Friday

25-04-2025 Vol 19

विदेशों में बदहाल भारतीय श्रमिक और छात्र

राज्य सभा में एक लिखित जवाब में बताया गया है कि दुनिया के 86 देशों में कुल 10152 भारतीय जेलों में हैं| उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह संख्या मंत्रालय में प्राप्त जानकारी के अनुसार है, अधिकतर देश कैदियों के बारे में जानकारी साझा नहीं करते – जाहिर है विदेशों में भारतीय कैदियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है| भारतीय श्रमिक

इस वर्ष 20 मार्च को केंद्र में विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब में बताया कि दुनिया के 86 देशों में कुल 10152 भारतीय जेलों में हैं| उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह संख्या मंत्रालय में प्राप्त जानकारी के अनुसार है, अधिकतर देश कैदियों के बारे में जानकारी साझा नहीं करते – जाहिर है विदेशों में भारतीय कैदियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है| जानकारी के अनुसार सबसे अधिक 2633 कैदी सऊदी अरब में, इसके बाद 2518 संयुक्त अरब अमीरात में, 1317 नेपाल में, 611 कतर में, 387 कुवैत में, 338 मलेशिया में, 288 यूनाइटेड किंगडम में और 266 पाकिस्तान में हैं|

इस उत्तर में आगे विदेशों में भारतीयों को मृत्युदंड या फांसी के बारे में जानकारी दी गई है| संसद में किस तरह भ्रामक जानकारी दी जाती है, यह उत्तर उसका एक नमूना है| 20 मार्च को राज्य सभा को बताया गया कि संयुक्त अरब अमीरात में 25 भारतीयों को मृत्यदंड दिया गया है पर अभी तक इस आदेश का कार्यान्वयन नहीं हुआ है, जबकि फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह के बीच में वहाँ कम से कम तीन भारतीयों को फांसी पर चढ़ा दिया गया|

इस उत्तर के अनुसार 8 देशों में 49 भारतीय मृत्युदंड की सजा भुगत रहे हैं, इनमें सबसे अधिक 25 संयुक्त अरब अमीरात में, 11 सऊदी अरब में और 6 मलेशिया में हैं| वर्ष 2020 से 2024 के बीच 6 देशों में 47 भारतीयों को फांसी पर चढ़ाया गया, पर आश्चर्य यह है कि उत्तर के अनुसार इसमें से एक भी मृत्युदंड संयुक्त अरब अमीरात में नहीं दिया गया| मौत के घाट उतारे जाने वाले 47 भारतीयों में से अकेले कुवैत में 25 भारतीयों को यह सजा दी  गई, इसके बाद सऊदी अरब में 8 और जिम्बॉब्वे में 7 भारतीयों को मृत्युदंड दिया गया|

विदेशों में भारतीय श्रमिकों की दुर्दशा: सतनाम सिंह की दुखद घटना और बढ़ते हमले

इससे पहले दिसम्बर 2024 में संसद में जानकारी देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया था कि वर्ष 2023 में विदेशों में 86 भारतीयों पर घातक हमले किए गए या उनकी हत्या कर दी गई| इसमें सबसे अधिक 12 हमले अमेरिका में और इसके बाद कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और सऊदी अरब में से प्रत्येक में 10-10 घातक हमले किए गए| प्राप्त जानकारी के अनुसार विदेशों में भारतीयों पर हमलों की संख्या साल-दर-साल बढ़ती जा रही है – वर्ष 2021 में 29 हमले, 2022 में 57 हमले और वर्ष 2023 में 86 हमले| इसी उत्तर में यह भी बताया गया कि श्रीलंका और पाकिस्तान द्वारा भारतीय मछुआरों को कैद कर जेल में डालने की संख्या भी बढ़ रही है|

विदेशों में भारतीय श्रमिकों की हालत एक उदाहरण से स्पष्ट है| वर्ष 2024 में जब इटली में जी7 देशों का भव्य जलसा आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत कर रहे थे – लगभग उसी दौरान रोम के पास के ग्रामीण क्षेत्र, लैटिना, में वहां काम करने गए एक भारतीय कृषि श्रमिक, 31 वर्षीय सतनाम सिंह, को घायल अवस्था में सड़क पर फेंक दिया गया था| इसके बाद इलाज के दौरान उनकी मृत्यु भी हो गयी| सतनाम सिंह भारत से दो वर्ष पहले इटली काम की तलाश में गए थे, और फिर लैटिना में अंतोनेला लोवाटा के खेतों में कृषि श्रमिक के तौर पर काम करने लगे थे|

किसी कृषि उपकरण को चलाते समय दुर्घटनावश उनका हाथ कट कर शरीर से अलग हो गया, और शरीर में दूसरे स्थानों पर भी गंभीर चोटें आईं थीं| इस दुर्घटना के बाद अंतोनेला लोवाटा ने उन्हें अपनी गाडी में बैठाया, उनके कटे हाथ को फलों के एक डिब्बे में रखा और दूर ले जाकर सड़क के किनारे फेंक दिया| लगभग एक घंटे तक सड़क के किनारे पड़े रहने के बाद उन्हें किसी तरह चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो पाई, पर इलाज के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गयी|

यह एक ऐसा उदाहरण है जो प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा और अनिश्चित भविष्य बयान करता है| दुखद यह है कि ऐसे उदाहरण बार-बार अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हमारे सामने आते हैं, पर हमारे देश का दरबारी मीडिया इन खबरों से अनजान बना रहता है|

विदेशों में भारतीय श्रमिकों की दुर्दशा: मीडिया की चुप्प और श्रमिकों के शोषण के उदाहरण

यहाँ के मीडिया के लिए विदेशों में भारतीय श्रमिकों या छात्रों की बदहाली कोई मायने नहीं रखती, बल्कि जब कभी मोदी सरकार विदेशों में श्रमिकों की मौत के बाद विशेष विमान से उनके शवों को भारत लाती है तब दिनभर उसका लाइव टेलीकास्ट चलता है और मोदी जी का जयकारा सुनाया जाता है| पिछले वर्ष कुवैत में श्रमिकों के आवासीय परिसर में भीषण अग्निकांड की चपेट में आकर 49 भारतीय श्रमिकों की मौत हो गयी थी|

इसकी खबर आने के बाद भी किसी भी मीडिया ने मध्य-पूर्व में भारतीय श्रमिकों की स्थिति पर कोई भी रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत की, पर जिस दिन इनका शव भारत आया उस दिन तिरुअनंतपुरम से लेकर नई दिल्ली हवाईअड्डे से सीधी खबर ब्रेकिंग न्यूज़ के तौर पर चलीं और हरेक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी की वाहवाही होती रही|

वर्ष 2024 में सऊदी अरब के मक्का में भीषण गर्मी के प्रकोप और बदइन्तजामी के कारण 1300 से अधिक हज यात्रियों की मृत्यु हुई, जिसमें लगभग 100 भारतीय थे| हमारे देश में रोजगार की इस कदर कमी है कि मौक़ा मिलने पर भारतीय विदेशों में जाकर अत्यधिक खतरनाक रोजगार करने से भी नहीं चूकते| अनेक भारतीय रूस-उक्रेन युद्ध में रूस की सेना के तौर पर लड़ रहे हैं| इनमें से जब किसी की युद्ध में मृत्यु होती है तब ही कोई समाचार आता है| पहले तो भारत सरकार ने ऐसी हरेक खबर को नकारा, पर अब तो यह सार्वजनिक हो गया है क्योंकि मोस्को में प्रधानमंत्री मोदी ने यह मुद्दा राष्ट्रपति पुतिन के साथ उठाया था|

मोदी सरकार को तो ऐसे भारतीय सैनिकों की वास्तविक संख्या भी नहीं पता है| मई 2024 में रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की सेना की तरफ से लड़ते 2 भारतीयों की मौत हुई थी| इजराइल-हमास युद्ध में भी इजराइल की तरफ से लड़ाई में शरीक कुछ भारतीयों की मौत हुई है|

भारतीय श्रमिकों की विदेशों में दुर्दशा का एक उदाहरण पिछले वर्ष स्विट्ज़रलैंड से भी सामने आया है| यूनाइटेड किंगडम के सबसे अमीर और भारतीय मूल के हिंदुजा परिवार पर स्विट्ज़रलैंड की एक अदालत में भारतीय श्रमिकों के शोषण के आरोपों की सुनवाई करते हुए इस परिवार के सदस्यों को जेल की सजा सुनाई गयी है| हिंदुजा परिवार स्विट्ज़रलैंड के अपने मैनसन में भारत से लाये हुए श्रमिकों को रखते थे| इसमें से तीन श्रमिकों ने अदालत में एक याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि श्रमिकों के स्विट्ज़रलैंड पहुंचते ही हिंदुजा परिवार उनके पासपोर्ट जब्त कर लेता है और फिर बहुत कम वेतन पर और बिना किसी आजादी के ही उनसे काम लिया जाता है|

दूसरे शब्दों में श्रमिकों को बंधुआ मजदूर जैसा रखा जाता था| अदालत ने इन सभी आरोपों को सही देखते हुए प्रकाश हिंदुजा और पत्नी कमल को 4 वर्षों के कारावास और बेटे अजय हिंदुजा और बहू नम्रता को साढ़े चार वर्षों के कारावास की सजा सुनाई है|

Also Read: थाईलैंड की पीएम से मिले मोदी

मई 2024 में संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन फॉर माइग्रेशन ने वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 प्रकाशित किया था, इसके अनुसार लगभग 2 करोड़ भारतीय श्रमिक दुनियाभर के देशों में रोजगार में हैं| इन श्रमिकों द्वारा भारत में वर्ष 2022 में 111.22 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा आई| श्रमिकों द्वारा अपने देश में पैसे भेजे जाने के मामले में पिछले कई वर्षों से भारत दुनिया में पहले स्थान पर है, और यह श्रमिकों द्वारा अपने देश में 100 अरब डॉलर से अधिक मुद्रा भेजने वाला पहला देश भी है|

भारतीय श्रमिकों द्वारा अपने देश में भेजी जाने वाली मुद्रा में लगातार बृद्धि दर्ज की जा रही है – वर्ष 2010 में यह राशि 53.48 अरब डॉलर, 2015 में 68.91 अरब डॉलर और 2020 में 83.15 अरब डॉलर थी| जाहिर है, यह बृद्धि अपने देश में रोजगार की दयनीय स्थिति ही बयान करती है|

वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के अनुसार भले ही विदेशों में बेहतर भविष्य की तलाश में श्रमिक जाते हों पर इनका हरेक तरीके से इनका शोषण किया जाता है| इन्हें कोई अधिकार नहीं मिलते, इन्हें अनुबंध से भी कम पैसे मिलते है, इनसे बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया जाता है और अनेक श्रमिक तो जितना पैसा खर्च कर विदेशों में पहुंचते हैं, उतना भी नहीं कमा पाते|

एक आकलन के अनुसार वर्ष 2022 में देश से लगभग 13.4 लाख छात्र बेहतर शिक्षा की आशा में विदेशों में गए थे| दिसम्बर 2023 में विदेश मंत्रालय ने सूचना जारी कर बताया था कि वर्ष 2018 से 2023 के मध्य तक 403 भारतीय छात्रों की मृत्यु विदेशों में हो गयी थी| सबसे अधिक मौत, 91, कनाडा में दर्ज की गयी थी|

रूस, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी मृत भारतीयों छात्रों की प्रभावी संख्या थी| भारतीय छात्रों की स्थिति अब पहले से भी बदतर हो चली है – अमेरिका में वर्ष 2024 के शुरू से 6 महीनों में ही 11 से अधिक छात्रों की ह्त्या, 1 आत्महत्या या रहस्यमय परिस्थितियों में मौत और 6 छात्रों के लापता होने का मामला दर्ज किया गया है|

17 जुलाई 2019 को लोकसभा में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री ने बताया था कि वर्ष 2016 से मई 2019 के बीच विदेशों में 28794 भारतीयों की मृत्यु दर्ज की गयी, जिसमें सबसे अधिक मौतें, 9057 यानि 32 प्रतिशत मौतें अकेले सऊदी अरब में दर्ज की गईं, इसके बाद 5789 यानि 20 प्रतिशत मौतों के साथ संयुक्त अरब अमीरात का स्थान है| इसके बाद क्रम से कुवैत, ओमान, अमेरिका, मलेशिया, क़तर, बहरीन, कनाडा, सिंगापुर और इटली का स्थान है|

फरवरी 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया था कि वर्ष 2018 के बाद से विदेशों में पढ़ाई के लिए गए 403 भारतीय छात्रों की मौत हो गई| इसमें सबसे अधिक 91 मौतें कनाडा में और यूनाइटेड किंगडम में 48 मौतें हुईं| इसके 6 महीने बाद ही, जुलाई 2024 में संसद में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने पिछले 5 वर्षों में 41 देशों में 633 भारतीय छात्रों के मौत की जानकारी दी – सबसे अधिक 172 कनाडा में, 108 अमेरिका में, 58 यूनाइटेड किंगडम में, 57 ऑस्ट्रेलिया में, 37 रूस में, और 24 जर्मनी में|

आश्चर्य यह है कि विदेशों में, विशेषकर मध्य-पूर्व के देशों में, बड़ी संख्या में श्रमिकों की मौत के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी की किसी भी देश से द्विपक्षीय वार्ता में श्रमिकों की स्थिति और बेहतर सुविधाएं चर्चा में नहीं रहता| विदेशों में गए भारतीयों के पूरे आँकड़े भी सरकार के पास नहीं हैं, तभी हरेक वक्तव्य में आँकड़े बदल जाते हैं| जब विदेशों से भारतीय सकुशल आ जाते हैं तब प्रधानमंत्री मोदी का महिममंडन किया जाता है और जब विदेशों में भारतीय मरते हैं तब मीडिया और विपक्ष दोनों ही सत्ता से कोई सवाल नहीं करते|

Mahendra Pandey

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *