Thursday

13-03-2025 Vol 19

मीडिया ने होली पर भी चढ़ाए नफरत के रंग !

आज क्या प्रासंगिकता है औरंगजेब की? प्रसंग तो है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का और उसके यह कहने का हमने जब भारत की कलई खोल दी तो वह सीधे रास्ते पर आ गया। इसका कड़ा विरोध नहीं होना चाहिए था? मगर हो रहा है औरंगजेब का। उसकी कब्र तक हटाने की बात कह रहे हैं। क्यों? ट्रंप के सामने हम झुक गए यह बात छुपाने के लिए।…इस बार होली के नाम पर लोगों को बताना पड़ेगा। लोग समझते हैं। लेकिन मीडिया इस तरह इकतरफा दिखाता, लिखता है कि लोगों के सामने दूसरा पक्ष जो सच का है वह आ ही नहीं पाता।

होली भारत का सबसे अधिक उमंग, जोश और उल्लास का त्यौहार है। मगर अफसोस जो इसका उपयोग भी नफरत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। बीजेपी के लोग तो कर ही रहे हैं मगर उनसे आगे बढ़ चढ़कर मीडिया लोगों में डर और झूठ फैलाने का काम कर रहा है। ऐसे बताया जा रहा है जैसे जुमा और होली पहली बार साथ आए हैं। और अगर मुसलमान घर से निकले तो अपनी सुरक्षा के जिम्मेदार वे खुद होंगे। उत्तरप्रदेश के एक मंत्री ने कह दिया कि होली का रंग फैंकने वाले नहीं जानते की कहां तक जाएगा। इसलिए अगर निकलतें हैं तो तिरपाल डाल कर निकलें। और भी बहुत कुछ कहा जा रहा है।

करीब दो हफ्ते से जब से अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने हमारे प्रधानमंत्री मोदी को सामने बिठाकर अपमानित किया तब से उस माहौल को खतम करने के लिए होली के नाम पर हिन्दू-मुसलमान के बीच नफरत बढ़ाने का काम फुल स्पीड में शुरू कर दिया गया। कभी किसी मुसलमान ने होली का विरोध नहीं किया। कर ही नहीं सकता। कोई मतलब नहीं है। सदियों से साथ खेली जा रही है। लेकिन मीडिया में इकतरफा ऐसा प्रचार किया जा रहा है जैसे होली पर मुसलमानों ने सवाल किया हो। मीडिया, मुख्यमंत्री योगी, एक पुलिस का सीओ और बेचारे भक्त तो हैं ही जिन्हें कुछ नहीं मालूम केवल हुआ हुआ करना है सब कह रहे हैं होली तो होगी। बिल्कुल होना चाहिए। और होगी भी। किसने रोका है? कौन रोक सकता है? क्यों रोकेगा ?

मगर इस तरह बात कही जा रही हैं मानों किसी ने मना किया है। यह तो रमजान का एक जुमा है। पता नहीं कितनी बार ईद के साथ होली पड़ी है। रमजान के सबसे बड़े जुमे अलविदा जुमे ( रमजान का लास्ट जुमा) को पड़ी है। मगर न कभी कुछ हुआ है न कभी किसी ने कुछ कहा है। पुलिस प्रशासन सामान्य इंतजाम करता है। सब कुछ शांतिपूर्ण गुजर जाता है। होना भी चाहिए। देश ऐसे ही मजबूत रहता है।

क्या बीजेपी के आज के शासकों को मालूम है कि पाकिस्तान ने भारत में नफरत फैलाने की कितनी कोशिशें की? नफरत के द्वारा विभाजन की। मगर हमेशा मुंह की खाई। कभी कभी लगता है कि यह सब लिखने से क्या होगा? इतना लिख रहे हैं। हम ही नहीं। बहुत सारे लोग, बहुत मेहनत से, बहुत अच्छा, खतरे उठाकर लिख रहे है। क्या हुआ?

11 साल से स्थिति और खराब होती जा रही है। लेकिन नहीं! अगर इतने सारे लोग इस नफरत के विरोध में खड़े नहीं होते तो आज स्थिति और ज्यादा खराब होती। देश में आज भी अधिसंख्यक लोग भाजपा की इस नफरत के खिलाफ हैं। गुजरात जैसा राज्य जो भाजपा संघ का नफरत का सबसे बड़ी कारखाना है वहां अभी भी विपक्ष को 40 प्रतिशत वोट मिलता है।

पूरे देश में भाजपा का वोट प्रतिशत केवल 36. 6 प्रतिशत है। इससे आप समझ सकते हैं कि इतनी विभाजन की राजनीति करने के बाद भी देश की अधिकांश जनता नफरत के खिलाफ है। और इसमें सबसे ज्यादा योगदान देश के बहुसंख्यकों का है। हिन्दू ही जो देश के बहुसंख्यक हैं भाजपा को रोकते हैं। और उन्हीं में नफरत फैलाने के लिए हर कानून, परंपरा, देश की इज्जत किसी की भी परवाह किए बिना भाजपा नफरत की मात्रा और और बढ़ाती जाती है।

इस बार होली के नाम पर लोगों को बताना पड़ेगा। लोग समझते हैं। लेकिन मीडिया इस तरह इकतरफा दिखाता, लिखता है कि लोगों के सामने दूसरा पक्ष जो सच का है वह आ ही नहीं पाता। रात दिन यह कहते कहते कि वे खराब हैं। हमारे खिलाफ हैं। लोगों पर थोड़ा बहुत असर तो होता है। और अगर फिर भी इन्हें लगता है कि कम हो रहा है तो यह और पीछे जाकर मुगलों को ले आते हैं।

आज क्या प्रासंगिकता है औरंगजेब की? प्रसंग तो है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का और उसके यह कहने का हमने जब भारत की कलई खोल दी तो वह सीधे रास्ते पर आ गया। इसका कड़ा विरोध नहीं होना चाहिए था? मगर हो रहा है औरंगजेब का। उसकी कब्र तक हटाने की बात कह रहे हैं। क्यों? ट्रंप के सामने हम झुक गए यह बात छुपाने के लिए। यूक्रेन, फ्रांस, इंग्लैंड के शासक नहीं झुके। ट्रंप का हाथ पकड़कर रोक दिया। लेकिन हमारे वाले सिर झुकाकर सब सुनकर आ गए। नेपाल तक के प्रवासियों को चार्टेंड प्लेन में सामान्य यात्रियों की तरह वापस भेजा। हमारे लोगों को इंसान समझने से इनकार करते हुए हथकड़ी और बेडियां भी डालकर सैनिक प्लेन से भेजा।

लोग इस पर बात न करें। भारत के कृषि बाजार पर जो भारी संकट आ रहा है उसे नहीं देखें। अमेरिका का लाल गेंहू फिर खाने को तैयार रहें। मीडिया बताएगा नहीं लोगों का मालूम पड़ेगा नहीं। ट्रंप ने मोदी को क्या क्या मानने के लिए कहा है? भारत में किसी को नहीं मालूम। विपक्ष संसद में पूछ रहा है। सरकार बताने को तैयार नहीं। सिर्फ ट्रंप से इतना सुना कि भारत सुधर गया है।

शर्मनाक। ट्रंप ने फेयर एंड रेसिप्रोकल प्लान तैयार किया है। मतलब भारत के कृषि बाजार पर कब्जा करना। संक्षेप में ऐसे समझिए कि डब्ल्यूटीओ ने भारत जैसे विकासशील देशों के कृषि उत्पादों पर जो छूट दी थी वह इस प्लान के तहत ट्रंप ने खत्म कर दीं। भारत अभी तक अपने किसानों को बचाने के लिए अमेरिका के कृषि उत्पादों पर 39 प्रतिशत शुल्क लगाता था। इसे ही टेरिफ कहा जाता है इसी को लेकर ट्रंप सबको धमका रहा है। मगर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा किसी देश का कोई शासक उसकी धमकी में नहीं आया। अब पांच प्रतिशत

जो अमेरिका में लगता है ट्रंप कह रहा है वही भारत में लगा दो। कांग्रेस का तो सीधा आरोप है कि यह हो चुका है। मोदी छुपा रहे हैं। समझ लीजिए अगर यह हो गया तो भारत की खाद्यान सुरक्षा जिसे इन्दिरा गांधी ने अमेरिका से लड़ कर ही बनाई थी फिर खत्म हो जाएगी। अमेरिका अपने किसानों को भारी सब्सिडी देता है। वहां से फिर सस्ता मगर खराब अनाज फिर भारत आएगा।

मतलब आप समझ गए ना! सरल शब्दों में भारत का माल वहां महंगा होकर जाए ताकि बिके नहीं। और अमेरिका का सस्ता होकर आए। ताकि वही वही बिके। भारत की अर्थव्यवस्था खत्म। आर्थिक रूप से गुलाम। स्पेक्ट्रम का तो आपको मालूम चल ही गया होगा। भारत की टेलिकाम कंपनियों को अमेरिकी एलन मस्क से समझौता करने पर मजबूर करके उसे यहां ले आया गया है। याद रहे 2 जी के झूठे मामले में यूपीए सरकार को गिराया गया था। आज तक कुछ सिद्ध नहीं हुआ। सीजीए विनोद राय ने कोर्ट में हलफनामा देकर मान लिया कि उसने 2 जी के मामले में धांधली के झूठे आंकडे पेश किए थे। लेकिन एक झूठे आंदोलन ने अन्ना और जिसके साथ पूरा संघ परिवार, केजरीवाल सब थे ने कांग्रेस को बदनाम कर दिया था। उसी स्पेक्ट्रम को अब मोदी सरकार ने नीलामी के बदले खुद ही देने का फैसला करके ट्रंप और उनके खास मस्क को दे दिया।

इन सबसे लोगों का ध्यान हटाने के लिए देश के खास तौर से उत्तर भारत के सबसे उमंग भरे, भाईचारे के त्यौहार होली पर माहौल खराब किया जा रहा है। देश के लोगों की एक बड़ी परीक्षा है। विपक्ष की भी। मीडिया से कोई उम्मीद नहीं है इसलिए उससे कहना बेकार है। उसको जितना केरोसिन छिड़कना था छिड़क दिया। अभी एक दिन है और कोशिश करेगी। गोदी मीडिया का एक दिन विनाश होगा।

और ऐसा होगा कि दुनिया तमाशा देखेगी। मगर अभी तो वह भाजपा से ज्यादा आग लगाने को फिर रही है। लेकिन देश की जनता से उम्मीद है अभी भी, हिन्दू मुसलमान सबसे। उस एक संभल के सीओ को छोड़ दें तो यूपी के बाकी कई उससे सीनियर अफसरों ने प्रेम और भाईचारे के साथ होली मनाने की अपील की है। कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है।

लेकिन न्याय व्यवस्था की पोल खुल गई। सुप्रीम कोर्ट या उत्तर प्रदेश का हाईकोर्ट संभल के उस सीओ के वीडियो आने के बाद कोई कार्रवाई करता जो होना चाहिए थी तो आज न मुख्यमंत्री और न ही मीडिया उसके घृणा फैलाने वाले बयान का समर्थन कर पाता। लेकिन अभी बाकी बहुत से संवैधानिक इन्स्टिट्यूशन हैं। वहां देश से प्यार करने वाले अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी समझने वाले लोग हैं। और सबसे बढ़कर हमेशा साथ रहे लोग हैं। यही सब देश को मजबूत करते रहे हैं और यही देश को बचाएंगे।

शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

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