कई बार किसी के दुनिया से जाने के बाद लोगों को पता लगता है कि वह अपने क्षेत्र का कितना अहम, कितना महारथी और कितना लोकप्रिय व्यक्ति था। दर्शकों और मीडिया को अक्सर कलाकारों और कुछ बड़े फिल्मकारों से ही मतलब रहता है। मगर ध्यान रखिए, सिनेमा उद्योग के नब्बे फ़ीसदी से भी ज़्यादा लोग परदे के पीछे यानी नेपथ्य में रहते हैं। ये कई श्रेणियों में विभाजित हैं। कुछ की आमदनी ठीकठाक है, मगर ज़्यादातर का जीवन संघर्ष से ऊपर नहीं उठ पाता। उनके बारे में जानने की किसी को फ़ुरसत नहीं। कहा नहीं जा सकता कि आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने आत्महत्या नहीं की होती तो क्या उनके जाने की इतनी बड़ी खबर बनती।
बहरहाल, अपने बॉलीवुड की लगभग सभी बड़ी हस्तियों ने नितिन देसाई की असमय विदाई पर दुख जताया है। वे बड़े आर्टिस्ट थे, हर दिन हर वक़्त कलात्मकता की धुन में खोए रहने वाले। उन्होंने अनेक बड़ी फ़िल्मों में आर्ट डायरेक्शन दिया। मतलब, उन फ़िल्मों के सेट उन्होंने सोचे और डिज़ाइन किए। टीवी सीरियलों से शुरूआत करके वे ‘देवदास’, ‘लगान’, ‘मंगल पांडे’, ‘प्रेम रतन धन पायो’, ‘जोधा अकबर’, ‘पानीपत’, ‘वांटेड’, ‘बॉडीगार्ड’ और ‘किक’ जैसी महंगी फिल्मों तक पहुंचे। हॉलीवुड के फ़िल्मकार ओलिवर स्टोन अपनी ‘एलेक्जेंडर द ग्रेट’ का कुछ हिस्सा भारत में शूट करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें किसी ने नितिन देसाई का नाम सुझाया। वे भारत आए और नितिन को लेकर उदयपुर और लद्दाख गए। लेकिन उन्हें यहां के स्टूडियो में वह इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं मिला जो उन्हें चाहिए था। वे लौट गए और निराश नितिन देसाई ने तय किया कि वे खुद एक स्टूडियो बनाएंगे जो हॉलीवुड के स्टूडियो की टक्कर का होगा।
मुंबई से करीब साठ किमी दूर करजत में इसके लिए नितिन देसाई ने 43 एकड़ जमीन खरीदी और अपना सपनीला एनडी स्टूडियो बनाया। यह कोई आसान बात नहीं है कि कोई आर्ट डायरेक्टर इतना बड़ा स्टूडियो खड़ा कर ले। मगर इसके लिए उन्हें कर्ज़ लेना पड़ा जो बढ़ते-बढ़ते 252 करोड़ हो गया। अब इसे चुकाने के लिए भी उन्हें कर्ज़ चाहिए था जो नहीं मिल पाया और मामला एनसीएलटी यानी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में पहुंच गया। कुछ महीनों से कर्मचारियों को पैसा देने में भी दिक्कत आने लगी। कई लोग तो नौकरी छोड़ कर चले गए। नितिन देसाई की माली हालत और स्वास्थ्य दोनों बदतर होते जा रहे थे। ऐसे में उन्हें अकेलेपन ने दबोचना शुरू किया। अपने बनाए स्टूडियो में उनके प्राण बसते थे। वे ज़्यादातर समय रहा भी यहीं करते थे। पिछले मंगलवार की रात स्टूडियो में ही उन्होंने अपना अंतिम फ़ैसला लिया और बुधवार की सुबह 58 बरस के नितिन देसाई फंदे से लटकते पाए गए।
कर्ज़ देने वाली एक कंपनी के पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। कोई ऑडियो क्लिप मिला बताया जाता है जिसमें नितिन ने कुछ लोगों पर आरोप लगाए हैं। और भी तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं। मगर सच यह है कि आप कितने भी बड़े आर्ट डायरेक्टर हों और कितना भी कलात्मक सोच लेते हों, लेकिन अपनी ज़िंदगी को आप डिज़ाइन नहीं कर सकते। अपने सेट तो ज़िंदगी खुद ही डिज़ाइन करती है।