पाकिस्तान की सरकार का इकबाल समाप्त हो चुका है। ऐसे में पाकिस्तान का बिखरना तय दिख रहा है। भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान की अस्तित्व समाप्त हो, उसका विभाजन हो तो ऐसा होना चाहिए। पाकिस्तान का विभाजन न सिर्फ भारत की बाह्य व आंतरिक सुरक्षा के लिए अहम है, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए जरूरी है। उसके विभाजन और उसके कमजोर होने से पूरी दुनिया में आतंकवाद के निर्यात की फैक्टरी भी बंद होगी।
पाकिस्तान ने हिंदुस्तान की सहनशीलता की परीक्षा लेने का दुस्साहस किया है। लेकिन यह उसका आखिरी दुस्साहस हो सकता है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या करके उसने अपने लिए बड़े संकट को न्योता दिया है। भारत की पहली प्रतिक्रिया बहुत सधी हुई है। लेकिन यह बड़े तूफान से पहले की शांति है। इस समय पूरी विश्व बिरादरी भारत के साथ है। पहली बार ऐसा हुआ कि सऊदी अरब ने भी आतंकवादी हमले की सार्वजनिक आलोचना की और भारत का साथ दिया। अमेरिका और रूस दोनों ने न सिर्फ इस कायराना हमले की आलोचना की, बल्कि इसका जवाब देने के हिंदुस्तान के अधिकार को स्वीकार किया। वैसे भी पूरी दुनिया इस समय आतंकवाद को लेकर निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर रहा है। पहलगाम में हुए हमले पर भारत की कार्रवाई से उस लड़ाई की शुरुआत हो सकती है। पाकिस्तान ने पहले पठानकोट किया, फिर पुलवामा किया और अब पहलगाम किया है, इसके बाद उसके प्रलय की बारी है।
अब तक अक्सर कहा जाता था कि आतंकवाद का धर्म नहीं होता है। लेकिन पहलगाम के निर्दोष नागरिकों का नरसंहार करने वाले आतंकवादियों ने यह मिथक भी तोड़ दिया। ऐसे कह सकते हैं कि आतंकवाद के धर्म को लेकर एक झीना सा जो परदा था उसे पहलगाम के कातिलों ने हटा दिया। उन्होंने धर्म पूछ कर लोगों की हत्या की। गोली चलाने से पहले उन्हें कलमा पढ़ने को कहा यानी यह साबित करने को कहा कि वह किस धर्म का है। फ्लोरिडा में बस गए एक भारतीय नागरिक से पहला कलमा पढ़ने को कहा गया। वे नहीं पढ़ पाए। उन्होंने गर्व से कहा कि वे हिंदू हैं लेकिन वाक्य पूरा होने से पहले ही आतंकवादियों ने उनको गोली मार दी। दूसरी ओर असम के एक प्रोफेसर ने कलमा पढ़ दिया क्योंकि असम यूनिवर्सिटी में उन्होंने इसे सीखा था तो उनकी जान बच गई। वे मौत के मुंह से सिर्फ इसलिए निकल गए क्योंकि वे कलमा पढ़ पाए। ये घटनाएं क्या यह नहीं साबित करती हैं कि आतंकवाद का धर्म होता है? आतंकवादियों ने एक मुस्लिम की भी हत्या की लेकिन उस बहादुर मुस्लिम युवक की हत्या उसके धर्म के कारण नहीं हुई, बल्कि इस कारण हुई कि वह आतंकवादियों के काम में बाधा बन रहा था।
पहलगाम की घटना के बाद कह सकते हैं कि पाकिस्तान ने अपने बचाव के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं और सारे विकल्प गंवा दिए हैं। जिस तरह महाभारत में शिशुपाल को भगवान श्रीकृष्ण ने सौवीं गलती होने के बाद मारा था उसी तरह पाकिस्तान का भी समय आ गया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में मधुबनी की सभा से समूचे विश्व को संदेश दिया कि आतंकवाद के सफाए का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद की बचीखुची जमीन को भी मिट्टी में मिला देने का समय आ गया है। इससे पहले उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक करके या एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को यह संकेत दिया था कि अगर उसने भारत के खिलाफ छद्म युद्ध बंद नहीं किया और आतंकवादी घटनाएं बंद नहीं हुईं तो भारत क्या कर सकता है। फिर भी पाकिस्तान नहीं सुधरा। वह अपनी सीमा में आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर चलाता रहा। पहलगाम में उसके आतंकवादियों ने जो किया है उससे यह प्रमाणित हो गया है कि पाकिस्तान नहीं सुधरने वाला है। इसलिए अब निर्णायक कार्रवाई का समय है।
पहली निर्णायक कार्रवाई सिंधु जल समझौते को स्थगित करना है। यह पाकिस्तान की ऐसी दुखती नस है, जिसे तीन बार के प्रत्यक्ष युद्ध और दशकों के छद्म युद्ध के बावजूद किसी सरकार ने पिछले 65 साल में नहीं दबाया था। पहलगाम की घटना के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस संधि को स्थगित करने का निर्णय किया। भारत सरकार ने सिर्फ निर्णय नहीं किया, बल्कि उसके क्रियान्वयन की भी तैयारी कर ली। माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के साथ विदेश मंत्री और जलशक्ति मंत्री की बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि भारत एक बूंद पानी पाकिस्तान को नहीं जाने देगा। सरकार ने फैसला करते ही पाकिस्तान को इसकी अधिसूचना भेज दी है और पानी रोकने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है। अगले कुछ बरसों में भारत सिंधु नदी घाटी की नदियों खास कर सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी रोकने और उसका संरक्षण करने का बुनियादी ढांचा तैयार कर लेगा। इसके साथ ही नई पनबिजली परियोजनाएं भी शुरू होंगी। भारत अपने पानी का इस्तेमाल अपने नागरिकों के लिए करेगा। भारत सरकार का एक यह साहसिक फैसला पाकिस्तान को घुटनों पर ला देगा। पाकिस्तान के शासक इस फैसले से बिलबिलाएं हैं तभी युद्ध की गीदड़भभकी दे रहे हैं। उनको पता है कि भारत के पानी रोकते ही पाकिस्तान के बड़े हिस्से में खेती किसानी बंद होगी और कृषि आधारित उसकी अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ जाएगा। उसके नागरिक बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। यह एक मास्टरस्ट्रोक है, जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।
इस बड़े और ऐतिहासिक फैसले से आगे तीन तरह की कार्रवाई का अंदाजा लगाया जा सकता है। पहला, पाकिस्तान की सीमा में घुस कर आतंकवादियों का लॉन्च पैड नष्ट करना और उनके पूरे नेटवर्क को समाप्त करना। दूसरा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त कराना और उसे भारत का हिस्सा बनाना और तीसरा, पाकिस्तान का विभाजन। अगर पहले कदम की बात करें तो भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर एयर स्ट्राइक भी किया है और सर्जिकल स्ट्राइक भी किया है। लेकिन तब भारत की कार्रवाई तात्कालिक प्रतिक्रिया थी और यह दिखाने वाली थी कि भारत क्या कर सकने में सक्षम है। अब उसे निर्णायक कार्रवाई करनी है। भारत के पास मुजफ्फराबाद और बहावलपुर के आसपास के सारे आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों की जानकारी है। लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद या इस तरह के जितने भी आतंकवादी संगठन हैं उनका ढांचा एक बार में समाप्त किया जाए। सरकार ने अच्छा किया कि तत्काल इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि पाकिस्तान आतंकवादी हमला करा कर भारत के ऐसे किसी कदम का इंतजार कर रहा था। बाद में ऐसी रिपोर्ट भी आई कि उसने कराची से 18 लड़ाकू विमान पाक अधिकृत कश्मीर के आसपास तैनात किए और 45 हजार जवानों को वहां तैनात किया है ताकि भारत कोई कार्रवाई करे तो उसका जवाब दिया जा सके। हालांकि पाकिस्तानी वायु सेना की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह भारत का मुकाबला करे सके फिर भी युद्ध छेड़ने की बजाय रणनीतिक रूप से आतंकवादियों का ढांचा नष्ट करना ज्यादा उचित होगा।
दूसरा कदम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की मुक्ति है। यह बहुत जरूरी है। अब इसका समय आ गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग खुद भी पाकिस्तान से उबे हुए हैं और मुक्ति की मांग कर रहे हैं। वे गरीबी और बेरोजगारी से परेशान हैं। भारत अगर उनकी मुक्ति का प्रयास करता है तो वे इसका साथ देंगे। पाकिस्तान की सेना ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह पाक अधिकृत कश्मीर को बचा सके। ध्यान रहे भारत ने जब से पूर्वी पाकिस्तान को अलग करा कर बांग्लादेश का गठन कराया, तब से पाकिस्तान चोट खाए हुए नाग की तरह फुफकार रहा है। उसको यह घाव बहुत गहरा लगा है और तभी से पाकिस्तानी सेना, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सरकारें भारत को भी वैसा ही घाव देने की कोशिश में लगी हैं। यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय जीवन का लक्ष्य है। इसके लिए उसने सारे संसाधन झोंके हैं। इसके लिए उसने परमाणु हथियार बनाए हैं। लेकिन वह न तो अपने लक्ष्य में कामयाब हुआ है और न हो कामयाब हो पाएगा। उससे पहले अगर भारत उसे एक और घाव देता है, अपने हिस्से का कश्मीर उसके कब्जे से मुक्त कराता है तो वह और पस्त होगा। दुनिया में चीन को छोड़ कर दूसरा कोई देश भारत के इस कदम का विरोध नहीं करेगा। चीन भी ज्यादा विरोध न करे इसके कूटनीतिक प्रयास होने चाहिए। इस समय अमेरिका के टैरिफ वॉर से परेशान चीन भी भारत की ओर देख रहा है। कह सकते हैं कि सामरिक, आर्थिक और भू राजनीतिक स्थितियां ऐसी हैं कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त करा सकता है। अगर वह भारत का हिस्सा बन गया तो एक बड़ा बफऱ भारत को हासिल हो जाएगा। अभी यह बफर पाकिस्तान को हासिल है। पाक अधिकृत कश्मीर के भारत में आ जाने के बाद सीधी पाकिस्तानी सीमा तक भारत की पहुंच होगी।
तीसरा कदम पाकिस्तान के बाल्कनाइजेशन का है। वह प्रक्रिया पहले से चल रही है। पहले ही पाकिस्तान के बिखराव की पटकथा लिखी जा चुकी है। बलूचिस्तान लगभग आजाद हो गया है। बलूच विद्रोहियों ने पिछले दिनों क्वेटा में पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी के लोगों से भरी ट्रेन जफर एक्सप्रेस को अगवा कर लिया था। इस कार्रवाई में पाकिस्तान के अनेक लोग और सैनिक मारे गए। पहलगाम हमले के बाद बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान के 10 सैनिकों को मार गिराया है। बलूचिस्तान में जब भी ऐसी घटना होती है तो पाकिस्तान यही कहता है कि भारत ने कराया है। बहरहाल, एक तरफ बलूच विद्रोहियों ने बगावत का झंडा उठाया है तो दूसरी ओर सिंध की आजादी का आंदोलन तेज हो गया है। उधर तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने अपना वर्चस्व कई हिस्सों में बना लिया है। चीन जैसे देश को पाकिस्तानी तालिबान से निपटने के लिए अलग अलग समझौते करने पड़ रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि दुनिया के वैसे देश, जिनका किसी तरह का हित पाकिस्तान से जुड़ा है वे स्वतंत्र रूप से नॉन स्टेट एक्टर्स यानी अलगाववादी और आतंकवादी संगठनों से समझौता कर रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार का इकबाल समाप्त हो चुका है। ऐसे में पाकिस्तान का बिखरना तय दिख रहा है। दुनिया के देश अपनी सीमा को सुरक्षित रखने के लिए और अपने नागरिकों की सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए कदम उठाते हैं। अगर भारत की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान की अस्तित्व समाप्त हो, उसका विभाजन हो तो ऐसा होना चाहिए। पाकिस्तान का विभाजन न सिर्फ भारत की बाह्य व आंतरिक सुरक्षा के लिए अहम है, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए जरूरी है। उसके विभाजन और उसके कमजोर होने से पूरी दुनिया में आतंकवाद के निर्यात की फैक्टरी भी बंद होगी। (लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)