नई दिल्ली। वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के पहले दिन वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कानून के खिलाफ दलीलें रखीं और कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं।
सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले पांच साल से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं’?
सिब्बल ने आगे कहा, ‘यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये तीन सौ साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है’। इस पर केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था।
सिब्बल और सुप्रीम कोर्ट के बीच वक्फ रजिस्ट्रेशन पर बहस
सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है’।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सिब्बल ने आगे कहा, ‘केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे।
यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं’। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें उदाहरण दीजिए। क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर हिंदू हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है?
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