नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने नई शराब नीति के मामले में उनको जमानत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब कम से कम तीन महीने तक उनको लगातार जेल में रहना होगा। तीन महीने के बाद ही अगर निचली अदालत में सुनवाई में देरी होती है तभी सिसोदिया फिर से जमानत की याचिका दायर कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए मामले की जल्दी सुनवाई करने को कहा है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के नेता सिसोदिया पर दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार और धन शोधन का आरोप है। उन्हें 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा- घोटाले से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं, जिनमें कुछ पहलू संदिग्ध हैं। इनमें 338 करोड़ रुपए का लेन-देन अस्थायी तौर पर स्थापित हुआ है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को भी निर्देश दिया कि निचली अदालत में छह से आठ महीने में सुनवाई पूरी करें। अगर सुनवाई में देरी होती है तो सिसोदिया जमानत के लिए तीन महीने में दोबारा अपील कर सकते हैं। इससे पहले 17 अक्टूबर को अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया। मनीष सिसोदिया को इस साल 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तब से वे हिरासत में हैं। ईडी ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े धन शोधन के केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट से पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 30 मई को सीबीआई केस में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उप मुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री होने के नाते, वे एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसके बाद तीन जुलाई को, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन यानी ईडी के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।