्थिति खराब होती तो लोकसभा अध्यक्षको उसे नियंत्रण में करना ही होता। और कोई सरकार यह नहीं कह सकती थी किलोकसभा अध्यक्ष क्या करें क्या नहीं करें? पूरी तरह उनके क्षेत्राधिकारका मामला होता है।

मगर समय बड़ा बलवान होता है। लोकसभा में अब उसी बिल को भाजपा के द्वारापेश करवाया। लेकिन जैसा कि सोनिया गांधी ने कहा कि “ बिल अपना है! “ सहीबात है। इसक श्रेय सोनिया गांधी से कोई नहीं छीन सकता। यह सोनिया गांधीकी दृढ़ इच्छा शक्ति थी कि मनरेगा जिसे अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों केविशेषज्ञों ने दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला कार्यक्रम कहा था वहलाना, किसानों को 72 हजार करोड़ रुपए के कृषि कर्जों से मुक्ति दिलाना औरउसके बाद महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिला बिल लाकर सबसे बड़ा कदमउठाना।

इतिहास इसे कभी लिखेगा कि सोनिया जैसी मजबूत इरादों की महिला नेता भारतमें कम हुई हैं। आजादी के बाद केवल इन्दिरा गांधी का नाम है जिनके फौलादीइरादों के सामने अमेरिका का सातवां बेड़ा भी हिचकोले खाने लगा था।राष्ट्रपति निक्सन वहां बैठकर इन्दिरा को गालियां देते रह गए और यहां एकलाख पाकिस्तानी सैनिक आत्म समर्मण कर गए। इन्दिरा का विरोध करने के लिएहमारा गोदी मीडिया राष्ट्रपति निक्सन तक को महान बता देता है। अभी एकटीवी एंकर ने कांग्रेस के प्रखर प्रवक्ता आलोक शर्मा का विरोध करने केलिए निक्सन की प्रशंसा कर डाली की उन्होंने किस तरह इन्दिरा गांधी कोइन्तजार करवाया था। अपने इन्दिरा विरोध में वे यह भूल गईं कि वे अपमानभारत की प्रधानमंत्री का कर रही हैं। उन प्रधानमंत्री का जो इतनी ताकतवरथीं कि एक नया देश तक (बांग्ला देश) बनवा सकती थीं।

खैर इन्दिरा जी को यब भक्त लोग क्या समझेंगे। उन्होंने तो राजा रानी जोदेश में सबसे ताकतवर और विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग था उसके सारेविशेषाधिकार ( प्रिवलेज) और भत्ते ( प्रीविपर्स) एक झटके में खत्म कर दिएथे। देश की दूसरी ताकतवर लाबी थी सेठों की। उनके सारे बैंकों को जो केवलबड़े लोगों के ही काम में आते थे उनसे छीनकर आम जनता के हाथ में दे दिए।बैंकों का राष्ट्रीयकरण। हरित क्रान्ति।

लंबी कहानी है। और इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि उनकी बहु सोनिया ने इसदेश हित के लिए आम जनता के लिए सिद्धांत के लिए बड़े से बड़ा फैसला लेनेमें नहीं हिचकिचाने की परंपरा को उसी मजबूती से जारी रखा।

इसलिए आज सोनिया गर्व से कह पाती हैं कि महिला बिल अपना। कम लोगों को पताहोगा कि सोनिया ने उस समय कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक में कहा था किमुझे मालूम है कि हमारी पार्टी के भी कई लोग इस बिल के विरोधी हैं। मगरदेश की महिलाओं को उनका हिस्सा देने के लिए यह बिल जरूरी है। हम इसे पासकरवाएंगे।

अभी यूपी के मुख्यमंत्री योगी का एक वीडियो चल रहा है जिसमें वे महिलाबिल का विरोध कर रहे हैं। ऐसे उस समय कई बीजेपी के नेता थे। भाजपा उन्हेंकंट्रोल नहीं कर पाई और इसीलिए उसने लोकसभा में बिल का समर्थन करने सेमना कर दिया। मार्शल का बहुत पोचा बहाना लेकर। सोनिया के सामने भी यहीस्थिति थी। मगर उन्होंने बिल के विरोधियों के सामने झुकने से इनकार करदिया। यही होता है विचारों का फर्क।

दक्षिणपंथी, प्रतिक्रियावादी और क्रोनी कैपटलिज्म के समर्थक लोग महिला,दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक के हित में कभी खड़े नहीं हो सकते। यहदेश का बहुसंख्यक वर्ग है। मगर जैसा कि पिछले साढ़े 9 साल में देखा किसरकार के पास इसके लिए कुछ नहीं है। इसे और गरीबी, बेरोजगारी की दलदल मेंधकेल दिया है। यूपीए की सरकार ने देश के एक तिहाई लोगों को गरीबी सेनिकाला था। मगर अब देश के 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज मुफ्त पानेवाली श्रेणी में ला दिया है।

सोनिया ने काम दिया था मनरेगा में। भाजपा ने काम छीन लिया मुफ्त अनाजशुरू कर दिया। इससे बाजार बड़ा नहीं। और गिरता चला गया। लोगों को काम दोउसका पूऱा मुआवजा दो बाजार में पैसा आएगा। मजदूर, किसान, भूमिहीन किसानसब आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। उनकी खरीद क्षमता बढ़ेगी तो उत्पादनबढ़ेगा।

लेकिन रोजगार बढ़ाने के बदले इन साढ़े 9 सालों में नफरत और विभाजन बढ़ादिया गया। पूरे देश को हिन्दू मुसलमान की राजनीति में बांट दिया गया। हरजगह वही माहौल बना दिया। मीडिया ने इसे अपना सबसे बड़ा अजेन्डा बना लिया।लेकिन हर चीज का अंत होता है। इस हिन्दू मुसलमान की राजनीति का भी आ गया।

विपक्षी दलों के गठबंधन इन्डिया के सशक्त होते ही देश में मूल मुद्दों परबात होने लगी। लोगों को इन्डिया से उम्मीद दिखी तो वह अपनी गरीबी,बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी स्कूलों का बंद होना, सरकारी अस्पतालों को

खत्म करना जैसे रोजमर्रा के सवालों पर बात करने लगी। उसका हिन्दू मुसलमानका नशा टूटा। उसकी समझ में आने लगा कि साढ़े 9 साल तक उसे जो अफीम पिलाईगई उससे उसे मिला क्या। दस साल पहले तो वह नौकरी करता था। आज वह भीबेरोजगार है और उसका जवान हुआ लड़का भी।

इसी माहौल का भांप कर मोदी जी महिला बिल लाए हैं। खुद को सारा श्रेय देनेकी कोशिश करते हुए। मंगलवार को नई संसद की लोकसभा में बोले ईश्वर ने इसकाम के लिए शायद मुझे चुना है। शब्दों का भीषण जाल बुनते हुए। लेकिनईश्वर ने तो महिला बिल सोनिया को हाथों राज्यसभा में 2010 में ही पासकरवा दिया था।

और यह विचार महिला आरक्षण का राजीव गांधी ने दिया था सबसे पहले। 1989 मेंस्थानीय निकाय चुनावों के लिए। यह भी महिला बिल की तरह संसद के एक सदनमें रोक दिया गया था। जिसे बाद में कांग्रेस सरकार ने 1993 में पासकरवाया।

अभी हाल में हुई कांग्रेस की हैदराबाद में वर्किंग कमेटी की मीटिंग मेंमहिला बिल के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया गया। 2018 में कांग्रेसअध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने इसे पास करवाने के लिए प्रधानमंत्रीमोदी को पत्र लिखा था। और पिछले साल यूपी चुनाव में इसे अमली जामा पहनातेहुए प्रियंका गांधी ने चालीस प्रतिशत टिकट सीधे महिलाओं को दे दिए थे।

इसलिए बिल पास हो अच्छी बात है। मोदी जी इसका श्रेय लेने की कोशिश करेंयह भी बुरा नहीं है। मगर जो दीवार पर लिख दिया गया वह तो लिख दिया गया।

बिल अपना है!

शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

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