modi trump : जब दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपने देश की बात ट्रंप के सामने रख सकते थे तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और खुद को विश्व गुरु कहने वाले देश के प्रधानमंत्री चुप क्यों बैठे रहे? और फिर इतिहास है कि मिटता नहीं। लोगों को याद इन्दिरा गांधी भी आ गईं जो ऐसी ही अमेरिकी दादागिरी के सामने आंख से आंख मिलाकर उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को मुंहतोड़ जवाब दे आईं थीं।…तो घर में वापस अपनी शान बनाना थी तो…
एक बड़ा मशहूर जनगीत है। लेकिन अब सुनाई नहीं देता। वह प्रधानमंत्री मोदी के शावकों और कांच की अदृश्य कर दी गई दीवार के पार शेरों से आंख मिलाते फोटोओं और उन पर वीर रस के कैप्श्न देख कर अचानक याद आ गया। (modi trump)
ब्रजमोहन प्रसिद्ध जनकवि का यह गीत है –
“ बाहर बस न चले कोई तो
चल औरत को मारें घर में
अपनी सारी खिसियाहट को
औरत पे उतारें घर में
– – –
इससे बढ़ती शान
मूंछ के बाल खड़े रहते हैं
बाहर कद कितना हो छोटा
घर में बड़े रहते हैं
– – –
बाहर जितने धक्के खाएं
घर में उतना अकड़ें
बाहर कुछ न हाथ लगे
पर घर में शान बघारें
– – –
आंख पे पट्टी बांधी हमने
जो चाहे सो लूटे”
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70 साल में पहली बार यह दृश्य देखा (modi trump)
अमेरिका अपने सामान को भारत में बेचने पर कम टैक्स लगाने को कह रहा है। भारत के अमेरिका जाने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगाने को जिसे टेरिफ कहा जा रहा है।
युद्ध में काम आने वाले उन जहाजों एफ 35 को भारत से खरीदने को कह रहा है जिन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे लड़ाकू जहाज नहीं माना जाता है। भारत का कृषि बाजार अमेरिका के लिए खोलने को कह रहा है अगर यह हो जाता है तो भारत का किसान और बरबाद हो जाएगा।
और इन सब पर भी उसे चैन नहीं है तो हमारे प्रधानमंत्री के अमेरिका जाने के बाद भी वहां से दो और युद्ध के विमानों में भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी में बांधकर यहां भेज रहा है। (modi trump)
एक जहाज उनके जाने से पहले भेजा था। जिसमें भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी में देखकर उस समय चल रही संसद हिल गई थी। सत्तर साल में पहली बार यह दृश्य देखा था। तब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में बयान देते हुए कहा था हम अमेरिका से बात करेंगे अब ऐसा नहीं होगा।
इतिहास है कि मिटता नहीं
मगर भारतीय प्रधानमंत्री वहां गए। ट्रंप के साथ बैठे। और ट्रंप ने उनके सामने ही भारत को खूब खरी खोटी सुनाईं। ज्यादा टैरिफ लगाने वाला, झूठे आरोप लगाने वाला ( एब्यूजर) सब कुछ कहा। और हमारे प्रधानमंत्री चुपचाप सुनते रहे। वैसे आफ कैमरा ( पर्दे के पीछे) होती तो कोई बात नहीं थी।
मगर वीडियो आ गया। और ऐसे ही दो वीडियो और आ गए। एक में फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रों ऐसी गलतबयानी पर ट्रंप का हाथ पकड़कर रोक देते हैं। और अपनी बात कहते हैं। दूसरे में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उप राष्ट्रपति वेन्स को ऐसे ही यूक्रेन के खिलाफ बोलने पर अपने देश का पक्ष रखते हैं। (modi trump)
तीनों वीडियो एक साथ आने से गड़बड़ हो गई। भारत में चाहे दबे स्वरों से ही सही यह बात उठने लगी कि जब दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपने देश की बात ट्रंप के सामने रख सकते थे तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और खुद को विश्व गुरु कहने वाले देश के प्रधानमंत्री चुप क्यों बैठे रहे?
और फिर इतिहास है कि मिटता नहीं। लोगों को याद इन्दिरा गांधी भी आ गईं जो ऐसी ही अमेरिकी दादागिरी के सामने आंख से आंख मिलाकर उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को मुंहतोड़ जवाब दे आईं थीं। (modi trump)
घर में वापस अपनी शान बनाना
तो घर में वापस अपनी शान बनाना थी। फिर से अपनी लाल आंखें और 56 इंच की छाती याद दिलाना थी तो पी आर कंपनियों ने गुजरात में शेरों के बीच पहुंचा दिया। कल दिन भर टीवी में और आज अखबारों में प्रधानमंत्री को शेरों के सामने दिखाकर कोशिश की गई कि अमेरिका में प्रधानमंत्री के साथ हुए सलूक को लोग भूल जाएं।
यह घर में हेड लाइन मैनेजमेंट, इंवेट बनाना और पी आर के जरिए छवि निर्माण करना फिर सफल होगा या नहीं यह समय बताएगा। फिलहाल तो चल ही रहा है। (modi trump)
वही कविता कि-
“ बाहर जितने धक्के खाएं
घर में उतना अकड़ें !“
शेरों की कहानी इसीलिए लाई गई। मगर नकली छवि बनाने वाले पीआऱ के लोग यह भूल गए कि नेहरू से लेकर इन्दिरा गांधी तक के शेरों और शावकों के साथ तमाम फोटों हैं। (modi trump)
और जो अन्तरराष्ट्रीय किताबों में संकलित हैं। अख़बार की खबर और फोटो को कोई पीआर कंपनी अच्छे प्रकाशकों की किताबों में शामिल नहीं करवा सकती। स्थाई इतिहास नहीं बनवा सकती।
इसके साथ ही मीडिया मैनेजमेंट करने वाले यह भी भूल गए कि क्या जिस वनतारा नाम के वन्यजीव अभ्यारण्य में प्रधानमंत्री जी को भेजा था वह वैधानिक है?
उसकी 3500 एकड़ जमीन क्या वन्य प्राणी उद्यान के लिए अंबानी को कानूनी रूप से मिली हुई है? क्या किसी उद्योगपति को इस तरह वन्य पशु रखने की कानूनी परमिशन है? (modi trump)
वन्य जीव कानून क्या कहते हैं? एक टीवी का एंकर जाकर वहां जानवरों की खिचड़ी खा आए वह अलग बात है लेकिन देश का प्रधानमंत्री बोतल से शावक को दूध पिलाए क्या यह वन्य जीव कानूनों के अनुरूप है।
मीडिया ढोल पीटने के लिए है ही
प्रधानमंत्री या किसी और वीवीआईपी राष्ट्रपति वगैरह के वन्य जीवों को देखने जाने का एक बड़ा उद्देश्य यह होता है कि जनता में उसको लेकर जागरूकता, सही मैसेज पहुंचाना। जानवरों को न छेड़े, हाथ न लगाएं।
आप चिड़ियाघर से लेकर वन्य जीव अभयारण्यों तक कई जगह देखते होंगे कि लोग जानवरों को छेड़ते हैं। खाने को डालते हैं। यह सब जानवरों के लिए उपयुक्त नहीं होता है। सिर्फ आब्जर्व करना होता है। (modi trump)
बर्ड सेंचूरी में अब का पता नहीं मगर पहले तो वहां का स्टाफ इतना वेल ट्रेन्ड और पक्षी प्रेमी होता था कि आपको अनावश्यक हरकत ( यहां हरकत का मतलब एकदम फौजी ट्रेनिंग वाला ही है।
एनसीसी करे लोग जानते होंगे। ट्रेनिंग में प्रशिक्षक कहता है हरकत नहीं! मतलब हिलना डुलना नहीं) करने से भी रोकता था। मगर आज हेडलाइन मैनेजमेंट और पीआर करके जनता को भ्रमित करने के दौर में आदर्श सिद्दांत छोड़िए, सामान्य नियम कानूनों की भी क्या परवाह है? असली उद्देश्य था लोग अमेरिका द्वारा किए गए अपमान को भूल जाएं और यहां चिडियाघर के शेरों के सामने दिखाई बहादुरी को याद रखें।
मीडिया ढोल पीटने के लिए है ही। वह तो मैं बायलोजिकल ( सबकी तरह मां के पेट से पैदा) नहीं कहने को भी सच बताने में जुट गया था। मीडिया से जो कहा जाएगा करेगा। (modi trump)
अब तो कहने की जरूरत नहीं (modi trump)
और अब तो कहने की जरूरत नहीं। यह वह वाला किस्सा है जो तलाक लेने के लिए आदमी या औरत वकील के पास जाते हैं और कहते हैं कि इस इस वजह से तलाक चाहिए। तो वकील कहता है कि वजह बताने की जरूरत नहीं वह मैं खुद कोर्ट को बता दूंगा!
अब वैसा ही है मीडिया को बताने की जरूरत नहीं वह खुद ही कहानी गढ़ लेता है। (modi trump)
मगर कहानी कहानी होती है। सच्चाई, वह बड़ा पुराना और एक हद तक घिसा पिटा शेर है कि सच्चाई छुप नहीं सकती कभी झूठे उसूलों से – – -!
तो वह हो बड़ा सामान्य जिसे कहते हैं लो मार्केट ( कम पढ़े लिखे लोगों की दुनिया ) में सुनाया जाना वाला मगर इस समय तो चूंकि मार्केट ही पूरा लो ( नीचे गिर गया है) हो गया है तो वही याद आता है।
और विश्वास दिलाता है कि सच्चाई छुपेगी नहीं। नकली फूल किसी दिन नकली फूल साबित होंगे। बाहर असफल साबित होकर घर में झूठी शान बघारना बहुत दिनों नहीं चलेगा। (modi trump)