भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय बलूच लोग स्वतंत्र देश के तौर पर रहना चाहते थे लेकिन उनको जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल करा लिया गया। आजादी के तुरंत बाद से इसका विरोध चल रहा है। अनेक संगठन स्वतंत्र देश के आंदोलन में शामिल हैं। उनमें से एक बलूच लिबरेशन आर्मी भी है। एक तरफ बलूचिस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरने का आंदोलन है तो दूसरी ओर सिंध में सिंधी राष्ट्रवादी आंदोलन जोर मार रहा है। सिंध के कई संगठनों ने बलूच संगठनों से हाथ मिला लिया है।
पाकिस्तान अपनी करतूतों का फल भोग रहा है। उसने राष्ट्रीय नीति के तौर पर अपनी धरती पर आतंकवाद की फैक्टरी स्थापित की। पूरी दुनिया में आतंकवाद का निर्यात किया। आतंकवादियों के दम पर भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ा। इसका परिणाम यह हुआ है कि आज पाकिस्तान खुद लहुलूहान है। वह चौतरफा युद्ध में फंसा है। राजधानी इस्लामाबाद से लेकर सुदूर क्वेटा और बलूचिस्तान तक तो सिंध से लेकर खैबर पख्तूनवा तक हिंसा हो रही है। आत्मघाती दस्ते सरकारी प्रतिष्ठानों और सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। जगह जगह जातीय हिंसा हो रही है। अलग अलग प्रांतों में स्थानीय समूह स्वतंत्र होने की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान आर्थिक रूप से पहले से एक विफल राष्ट्र है और अब वह कूटनीतिक, सामरिक और राजनीतिक रूप से भी एक विफल राष्ट्र बन रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल के नेतृत्व में भारत की कूटनीति और सामरिक नीति का यह परिणाम हुआ है कि आज वैश्विक मंच पर पाकिस्तान पूरी तरह से अलग थलग हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तानी नागरिकों पर यात्रा पाबंदी लगाने जा रहे हैं। वे पाकिस्तानी नागरिकों का अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंधित करेंगे। पिछले दिनों पाकिस्तान के एक बड़े राजनयिक को अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग ने बेहद अपमानजनक तरीके से हवाईअड्डे से वापस लौटा दिया। भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में शामिल देश के दुश्मन एक एक करके पाकिस्तान की धरती पर मारे जा रहे हैं। सबसे ताजा मामला मुफ्ती शाह मीर का है। कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी से जुड़े मुफ्ती मीर ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा करने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद की थी। पिछले दिनों बलूचिस्तान के तुरबत इलाके में मस्जिद से निकलते समय कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने मुफ्ती शाह मीर की गोली मार कर हत्या कर दी।
बलूचिस्तान वह इलाका है, जहां के लोग सबसे लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने अपनी आजादी की लड़ाई छेड़ी है, जिसे पाकिस्तान सैनिक ताकत के दम पर दबाना चाह रहा है। बलूच नेता उम्मीद भरी नजरों से भारत की ओर देख रहे हैं। बलूचों के तमाम बड़े नेता भारत के मौजूदा नेतृत्व की प्रशंसा करते हैं। बलूच नेता नायला कादरी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को अपनी हीरो बताया था तो मजदक दिलशाद ने भी माननीय प्रधानमंत्री की जम कर तारीफ की थी। एक अन्य बलूच नेता बरहमदाग बुगती ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की तो पाकिस्तान ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया। पाकिस्तान हमेशा कहता रहता है कि भारत उसकी सरजमीं पर विद्रोह पैदा करवा रहा है और उसका विभाजन कराना चाहता है। स्वाभाविक रूप से भारत इसका खंडन करता रहा है। भारत सिर्फ अपनी सरजमीं की सुरक्षा चाहता है और इसके लिए जो कुछ करना होगा वह करेगा। भारत की यही स्टैंड बांग्लादेश संकट के समय भी था। तब भी भारत अपनी सुरक्षा कर रहा था और इस क्रम में बांग्लादेश बन गया तो वह अलग बात है।
पाकिस्तान ने बलूच लिबरेशन आर्मी द्वारा पाकिस्तानी फौजियों और खुफिया एजेंसी आईएसआई के सदस्यों से भरी ट्रेन हाईजैक किए जाने की घटना के पीछे भी भारत का हाथ बताया। पहले उसने इस घटना में अफगानिस्तान का हाथ बताया था और कहा था कि बलूच विद्रोही अफगानिस्तान में बैठे अपने आकाओं से निर्देश ले रहे थे। बाद में उसने भारत पर आरोप लगाया, जिसका भारत ने खंडन किया। विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि दुनिया जानती है कि आतंकवाद का केंद्र कहां है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम पाकिस्तान के किसी भी आरोप का खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ग्लोबल टेररिज्म का केंद्र है। पाकिस्तान अपनी अंदरूनी समस्याओं और नाकामियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराता रहता है। इससे बेहतर होगा कि वह खुद को देखे’।
असल में अलग देश की मांग कर रहे बलूच विद्रोहियों ने मंगलवार, 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया था। क्वेटा से पेशावर जा रही इस ट्रेन में बड़ी संख्या में पाकिस्तान फौजी और आईएसआई के सदस्य थे। बोलान इलाके में एक सुरंग के पास बलूच लिबरेशन आर्मी ने विस्फोट करके पटरी उड़ा दी और ट्रेन को हाईजैक कर लिया। करीब 36 घंटे के ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने ट्रेन को छुड़ा ली और 33 विद्रोहियों को मार गिराया। लेकिन वास्तविकता कुछ और लगती है क्योंकि पाकिस्तान ने दो सौ ताबूत घटनास्थल पर भेजे थे। एक चश्मदीद ने मीडिया के सामने दावा किया कि उसने 60 से 70 शव पाकिस्तानी फौजियों के देखे। बलूच आर्मी का दावा है कि उसने पाकिस्तान के एक सौ फौजियों को मार डाला। उसका यह भी दावा है कि आईएसआई और फौज के अनेक लोग अब भी उसके कब्जे में हैं। इस घटना ने पाकिस्तान की कमजोरियां दुनिया के सामने जाहिर कर दीं हैं। साथ ही इससे यह भी संदेश गया है कि वह बलूचिस्तान को जबरदस्ती सैनिक ताकत के दम पर ज्यादा समय तक कब्जे में नहीं रख सकता है।
पाकिस्तान हर हाल में बलूचिस्तान को अपने संपूर्ण नियंत्रण में लेना चाहता है। इसके पीछे पाकिस्तान का अपना लालच है तो चीन की भी नजर इस इलाके पर है। असल में अपनी भौगोलिक स्थिति और विशाल खनिज संपदा की वजह से बलूचिस्तान सामरिक और आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम में है और इसका क्षेत्रफल करीब साढ़े तीन लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। इस हिसाब से यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रदेश है। पाकिस्तान का 44 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र बलूचिस्तान में है, जबकि आबादी चार फीसदी से भी कम है। इस पूरे प्रदेश की जनसंख्या डेढ़ करोड़ के करीब है। बलूचिस्तान में तांबा, सोना, कोयला, यूरेनियम और अन्य खनिज भरे पड़े हैं। वहां की रेको दिक खान दुनिया की सोने और तांबे की सबसे बड़ी खदानों में से एक है। यह चगाई जिले में है, जहां 590 करोड़ टन खनिज होने का अनुमान है। एक अनुमान के मुताबिक वहां 40 करोड़ टन सोना छिपा है। जिसकी अनुमानित कीमत 174.42 लाख करोड़ रुपए तक बताई जाती है। चीन की नजर इस इलाके पर है। उसने पाकिस्तान को लाखों करोड़ रुपए का कर्ज दिया हुआ है और वसूली का एकमात्र रास्ता बलूचिस्तान की खनिज संपदा है।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय बलूच लोग स्वतंत्र देश के तौर पर रहना चाहते थे लेकिन उनको जबरदस्ती पाकिस्तान में शामिल करा लिया गया। आजादी के तुरंत बाद से इसका विरोध चल रहा है। अनेक संगठन स्वतंत्र देश के आंदोलन में शामिल हैं। उनमें से एक बलूच लिबरेशन आर्मी भी है। पाकिस्तान को आशंका है कि भारत अलग बलूचिस्तान के आंदोलन को समर्थन और मदद दे रहा है। अब इस बहस में जाने की जरुरत नहीं है कि भारत मदद दे रहा है या नहीं दे रहा है क्योंकि कूटनीति और सामरिक नीति में बहुत सी चीजें बताई नहीं जाती हैं। लक्ष्य हासिल हो जाने के बाद लोगों को अपने आप उनके बारे में पता चलता है। परंतु वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान की आर्थिक दुर्दशा और आतंकवाद व हिंसा से परेशान अनेक क्षेत्र उससे अलग होना चाहते हैं।
एक तरफ बलूचिस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरने का आंदोलन है तो दूसरी ओर सिंध में सिंधी राष्ट्रवादी आंदोलन जोर मार रहा है। सिंध के कई संगठनों ने बलूच संगठनों से हाथ मिला लिया है और पिछले ही साल दोनों ने साझा तौर पर कई हमले किए। वहां भी बलूचिस्तान की तर्ज पर ‘सिंधस्तान’ बनाने की मांग हो रही है। अलग होने के लिए छटपटा रहा तीसरा क्षेत्र पंजाब का है। यह पाकिस्तान का सबसे मजबूत और आर्थिक व राजनीतिक इलाका है। लेकिन चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी परियोजना को लेकर पंजाब में असंतोष है। वहां के लोगों का मानना है कि इसका पूरा लाभ बलूचिस्तान और सिंध को मिलेगा। चीन ने बलूचिस्तान और सिंध की प्राकृतिक संपदा के दोहन के हिसाब से ही यह परियोजना बनाई है। तभी यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान का विभाजन अवश्यंभावी है। बलूचिस्तान, सिंधस्तान और पंजाब अलग देश बन सकते हैं और तब पाकिस्तान के पास सिर्फ खैबर पख्तूनवा बचेगा। उतना ही इलाका पाकिस्तान माना जाएगा। यानी पाकिस्तान चार हिस्से में बंट सकता है।
इसी क्रम में पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी अलग होगा। पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी पीओके भारत का अभिन्न अंग है और देर सबेर वह वापस भारत का हिस्सा बनेगा। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा कि भारत को जोर जबरदस्ती पीओके पर कब्जा नहीं करना है, बल्कि वहां के लोग खुद ही भारत में शामिल हो जाएंगे। इसी से मिलती जुलती बात पिछले दिनों विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने कही। लंदन की यात्रा के दौरान उनसे कश्मीर समस्या के बारे में पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने भारत का जो हिस्सा चुराया है वह वापस लौटा देगा तो अपने आप समस्या का समाधान हो जाएगा। भारत इस मामले में कोई रियायत नहीं बरतने वाला है। कश्मीर समस्या का समाधान तभी होगा, जब पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत के पास आ जाएगा। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वास्तविकता यह है कि वहां लोग गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और हिंसा से त्रस्त हैं। वे स्वंय पाकिस्तान से छुटकारा पाना चाहते हैं। दूसरी ओर वे स्वाभाविक रूप से भारत के नागरिक माने जाएंगे क्योंकि पूरा जम्मू कश्मीर, जिसमें पाक अधिकृत कश्मीर भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग है।
(लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)