रोहित शेट्टी फिर अपने कॉप यूनिवर्स में लौट गए हैं। ‘सिंघम’ के बाद आईं ‘सिंघम रिटर्न’, ‘सिंबा’ और ‘सूर्यवंशी’ इसी यूनिवर्स का हिस्सा थीं। अब रोहित शेट्टी ने ‘सिंघम अगेन’ की शक्ल में रामायण पेश कर रहे है। इस फ़िल्म में रामायण जैसा कथानक है। इस फ़िल्म में आतंकवाद है, राष्ट्रवाद है, पाकिस्तान है, मुसलमान है और नया कश्मीर है, जहां अब पत्थरबाज़ी बंद हो गई है। नए भारत के नए दर्शकों को और क्या चाहिए?
परदे से उलझती ज़िंदगी
नितेश तिवारी जो रनबीर कपूर, साई पल्लवी और यश के साथ ‘रामायण’ बना रहे हैं, वह दो टुकड़ों में बनेगी और उसका पहला भाग 2026 में रिलीज़ होगा। लेकिन रोहित शेट्टी ने ‘सिंघम अगेन’ की शक्ल में अपने हिस्से की रामायण पेश भी कर दी है। उनकी इस फ़िल्म में रामायण जैसा कथानक है। बाकायदा रामायण के मंचन के दृश्य दिखा कर समझाया गया है कि किस कलाकार की भूमिका रामायण के किस पात्र का स्वरूप है। इस फ़िल्म में आतंकवाद है, राष्ट्रवाद है, पाकिस्तान है, मुसलमान है और नया कश्मीर है, जहां अब पत्थरबाज़ी बंद हो गई है। नए भारत के नए दर्शकों को और क्या चाहिए?
सर्कस के पिटने के बाद रोहित शेट्टी फिर अपने कॉप यूनिवर्स में लौट गए हैं। ‘सिंघम’ के बाद आईं ‘सिंघम रिटर्न’, ‘सिंबा’ और ‘सूर्यवंशी’ इसी यूनिवर्स का हिस्सा थीं। इन सबके मुख्य पात्र पुलिस अफसर थे जो यूनिवर्स की किसी भी फ़िल्म में कहीं भी आ-जा सकते हैं। इस बार ‘सिंघम अगेन’ में रोहित शेट्टी ने ‘सिंबा’ यानी रणवीर सिंह और ‘सूर्यवंशी’ यानी अक्षय कुमार के अलावा कुछ नए पात्र भी जोड़ लिए हैं। जैसे शक्ति शेट्टी (दीपिका पादुकोण) और सत्य बल (टाइगर श्रॉफ़)। वैसे फ़िल्म में जैकी श्रॉफ़ भी हैं और अर्जुन कपूर भी, जो कि विलेन हैं। एक बड़े आतंकवादी का पोता, जो अपने बाप और चाचा की मौत का बदला लेना चाहता है और जिसका ठिकाना श्रीलंका में है, वह करीना कपूर रूपी सीता का अपहरण कर लेता है। जाहिर है राम यानी अजय देवगन दल-बल सहित सीता को वापस लाने और इस दुष्ट को सबक सिखाने और उसका साम्राज्य नेस्तनाबूद करने चल देते हैं। और इस अभियान में लक्ष्मण, हनुमान, जटायु, सुग्रीव, गरुड़ इत्यादि अलग-अलग पात्रों की शक्ल में उनका साथ देते हैं। रोहित शेट्टी और पांच अन्य लोगों ने, यानी कुल छह लोगों ने मिल कर इसे लिखा है। इसी तरह डायलॉग लिखने में भी रोहित शेट्टी और मिलाप झावेरी सहित सहित कुल चार लोग लगे। यहां तक कि स्वानंद किरकिरे के लिखे एक गीत के बीस गायक हैं। यह कोई कोरस नहीं है। इन सभी को अलग-अलग पंक्तियां गाने को मिली हैं। इसलिए उनके नाम दिए गए हैं।
फ़िल्म के अंत में अपने बारह सेकेंड के कैमियो में चुलबुल पांडे यानी सलमान खान प्रकट होते हैं और ‘सिंघम’ को साथ आने का यानी भविष्य की ‘चुलबुल सिंघम’ टाइप किसी फ़िल्म का संकेत देते हैं। ध्यान रहे, चुलबुल पांडे सलमान की ‘दबंग’ श्रृंखला का नायक पुलिसवाला है। ‘दबंग’ के तीन संस्करण आए और तीसरे के बुरी तरह पिटने के बाद चौथे संस्करण की बात कहीं सुनाई नहीं दे रही। लगता है कि वहां चुलबुल के पास कोई काम नहीं बचा, इसलिए वे रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स का हिस्सा बन गए। इस यूनिवर्स के तमाम मुख्य पात्रों के नाम ‘एस’ से शुरू होते हैं। चुलबुल पांडे पहले होंगे जो इस क्रम को तोड़ेंगे। रोहित शेट्टी का हाल यह है कि उन्हें फ़िल्मों में जो भी पुलिसवाले की भूमिका में जंचने वाला कलाकार मिला उसे वे अपने यूनिवर्स में खींच लेते हैं। अगर आज जगदीश राज और इफ़्तिखार जीवित होते तो शायद वे भी इस यूनिवर्स का हिस्सा होते।
इसके साथ ही ‘भूल भुलैया 3’ रिलीज़ हुई जो अपनी श्रृंखला की तीसरी किस्त है। पहले संस्करण से ही दर्शकों में इसका क्रेज़ पैदा हो गया था जिसमें अक्षय कुमार, विद्या बालन और अमीषा पटेल थे और प्रियदर्शन का निर्देशन था। इसके पंद्रह साल बाद टी सीरीज़ वाले ‘भूल भुलैया 2’ लेकर आए जिसमें कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी और तब्बू को मुख्य भूमिकाएं मिलीं। अनीज बज़्मी के निर्देशन में बनी 2022 की इस फ़िल्म ने भी अच्छी कमाई की जिसके कारण दो साल बाद ही इसका तीसरा संस्करण आ गया। इसमें भी अनीज बज़्मी का निर्देशन है। ‘भूल भुलैया 3’ में कार्तिक आर्यन फिर से रूह बाबा यानी एक फ़र्ज़ी प्रेत साधक बने हैं और पूरे आत्मविश्वास से बने हैं। दूसरे संस्करण में भी उनकी यही भूमिका थी जिसमें वे एकदम फिट हो गए लगते हैं। अक्षय कुमार से शुरू हुई इस श्रृंखला के बाद के दोनों संस्करणों में कार्तिक आर्यन हीरो हैं। वैसे भी माना जाता है कि वे भविष्य के अक्षय कुमार हैं। उनके साथ तृप्ति डिमरी और माधुरी दीक्षित को भी अहम भूमिकाएं दी गई हैं और जिन विद्या बालन ने दूसरे संस्करण में काम करने से यह कह कर इन्कार कर दिया था कि सीक्वल नहीं चलेगा, वे अपनी बात गलत साबित होने पर इसके तीसरे संस्करण में लौट आई हैं।
‘भूल भुलैया 3’ में भी दो सौ साल पुरानी एक बंगाली हवेली अथवा महल है जिसमें एक कमरा है जो हमेशा बंद रहता है। मंजुलिका नाम की एक महिला की आत्मा उसमें बंद है जो बदला लेने पर उतारू है। कभी-कभी उसमें से किसी के गाने की या पायल की आवाज़ आती है। ‘भूल भुलैया 3’ बताती है कि किसी समय रक्तोघाट नामक रियासत के राजा ने इस महिला को जिंदा जलवा दिया था। अब यानी उसके दो सौ साल बाद ठग रूह बाबा को पैसे का लालच देकर तृप्ति डिमरी इस हवेली में ले आती हैं। वहां उसे नए-नए रहस्य पता चलते हैं। संदिग्ध गतिविधियों वाले विद्या बालन और माधुरी दीक्षित के पात्र रूह बाबा के पीछे पड़ जाते हैं। मगर अंत में सब कुछ बदल जाता है। ‘स्त्री 2’ की बड़ी सफलता ने वैसे भी देश में हॉरर कॉमेडी वाली फ़िल्मों के लिए नई उम्मीदें जगा दी हैं जबकि ‘भूल भुलैया’ श्रृंखला लोगों को पहले से ही पसंद आ रही है। इसीलिए ‘सिंघम अगेन’ की भारी-भरकम स्टार कास्ट के बावजूद ‘भूल भुलैया 3’ उसे टक्कर दे रही है।
‘सिंघम अगेन’ का बजट 300 करोड़ से ऊपर बताया जा रहा है जबकि ‘भूल भुलैया 3’ इसके लगभग आधे पैसे में पूरी हो गई। दोनों फ़िल्मों की दीवाली पर एकसाथ रिलीज़ को लेकर बाकायदा विवाद खड़ा हुआ। पहले ख़बर आई कि कार्तिक आर्यन ने अजय देवगन से यह गुजारिश की है कि वे ‘सिंघम अगेन’ को एक हफ्ते पहले या एक हफ्ते बाद रिलीज़ कर लें। अजय ‘सिंघम अगेन’ के सह-निर्माता भी हैं। लेकिन बात नहीं बनी और दोनों फ़िल्में एकसाथ रिलीज़ हुईं। फिर एक और विवाद खड़ा हुआ। ‘भूल भुलैया 3‘ के निर्माता कम स्क्रीन मिलने की शिकायत लेकर सीसीआई यानी कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ़ इंडिया पहुंच गए। शुरू में हालत यह थी कि ‘सिंघम अगेन’ को चौबीस घंटे में 5723 शो मिल रहे थे जबकि ‘भूल भुलैया 3’ को 4294 शो। सीसीआई से टी सीरीज़ वालों ने मांग की कि दोनों फ़िल्मों को आधी-आधी स्क्रीनें दिलवाई जाएं। शायद इसी का नतीजा था कि ‘भूल भुलैया 3’ को रात को ग्यारह बजे और फिर रात को तीन बजे के कुछ शो और मिल गए। फिर भी उसके कुल शो कम रहे। अब स्थिति यह है कि ‘भूल भुलैया 3’ के पास स्क्रीनें कम हैं तो शो भी कम हैं, फिर भी यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर ‘सिंघम अगेन’ से कड़ा मुकाबला कर रही है। ये दोनों फ़िल्में जिस तरह चल रही हैं उससे निश्चित ही हिंदी सिनेमा को इस साल हुए नुक्सान की काफी हद तक भरपाई होगी।
यह अलग बात है कि इन दोनों ही फ़िल्मों का स्तर बहुत हल्का है। लेकिन शायद हिंदी के दर्शक अब औसत दर्ज़े की फ़िल्मों को ही पसंद कर रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों में जितनी भी फ़िल्में बड़ी हिट मानी गई हैं उनमें अधिकतर का दर्ज़ा औसत से ऊपर नहीं था। न फ़िल्मकारिता में और न कथ्य में। जबकि इसी दौरान जो बेहतर फ़िल्में आईं वे पिट गईं। साफ़ है कि हम दर्शक के तौर पर क्या देखना पसंद कर रहे हैं।
वैसे इन दोनों फ़िल्मों के पीछे रीमेक की भी एक अलग ही कहानी छुपी हुई है। रोहित शेट्टी के कॉप यूनीवर्स की पहली फिल्म ‘सिंघम’ असल में 2010 की तमिल फ़िल्म ‘सिंघम’ का रीमेक थी। इस तमिल फिल्म का रीमेक केवल हिंदी में ही नहीं, बल्कि बंगाली में ‘शोत्रु’ नाम से, कन्नड़ में ‘केम्पे गौडा’ और फिर पंजाबी में भी ‘सिंघम’ के ही नाम से बना था। फिर जब 2014 में ‘सिंघम रिटर्न्स’ आई तो वह भी मलयाली फिल्म ‘एकलव्यन’ से प्रेरित थी। इसके बाद इसी यूनिवर्स की 2018 में आई ‘सिंबा’ भी 2015 की तेलुगु फ़िल्म ‘टेंपर’ का रीमेक थी। इसी तरह, पहली ‘भूल भुलैया’ 2007 में आई थी जिसे टी सीरीज़ ने प्रियदर्शन के निर्देशन में बनवाया था। वह अपने आप में एक मलयाली फ़िल्म ‘मणिचित्रथाझू’ का रीमेक थी। उसके बाद ‘भूल भुलैया 2’ भी मोहनलाल की एक मलयालम फ़िल्म ‘गीतांजलि’ का रीमेक थी। मतलब यह कि ‘सिंघम’ हो या ‘भूल भुलैया’, दोनों की शुरूआत दूसरी भाषाओं की फिल्मों के रीमेक से हुई थी, लेकिन अब वे हिंदी में एक बड़ी फ्रेंचाइज़ी बन चुकी हैं। कॉप यूनिवर्स की पांचवीं और ‘भूल भुलैया’ श्रृंखला की तीसरी फ़िल्म को भी हम हिट होते देख रहे हैं। यह है रीमेक का माया जाल।