Wednesday

12-03-2025 Vol 19

सॉफ्ट पॉलिटिक्स में भोजपुरी का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी का मॉरीशस दौरा और भोजपुरी के माध्यम से उनका स्वागत इस बात का प्रमाण है कि सॉफ्ट पॉलिटिक्स में सांस्कृतिक तत्व कितने प्रभावशाली हो सकते हैं।  इस दौरे के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने आकाशवाणी पर पहली बार भोजपुरी में इंटरव्यू देकर एक नया इतिहास रचा। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम, जिनके परिवार की जड़ें बिहार के भोजपुर से जुड़ी हैं, ने इस दौरे को विशेष महत्व दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 मार्च 2025 को मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे, जहां उनका स्वागत पारंपरिक भोजपुरी ‘गीत-गवई’ से हुआ। यह स्वागत केवल एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्तों का प्रतीक था। तभी स्वागत से अभिभूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी भाषा में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखा।

भोजपुरी भाषा, जो भारत के पूर्वांचल और बिहार की मिट्टी से उपजी है, आज हिंद महासागर में बसे इस छोटे से द्वीप राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी का मॉरीशस दौरा और भोजपुरी के माध्यम से उनका स्वागत इस बात का प्रमाण है कि सॉफ्ट पॉलिटिक्स में सांस्कृतिक तत्व कितने प्रभावशाली हो सकते हैं।

इस दौरे के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने आकाशवाणी पर पहली बार भोजपुरी में इंटरव्यू देकर एक नया इतिहास रचा। यह कदम न केवल भोजपुरी भाषा के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि भारत सरकार की उस सोच को भी रेखांकित करता है जो क्षेत्रीय भाषाओं को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। समूचा भोजपुरिया समाज इस पहल के लिए श्री जयसवाल का अभिनंदन करता है, क्योंकि यह भोजपुरी की सांस्कृतिक शक्ति को मान्यता देने का एक ठोस कदम है।

सॉफ्ट पॉलिटिक्स, यानी सांस्कृतिक प्रभाव के जरिए संबंधों को प्रगाढ़ करना, आज वैश्विक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भोजपुरी इस संदर्भ में भारत के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हो रही है। मॉरीशस में इस भाषा की लोकप्रियता और इसके साथ जुड़ी परंपराएं भारत को वहां के लोगों के दिलों से जोड़ती हैं। जब मॉरीशस की महिलाएं साड़ी पहनकर झूमर या सोहर गाती हैं, या घरों के बाहर तुलसी का चौकी सजाती हैं, तो यह केवल परंपरा का निर्वहन नहीं, बल्कि भारत के साथ एक अटूट भावनात्मक रिश्ते का प्रदर्शन है। यह सांस्कृतिक जुड़ाव कठोर राजनयिक नीतियों से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से दोनों देशों को करीब लाता है।

प्रधानमंत्री मोदी का दो दिवसीय मॉरीशस दौरा इसी सॉफ्ट पॉलिटिक्स का एक जीवंत उदाहरण है। उनका यह दौरा मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस (12 मार्च) के अवसर पर हुआ, जिसमें वे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने पहुंचे। इस यात्रा के दौरान भोजपुरी गीतों से उनका स्वागत और भारतीय समुदाय का उत्साह इस बात का प्रमाण है कि भाषा और संस्कृति कितनी गहराई से लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का प्रयास है, बल्कि भारत के “सागर विजन” (Security and Growth for All in the Region) को भी रेखांकित करता है, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाना शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और मॉरीशस के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ रही है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम, जिनके परिवार की जड़ें बिहार के भोजपुर से जुड़ी हैं, ने इस दौरे को विशेष महत्व दिया। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात और विभिन्न समझौतों की संभावना से यह स्पष्ट है कि सांस्कृतिक संबंधों के साथ-साथ आर्थिक और रणनीतिक सहयोग भी मजबूत होगा। मॉरीशस में भारतीय सशस्त्र बलों की टुकड़ी और नौसेना के जहाज की मौजूदगी इस दौरे के बहुआयामी महत्व को दर्शाती है।

मॉरीशस को अक्सर “मिनी इंडिया” कहा जाता है, और इसमें भोजपुरी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह भाषा वहां के लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ती है और भारत के प्रति एक स्वाभाविक लगाव पैदा करती है। मोदी के स्वागत में “मोदी-मोदी” और “भारत माता की जय” के नारे इस बात का सबूत हैं कि सांस्कृतिक कूटनीति कितनी प्रभावशाली हो सकती है।

भोजपुरी भारत और मॉरीशस को जोड़ने वाला एक सांस्कृतिक सेतु है, जो भाषा और परंपराओं के माध्यम से दोनों देशों के बीच आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाता है। सॉफ्ट पॉलिटिक्स के इस दौर में, जहां हथियारों और संधियों से ज्यादा संस्कृति और भावनाएं मायने रखती हैं, भोजपुरी जैसे तत्व भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मॉरीशस दौरा इस तथ्य को रेखांकित करता है कि सांस्कृतिक धरोहर केवल अतीत का हिस्सा नहीं, बल्कि भविष्य के रिश्तों की नींव भी हो सकती है। यह दौरा न केवल भारत-मॉरीशस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि विश्व मंच पर भोजपुरी की गूंज को और सशक्त करेगा। (लेखक विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)

अजीत दुबे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *