भोपाल। सोमवार की सुबह अचानक से हुए अधूरे विस्तार के बाद प्रदेश की सियासत में सरगर्मी है। केवल कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत को मंत्री बना दिया गया जबकि भाजपा के दिग्गज नेता इंतजार करते रह गए। शायद यही कारण है कि अमरवाड़ा विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी एक पूर्ण विस्तार करेगी जिसमें असंतुलन को साधा जाएगा।
दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बहुत कुछ परिवर्तित हो गया जिसकी पटकथा बहुत पहले से लिखी गई थी जिसमें केंद्रीय मंत्री और सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़वाया गया था तब भी लोगों को उम्मीद इन्हीं नेताओं में से किसी को मुख्यमंत्री बनाने की थी लेकिन तब पिछड़े वर्ग से डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया और जातीय एवं क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं को रोककर नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तब भी यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। इसमें पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को शामिल किया जाएगा और नॉन फार्मर मंत्रियों को बाहर किया जाएगा लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने कुछ समझौते ऐसे कर लिए जिसके कारण अभी अचानक से मंत्रिमंडल का संक्षिप्त विस्तार करना पड़ा और जिस तरह से संदेश गया उसको संभालने में भी पार्टी को पसीना आ रहा है। शायद यही कारण है कि एक पूर्ण विस्तार ऐसा किया जाएगा जिससे पार्टी का माहौल खासकर पार्टी के अंदर सकारात्मक बना रहे।
बहरहाल, रामनिवास रावत को अचानक से अकेले को मंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद प्रदेश भर के दिग्गज नेताओं के वे समर्थन निराश हुए हैं जिन्हें विस्तार के दौरान अपने नेता के मंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी। खासकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव को लेकर चर्चा बनी हुई है कि आखिर उन्हें अब तक क्यों मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया जबकि वे लगातार नौ बार से विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल गोपाल भार्गव ने पार्टी के गर्दिश के दिनों में जबरदस्त संघर्ष करके पार्टी को मजबूत किया। उनको जब-जब पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी उसको पूरा किया। ऐसे अनेकों कारण जो गोपाल भार्गव के पक्ष में जाते हैं। उसके बावजूद उनको मंत्री न बनाए जाने से पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। भार्गव के अलावा लगभग एक दर्जन ऐसे नाम है जिन्हें मंत्री पद के लिए सशक्त दावेदार माना जा रहा है।
कुल मिलाकर एकमात्र रामनिवास रावत की शपथ के बाद प्रदेश में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है और तभी अंदर खाने से खबर आने लगी है कि जल्दी ही एक और विस्तार किया जाएगा जिसमें इस प्रकार की विसंगतियों को दूर किया जाएगा। अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के बाद बुधनी और विजयपुर विधानसभा में उपचुनाव होना लगभग तय हो गया है। केवल तारीख आनी बाकी है और यदि बीना विधायक निर्मला सप्रे भी इस्तीफा दे देती है तो फिर बिना विधानसभा का उपचुनाव भी संभावित है।