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19-04-2025 Vol 19

राहुल के इस भाषण का क्या अर्थ?

भारतीय राजनीति में कई काम हैं, जो अब तक सिर्फ राहुल गांधी ने किए हैं। इन कामों के लिए कांग्रेस का इकोसिस्टम उनको साहसी, निडर, ईमानदार, सहिष्णु, उदार आदि बताता रहता है। उनके पिता दिवंगत राजीव गांधी ने भी कुछ ऐसे काम किए थे, जो उनसे पहले किसी ने नहीं किए थे और उनके बाद भी किसी ने नहीं किया। जैसे उन्होंने 1985 में ओडिशा में कहा था और बाद में भी कई बार दोहराया कि केंद्र सरकार दिल्ली से एक रुपया भेजती है तो सिर्फ 15 पैसा लाभार्थियों को मिलता है और बाकी 85 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। हो सकता है कि यह उनका ईमानदार आकलन हो लेकिन उसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस और आजादी के बाद उसके बनाए सिस्टम पर भ्रष्टाचार का आरोप ऐसे चिपका कि आज तक नहीं उतर सका है। आज तक भाजपा और दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेता राजीव गांधी के उस बयान की मिसाल देकर कांग्रेस को भ्रष्ट ठहराते हैं। यह भी अनायास नहीं है कि उस भाषण के बाद हर चुनाव में कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, ज्यादातर चुनावों में कांग्रेस हारी और केंद्र में तीन बार सरकार बनाई तब भी 1985 के बाद कांग्रेस को अपने दम पर कभी बहुमत नहीं मिला।

राहुल गांधी ने भी गुजरात में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा ही भाषण दिया है, जिसकी मिसाल आने वाले कई दशकों तक दी जाएगी। कांग्रेस को उसका जो नुकसान होगा उसकी अभी सिर्फ कल्पना की जा सकती है। राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात कांग्रेस के संगठन में दो तरह के लोग हैं। एक ऐसे लोग जिनके दिल में कांग्रेस है और दूसरे लोग जो कांग्रेस में रह कर भाजपा के लिए काम करते हैं। राहुल ने कहा कि ऐसे 30-40 लोगों की पहचान करक उनको बाहर करना होगा। अब सवाल है कि उन्होंने क्या अभी तक ऐसे लोगों की पहचान नहीं की है? अगर पहचान नहीं की है तो किस आधार पर कहा कि कुछ लोग भाजपा के लिए काम करते हैं? और अगर पहचान कर ली है तो उनको पार्टी से अभी तक निकाला क्यों नहीं है?

इस तरह की बातें कोई साधारण नेता करता है तो उसे अनुशासनहीनता माना जाता है और पार्टी फोरम पर बात रखने को कहा जाता है। लेकिन खुद सर्वोच्च नेता ऐसी बात कहे तो उसे क्या कहा जा सकता है? राहुल के इस बयान के बाद पंडोरा बॉक्स खुल गया है। उनके करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी के राजू, जिनको उन्होंने हाल ही में झारखंड का प्रभारी बनाया है, ने कहा कि राज्य में कांग्रेस का स्लीपर सेल भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है। सोचें, कांग्रेस का स्लीपर सेल भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है फिर भी भाजपा दो बार से हार रही है! असलियत यह है कि झारखंड में पूरी कांग्रेस जेएमएम के लिए काम करती है। जाहिर है प्रभारी का बयान सिर्फ अपने आका को खुश करने के लिए दिया गया है। ऐसे और भी बयान आएंगे।

जाहिर है, राहुल गांधी ने एक गढ़ी गई धारणा के आधार पर यह बात कही है। उन्होंने कोई होमवर्क नहीं किया है। वे और उनके सलाहकार मान रहे हैं कि इससे राहुल गांधी के बेबाक बोलने वाले नेता की छवि मजबूत होगी। माना जाएगा कि राहुल बहुत साहसी नेता हैं और अपनी पार्टी की कमजोरी बताने में भी नहीं हिचकते हैं। उनको यह भी समझाया गया होगा कि इससे भाजपा से लड़ने वाले नेता के रूप में उनकी छवि और मजबूत होगी। सो, उन्होंने बिना यह सोचे कि उनके इस बयान से देश भर के कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में क्या संदेश जाएगा और जनता कांग्रेस के बारे में क्या सोचेगी, राहुल गांधी ने बयान दे दिया। उनके बयान के बाद सोशल मीडिया में कांग्रेस इकोसिस्टम के लोगों ने उनकी वाहवाही शुरू कर दी। कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने कहा कि राहुल को अब सही फीडबैक मिली है। उन्होंने कहा कि वे भी जानती हैं कि कांग्रेस के कई लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। सोचें, यह बात मुमताज पटेल ने कही है, जिनके पिता अहमद पटेल के लिए कहा जाता था कि वे गुजरात भाजपा के नेताओं खास कर नरेंद्र मोदी के संपर्क में रहते थे।

बहरहाल, राहुल गांधी जब इस तरह के बयान देते हैं तो जज्बाती हो जाते हैं। उनका चेहरा तमतमा जाता है। अहमदाबाद के जेड हॉल में भी जब वे यह बयान दे रहे थे तो वे जज्बाती ही हो रहे थे। लेकिन जज्बाती होकर अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली बात करना कोई समझदार राजनीति नहीं है। ऐसा लग रहा है कि उन्होंने अपनी इस बात को तार्किक तरीके से देखा ही नहीं। राजनीति में यह कोई नई या अनोखी बात नहीं है कि किसी पार्टी के कुछ नेता दूसरी पार्टी के संपर्क में रहें। गुजरात में ही राहुल ने देखा कि कैसे उन्होंने जिन नेताओं को आगे बढ़ाया वे बाद में भाजपा के साथ चले गए। हार्दिक पटेल को कांग्रेस में लाकर उन्होंने क्या क्या पद नहीं दिया लेकिन हार्दिक बाद में भाजपा में चले गए। भाजपा के ही नेता शंकर सिंह वाघेला को कांग्रेस में लाकर केंद्रीय मंत्री बनाया गया और आईटीडीसी का चेयरमैन भी बनाया गया लेकिन वे फिर भाजपा में चले गए।

राहुल गांधी ने जिन अर्जुन मोडवाडिया को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया वे भी भाजपा में चले गए। यह सिर्फ गुजरात की परिघटना नहीं है। देश भर में राहुल गांधी ने जितने युवा नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाया या संगठन में बड़ा पद दिया उनमें से ज्यादातर भाजपा में चले गए हैं। क्या यह संभव नहीं है कि जब राहुल उनको बड़ा प्रमोशन दे रहे थे तब भी वे भाजपा के संपर्क में रहे हों? फिर क्या यह राहुल और उनके सलाहकारों की विफलता नहीं मानी जाएगी कि वे इसे पहले नहीं समझ सके या जानते बूझते ऐसा किया? दूसरे, क्या देश के दूसरे राज्यों में कांग्रेस के ऐसे नेता नहीं हैं, जो भाजपा के संपर्क में हों?

जहां तक गुजरात की बात है तो कांग्रेस वहां ऐसा क्या कर रही है, जो कांग्रेस के पदाधिकारी भाजपा को बता देते हैं और उससे कांग्रेस को नुकसान होता है? अगर गुजरात कांग्रेस के कुछ नेता भाजपा के लिए काम कर रहे हैं तो वह क्या काम कर रहे हैं? हकीकत यह है कि गुजरात में कांग्रेस के नेता जब कांग्रेस के लिए ही काम नहीं करते हैं तो भाजपा के लिए क्या काम करेंगे? यह बात भी खुद राहुल ने कही। उन्होंने कहा कि हमें यह कहने में शर्म नहीं है कि हम नाकाम रहे।

असल में अहमद पटेल से लेकर राहुल गांधी सहित सभी नेताओं ने कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा जोड़ कर पार्टी चलाने का प्रयास किया। राहुल ने ही अमित चावड़ा और परेश धनानी का प्रयोग किया, जो बुरी तरह से पिटा। राहुल ने हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी का प्रयोग किया लेकिन वह भी नहीं चला। तुषार भाई चौधरी, भरत सिंह सोलंकी, नारण भाई राठवा, अर्जुन मोडवाडिया, शंकर सिंह वाघेला से लेकर शक्ति सिंह गोहिल तक प्रयोग ही हो रहे हैं और अब राहुल गांधी कह रहे हैं कि कुछ लोग भाजपा से मिले हुए हैं।

कांग्रेस नेताओं के भाजपा से मिले होने का राहुल का बयान आत्मघाती है। इससे पंडोरा बॉक्स  खुलेगा और हर नेता अपने विरोधी को भाजपा का एजेंट बताएगा। इसी तरह पूरे देश में कांग्रेस के समर्थक सेकुलर मतदाताओं के लिए कांग्रेस के पदाधिकारियों पर यकीन करना मुश्किल होगा। बड़ी मुश्किल से मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस को मजबूरी में नहीं, बल्कि दिल से स्वीकार करना शुरू किया था। लेकिन राहुल ने सब गुड़ गोबर कर दिया। अब तक जो बात परदे के पीछे थी वह बात उन्होंने खुद ही बता दी। अब हर राज्य में कांग्रेस के पदाधिकारियों को संदेह की नजर से देखा जाएगा। लोग खुद ही तलाशेंगे और नेताओं को उनके बयानों या कामकाज या भाजपा नेताओं से सार्वजनिक, निजी कार्यक्रमों में मुलाकातों के आधार पर बताएंगे कि कौन नेता भाजपा से मिला हुआ है या भाजपा के लिए काम कर रहा है। जैसे मध्य प्रदेश के अध्यक्ष जीतू पटवारी को कुमार विश्वास की बेटी की शादी में शामिल होने के आधार पर भाजपा का एजेंट बताया जा रहा है और कार्रवाई की मांग की जा रही है। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के नेताओं को अब ऐसी बातें करने का लाइसेंस दे दिया है।

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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