आलिया भट्ट की नई फ़िल्म ‘जिगरा’ की सबसे बड़ी ख़ूबी इसका निर्देशन ही है। … ‘जिगरा’ और ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ की शुरूआत कोई बहुत अच्छी नहीं रही है। अगर ये बॉक्स ऑफ़िस पर बेहतर प्रदर्शन नहीं करती हैं तो इंड़स्ट्री की उम्मीदें अनीस बज़्मी की ‘भूल भुलैयां-3’ और रोहित शेट्टी की ‘सिंघम अगेन’ पर टिक जाएंगी। ये दोनों फ़िल्में पहली नवंबर को रिलीज़ की जा रही हैं ताकि उन्हें त्योहार के मूड और छुट्टियों का लाभ मिल सके।
परदे से उलझती ज़िंदगी
हिंदी फ़िल्मों में अनुराग कश्यप का योगदान केवल इस माने में अहम नहीं है कि उन्होंने निर्देशन की एक नई शैली दी। उन्होंने हमारी फ़िल्मों में फ़िल्मीपन को घटाने का भी काम किया। इसीलिए उन्होंने स्टारों की बजाय एक्टर लिए और जो कहानियां चुनीं उनमें अपराध, लालच व जुनून को उनकी पूरी क्रूरता व निरर्थकता से सामने रखा। उनकी फ़िल्मों में संयोग आपको ज़्यादा राहत नहीं देता जबकि दुर्योग पीछा नहीं छोड़ता। इससे भी बड़ी बात यह कि अनुराग ने जिन भी लोगों को अवसर दिया, बाद में चल कर उनमें से अधिकतर यह साबित करने में सफल रहे कि उनका चयन गलत नहीं था। आलिया भट्ट की नई फ़िल्म ‘जिगरा’ में वासन बाला का निर्देशन है जो कभी अनुराग कश्यप के सहायक थे। और इस फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ूबी इसका निर्देशन ही है।
यह करण जौहर यानी धर्मा प्रोडक्शन की फ़िल्म है और पहली बार इस कंपनी ने रिलीज़ से पहले या रिलीज़ के समय मीडिया के लिए इसका कोई शो नहीं रखा। लंबे समय से यह शिकायत चल रही है कि बड़े प्रोडक्शन हाउस समीक्षकों को पैसे देकर अपनी फ़िल्मों की अनुकूल समीक्षाएं करवा लेते हैं। वैसे भी आपको ऐसे ढेरों समीक्षक मिल जाएंगे जो हर फ़िल्म को देखने लायक ही बताते हैं। बॉलीवुड पर जब भी कोई आरोप लगता है तो धर्मा और यशराज पर वह ज़रूर आयद होता है। इसीलिए करण जौहर ने इस बार समीक्षकों को फ़िल्म नहीं दिखाई। इसका मतलब हुआ कि समीक्षा करनी है तो खुद टिकट ख़रीद कर फ़िल्म देखो। मगर हैरानी की बात यह है कि उनके इस कदम के बावजूद इस फ़िल्म की जो समीक्षाएं आई हैं उनसे अभी तक चले आ रहे ढर्रे में कोई बदलाव नहीं दिखा। गंभीर समीक्षक भी अपनी जगह कायम हैं जबकि तिकड़मी समीक्षकों के रवैये पर भी कोई आंच नहीं आई है।
बहरहाल, निर्देशन के बाद इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खूबी लेखन है और उसमें भी वासन बाला ने सहयोग दिया है। उनकी पिछली फ़िल्म हुमा कुरैशी और राजकुमार राव वाली क्राइम कॉमेडी ‘मोनिका ओ माई डार्लिंग’ थी, जिसे खासा पसंद किया गया था। उसके दो साल बाद ‘जिगरा’ आई है जिसे एक्शन थ्रिलर श्रेणी में रखा गया है। एक लड़की है और उसका छोटा भाई है। मां-बाप नहीं हैं, सो बहन में भाई के प्रति अभिभावकत्व का भाव है। बड़े होने पर भाई काम के लिए विदेश जाता है और वहां ड्रग्स के एक झूठे मामले में पकड़ लिया जाता है। इसके लिए फ़िल्म में एक काल्पनिक देश बनाया गया है जहां बेहद ख़तरनाक जेल है। जेल में भाई को यातनाएं दी जा रही हैं। बहन जब कानूनी लड़ाई से उसे छुड़ा नहीं पाती तो उसे जेल से भगाने का फ़ैसला करती है। मगर इस निहायत सामान्य सी कहानी में इतने घुमाव हैं कि वह असामान्य लगने लगती है।
कुछ दिनों पहले एक ख़बर आई थी कि जब वासन बाला इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट करण जौहर के पास छोड़ गए तो करण ने वह आलिया भट्ट को पढ़ने को दे दी और यह बात वासन को पसंद नहीं आई। शायद वे किसी और अभिनेत्री को इसमें लेने की सोच रहे थे। मगर इस ख़बर का बाकायदा खंडन किया गया। सच्चाई जो भी हो, आलिया को यह स्क्रिप्ट इतनी पसंद आई कि वे और उनकी बहन शाहीन इस फ़िल्म की सहयोगी निर्माता भी हैं। आलिया को वैसे भी एक्शन की धुन सवार थी। वे यशराज के स्पाई यूनिवर्स की ‘अल्फ़ा’ में भी यही काम करने जा रही हैं।
‘जिगरा’ एक नायिका केंद्रित फ़िल्म है जो कि बहुत कम बनती हैं। फिर इसका शिल्प बॉलीवुड के रुटीन से कहीं आगे है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का लगता है। निर्देशक के तौर पर वासन बाला का अलग व्यक्तित्व भी इससे सामने आता है। कहानी कहने के उनके तरीके में थ्रिल बहुत अहम है। कभी भी अचानक कुछ ऐसा हो जाता है जो स्थितियां बदल देता है जिसका अनुमान आप पहले से लगाएंगे तो गच्चा खाएंगे। वासन की फ़िल्मों की खूबी यह भी है कि उनके पात्र लगातार किसी न किसी झंझट में फंसे ही रहते हैं। जेल तोड़ने की इस कहानी में आलिया, वेदांग रैना और मनोज पाहवा सहित कई लोगों ने बेहतरीन काम किया है। कमाल देखिए कि चार दशक इंडस्ट्री में बिताने के बाद अब आकर मनोज पाहवा का महत्व सामने आ रहा है।
‘जिगरा’ में वैसे अचिंत ठक्कर की धुनें हैं, लेकिन देव आनंद की ‘हरे राम हरे कृष्ण’ वाला आरडी बर्मन की धुन और किशोर कुमार की आवाज़ में बहन के लिए गाया गया गीत ‘फूलों का तारों का’ इसमें नए सिरे से बनाया गया है। इसे वेदांग रैना ने गाया है। मूल गीत आनंद बख्शी ने लिखा था। यहां उसे वरुण ग्रोवर ने लिखा है। याद कीजिए, वरुण ग्रोवर की शुरूआत भी अनुराग कश्यप के साथ हुई थी। पुरानी फ़िल्मों के गीतों का इस्तेमाल भी वासन बाला का स्टाइल बन चुका है। लेकिन ‘जिगरा’ के साथ रिलीज़ हुई ‘विकी विद्या का वो वाला वीडियो’ में भी दो पुराने गाने लिए गए हैं। उसके संगीतकार सचिन-जिगर ने बीस साल पुरानी फ़िल्म ‘चमेली’ का सुनिधि चौहान का गाया ‘सजना वे सजना’ और 1997 में आई ‘मृत्युदाता’ का दलेर मेहंदी का गाया ‘ना ना ना ना रे’ फिर से बनाया है।
अगर किसी फ़िल्म का नाम ‘विकी विद्या का वो वाला वीडियो’ रखा जाए तो कोई भी समझ सकता है कि यह किस तरह के वीडियो की बात की जा रही है। इन दिनों हम जिससे गुज़र रहे हैं उसे कुछ लोग रील का ज़माना कहते हैं। जिसे देखो वही रील या वीडियो बनाने में लगा है। कुछ लोग शौकिया ऐसा कर रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर ये वीडियो डाल कर प्रसिद्धि या आय की उम्मीद रखते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें बस अपने दायरे के लोगों को प्रभावित करना है। वे दूर-पास कहीं घूमने गए, किसी रेस्तरां में गए, किसी शादी या पार्टी में गए, कोई नई ड्रेस पहनी, किसी जाने-माने व्यक्ति से मिले तो फटाफट उसका वीडियो बना कर उसे वाट्सऐप या फ़ेसबुक या एक्स या इन्स्टाग्राम पर अपलोड कर दिया। उन्हें बस यह दिखाना है कि देखो मैं कहां हूं, मेरी किससे मुलाकात हुई या मैं कितनी मस्ती कर रहा हूं ताकि दोस्त कहें कि अरे वाह, तेरी तो मौज है।
मगर यह जो वीडियो बनाने की आदत है, वह आपको इंपल्सिव बनाती है। रह-रह कर आप मोबाइल उठा लेते हैं और कुछ ऐसा तलाशने-सोचने लगते हैं जिसका वीडियो बनाया जाए। कुछ लोग इस मामले में इतने इंपल्सिव हो जाते हैं कि वे अपने निजी किस्म के ऊटपटांग वीडियो भी बना डालते हैं। किसी उत्तेजना, उत्साह या उत्सुकता में ऐसे वीडियो बना कर कई बार लोग परेशानी मोल ले लेते हैं। ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ ऐसी ही परेशानी पर बनाई गई फ़िल्म है।
विक्की यानी राजकुमार राव और विद्या यानी त़ृप्ति डिमरी की शादी होती है। यादगार के तौर पर वे अपनी पहली रात का वीडियो बनाते हैं, मगर उसकी सीडी चोरी हो जाती है। इसका पता चलने पर उनकी हड़बड़ाहट का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। वे सीडी वापस पाने के जीतोड़ प्रयास करते हैं। यही इसकी कहानी है। इस फ़िल्म के निर्माताओं में टी सीरज़, बालाजी पिक्चर्स, वाकाऊ फ़िल्म्स और कथावाचक फ़िल्म्स शामिल हैं जबकि निर्देशक हैं राज शांडिल्य। वे इस फ़िल्म के सह-लेखक भी हैं। शायद लिखते समय उन्हें ख्याल आया कि फ़िल्म को ज्यादा दिलचस्प बनाने के लिए मोबाइल वाले वीडियो के असावधानीवश सर्कुलेट हो जाने से ज्यादा अच्छा सीडी का चोरी हो जाना रहेगा। लेकिन अब सीडी इस दौर में कहां से आए। इसीलिए कहानी सत्ताइस साल पुरानी रखी गई है। फ़िल्म के अंत में लंबे से उपदेशात्मक भाषण में संदेश दिया गया है कि इस तरह बना सोचे-समझे वीडियो नहीं बनाना चाहिए।
‘जिगरा’ और ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ की शुरूआत कोई बहुत अच्छी नहीं रही है। अगर ये बॉक्स ऑफ़िस पर बेहतर प्रदर्शन नहीं करती हैं तो इंड़स्ट्री की उम्मीदें अनीस बज़्मी की ‘भूल भुलैयां-3’ और रोहित शेट्टी की ‘सिंघम अगेन’ पर टिक जाएंगी। ये दोनों फ़िल्में पहली नवंबर को रिलीज़ की जा रही हैं ताकि उन्हें त्योहार के मूड और छुट्टियों का लाभ मिल सके।