सरकार समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू करने के अपने संकल्प पर भी आगे बढ़ेगी। सहयोगी पार्टियों के साथ सहमति बनाते हुए यह काम किया जाएगा। ध्यान रहे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कह दिया है कि सरकार बहुमत से बनती है लेकिन राजकाज सर्वमत से चलता है। इसलिए वे सर्वमत बनाते हुए अपने इस एजेंडे को आगे ले जाएंगे।
एस. सुनील
प्रलय की भविष्यवाणी करने वालों को निराशा हुई है। सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को किसी के सामने झुकना नहीं पड़ा और न कोई समझौता करना पड़ा। इतना ही नहीं सहयोगी पार्टियों की ओर से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी बात का दबाव डाले जाने की भी कोई घटना नहीं हुई। चुनाव नतीजों के बाद कहा जा रहा था कि यह ‘मोदी सरकार’ नहीं है, बल्कि ‘एनडीए सरकार’ है और इसके गठन के लिए बड़े समझौते करने होंगे। दावा किया जा रहा था कि नीतीश कुमार रेल मंत्री पद लिए बगैर नहीं मानेंगे तो चंद्रबाबू नायडू भी गृह या वित्त मंत्रालय और स्पीकर का पद लिए बगैर सरकार का गठन नहीं होने देंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सहयोगी पार्टियों की संख्या और मंत्री पद की अधिकतम तय सीमा को देखते हुए प्रधानमंत्री ने जिस पार्टी को जितने मंत्री पद दिए उसे उसने सहर्ष स्वीकार किया। किसी ने कोई मोलभाव नहीं की और कोई सौदेबाजी नहीं हुई।
जब सरकार बन गई और प्रधानमंत्री के साथ साथ 71 मंत्रियों के मंत्रिमंडल की शपथ हो गई तब कहा जाने लगा कि यह मजबूत नहीं मजबूर सरकार है और प्रधानमंत्री को बड़े समझौते करने पड़ेंगे। मंत्रालयों की घोषणा में जब 24 घंटे का समय लग गया तब तो और भी कई तरह के दावे किए जाने लगे। लेकिन जब मंत्रालय बंटे तो सारी धुंध छंट गई। प्रधानमंत्री ने सभी अहम मंत्रालयों में पुराने मंत्रियों को फिर से जिम्मेदारी सौंपी। राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री बने रहे तो अमित शाह को फिर गृह मंत्रालय का जिम्मा मिला। निर्मला सीतारमण वित्त और एस जयशंकर विदेश मंत्रालय संभालते रहेंगे। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय का जिम्मे पहले दो बार की तरह इस बार भी नितिन गडकरी को मिला।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अपनी टीम की निरंतरता भी बनाए रखी। मंत्रिमंडल के गठन के तुरंत बाद यह अधिसूचना जारी हो गई कि पीके मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और अजित डोवाल देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे। पूर्व आईएएस अधिकारी अमित खरे और तरुण कपूर भी पहले की तरह प्रधानमंत्री के सलाहकार की जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में 26 जून को स्पीकर का चुनाव होगा और यह तय है कि भारतीय जनता पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता आम सहमति से स्पीकर चुना जाएगा।
यह ध्यान रखने की बात है कि इस बार का मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री की टीम बड़ा अनुभव लिए हुए है। वरिष्ठ मंत्रियों को निरंतर एक मंत्रालय में काम करने का अनुभव है तो जो नए लोग सरकार में शामिल किए गए हैं उनको भी राज्यों में कामकाज का बड़ा अनुभव है। लगभग 18 साल तक मध्य प्रदेश जैसे राज्य का मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया है। मध्य प्रदेश में उन्होंने कृषि का कायापलट कर दिया था। उनका वह अनुभव अब राष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिलेगा। ऐसे ही साढ़े नौ साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल को आवास, शहरी विकास और ऊर्जा जैसा अहम मंत्रालय मिला है। इसी तरह सहयोगी पार्टियों के चाहे एचडी कुमारस्वामी हों या राजीव रंजन सिर्फ उर्फ ललन सिंह हों या जीतन राम मांझी हों सब लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव वाले नेता हैं। इन सबका अनुभव देश को समृद्ध बनाने के काम आएगा।
सरकार के गठन और प्रधानमंत्री की टीम की घोषणा से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें भले थोड़ी कम हो गई हैं लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का अपने एजेंडे के प्रति विश्वास बना हुआ है और वे उसे आगे लेकर जाने को तैयार हैं। उन्होंने पहले दो कार्यकाल में विकास की जो यात्रा शुरू की है उसे रूकने नहीं देने का संकल्प उन्होंने जाहिर कर दिया है। उन्होंने सभी पुराने मंत्रियों पर भरोसा जता कर यह संदेश दिया है कि भारत की विकास गाथा जारी रहेगी। सरकार की नीतियों की निरंतरता बनी रहेगी और विकास कार्यों को रूकने नहीं दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपनी पहली विदेश यात्रा से इसका संदेश दिया है।
जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए वे इटली गए तो वहां दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्व मामलों पर भारत की राय रखी और दुनिया के कई हिस्सों में चल रही लड़ाइयों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भारत हमेशा संवाद और कूटनीतिक रास्तों से ऐसे संघर्षों का समाधान निकालने के पक्ष में रहा है। उन्होंने विश्व नेताओं से कहा कि उनके नेतृत्व में एनडीए को मिली जीत दुनिया भर के लोकतंत्र की जीत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने यह बहुत बड़ी बात कही क्योंकि देश में लोकसभा चुनावों के प्रचार में विपक्ष ने लोकतंत्र को खतरा बता कर ही चुनाव लड़ा था लेकिन उनको मुंह की खानी पड़ी और अब प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह लोकतंत्र की जीत है।
देश के मतदाताओं ने एनडीए की सरकार के लिए जनादेश दिया था और बहुत सहज तरीके से एनडीए की सरकार बन गई। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सरकार लोकतंत्र को मजबूत करेगी। संविधान की भावना का आदर करते हुए उसके मुताबिक काम करेगी और देश के 140 करोड़ लोगों के आकांक्षाओं को पूरा करेगी। यह याद रखने की जरुरत है कि प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार में कहा था कि अभी तक 10 साल में उनकी सरकार ने जो काम किया है वह तो ट्रेलर है, पूरी फिल्म अभी बाकी है। कहने का मतलब है कि देश ने विकास का अभी ट्रेलर भर देखा है। अब विकास की पूरी फिल्म देखनी है। पहले 10 साल के कार्यकाल में जो बुनियाद बनी है उस पर विकास की नई इमारत खड़ी होगी। सामान्य मानवी के जीवन की बुनियादी जरुरतों को पूरा करने के बाद अब सरकार नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए काम करेगी।
भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार का भारी भरकम निवेश जारी रहेगा। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। भारत को निवेश के लिए सर्वाधिक आकर्षक देश बनाने के लिए सरकार की ओर से अनेक नीतिगत फैसले हुए हैं, जिनका असर अब देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री के तौर पर श्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल विदेशी निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार के अवसर के लिहाज से ऐतिहासिक हो सकता है। देश के नागरिकों को श्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट की प्रतीक्षा करनी चाहिए। पहला बजट भारत की विकास गाथा को तीव्र गति से आगे ले जाने का दस्तावेज होगा।
लोकसभा चुनाव के दौरान ‘मोदी की गारंटी’ के तौर पर भाजपा के संकल्प पत्र में जितने नीतिगत निर्णयों का वादा नागरिकों से किया गया है सरकार उससे भी पीछे नहीं हटने वाली है। सरकार के गठन को तुरंत बाद अपना कामकाज संभालते हुए कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि समान नागरिक संहिता और ‘एक देश, एक चुनाव’ सरकार के एजेंडे में हैं। ऐसा नहीं है कि अब गठबंधन की सरकार बन गई तो वह नीतिगत मसलों को छोड़ कर रोजमर्रा के कामकाज में उलझी रहेगी। सरकार बहुत जल्दी ‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था लागू करने की दिशा में बढ़ने वाली है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमेटी ने इसकी अनुशंसा कर दी है और जल्दी ही कोविंद कमेटी की रिपोर्ट कैबिनेट के सामने रखी जाएगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसका विधेयक तैयार होगा और उस पर संसद की मंजूरी ली जाएगी।
यह एक बेहद महत्वाकांक्षी कानून है, जिसकी देश को जरुरत है। इसके लागू होने के बाद हर साल होने वाले चुनावों से छुटकारा मिल जाएगा। देश में पांच साल पर एक बार लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे। अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 से इसे लागू किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने दोनों चुनाव आयुक्तों के साथ प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस बार के चुनाव से यह सबक मिला है कि इतनी गर्मियों में आम चुनाव नहीं होने चाहिए। सो, देश के मतदाताओं की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव का समय थोड़ा आगे पीछे हो सकता है। संसद में भी ‘एक देश, एक चुनाव’ के कानून के पास होने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी ने पहले ही इस विचार का समर्थन किया था और चंद्रबाबू नायडू के राज्य में तो विधानसभा का चुनाव पहले से ही लोकसभा के साथ होता है।
सरकार समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू करने के अपने संकल्प पर भी आगे बढ़ेगी। सहयोगी पार्टियों के साथ सहमति बनाते हुए यह काम किया जाएगा। ध्यान रहे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कह दिया है कि सरकार बहुमत से बनती है लेकिन राजकाज सर्वमत से चलता है। इसलिए वे सर्वमत बनाते हुए अपने इस एजेंडे को आगे ले जाएंगे। पड़ोसी देशों से प्रताड़ित होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए के तहत नागरिकता मिलने लगी है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। मथुरा में ज्ञानवापी, काशी में शाही ईदगाह और मध्य प्रदेश के धार में कमाल मौला मस्जिद के सर्वेक्षण का काम भी जारी रहेगा क्योंकि वह काम अदालत के आदेश से चल रहा है। सरकार उसमें कोई दखल नहीं देगी और अदालत का जो भी आदेश होगा उस पर अमल किया जाएगा।
सहयोगी पार्टियों को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। जल्दी ही सरकार जनगणना कराएगी, जिससे देश की जनसंख्या की वास्तविक तस्वीर सामने आ जाएगी और फिर उसके अनुरूप नीतियों में जरूरी संशोधन किया जाएगा। कुल मिला कर प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल उनके पहले दो कार्यकाल की निरंतरता है, जिसमें अच्छे कार्य होते रहेंगे। (लेखक सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के प्रतिनिधि हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)