Friday

25-04-2025 Vol 19

रामदेव, बालकृष्ण को फिर फटकार

नई दिल्ली। पतंजलि समूह के बाबा रामदेव और बालकृष्ण को लगातार चौथी पेशी पर भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। भ्रामक विज्ञापन और अदालत की अवमानना के मामले में सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर दोनों को फटकार लगाई है और 30 अप्रैल को फिर से अदालत में हाजिर होने को कहा है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक माफीनामा ज्यादा बड़े साइज में अखबारों में छपवाने के लिए कहा है। असल में पतंजलि समूह की ओर से सोमवार को सार्वजनिक माफीनामा अखबारों में छपवाया गया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव को आदेश दिया कि वे बड़े साइज में पतंजलि माफीनामे का विज्ञापन फिर से जारी करें।

अदालत की फटकार के दौरान रामदेव ने नया विज्ञापन छपवाने की बात सुप्रीम कोर्ट से कही थी, जिसकी अदालत ने मंजूरी दे दी। रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि माफीनामा दायर किया गया है। इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि इसे कल क्यों दायर किया गया। हम अब बंडलों को नहीं देख सकते, इसे हमें पहले ही दिया जाना चाहिए था। बेंच के दूसरे जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने पूछा कि यह कहां प्रकाशित हुआ है, जिसका जवाब देते हुए मुकुल रोहतगी ने बताया कि 67 अखबारों में दिया गया है।

यह बताए जाने के बाद जस्टिस कोहली ने पूछा कि क्या माफीनामे के विज्ञापन का आकार पिछले विज्ञापनों के बराबर था? इस पर रामदेव के वकील ने माना कि माफीनामे का विज्ञापन उतना बड़ा नहीं है। हालांकि वकील ने कहा कि इस पर 10 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। हालांकि मंगलवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी के डॉक्टरों को भी फटकार लगाई और कहा कि वे भी अनाप शनाप दवाएं लिखते हैं।

मंगलवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि उसे एक आवेदन मिला है, जिसमें पतंजलि के खिलाफ ऐसी याचिका दायर करने के लिए आईएमए पर एक हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की मांग की गई है। इस पर रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। हालांकि अदालत ने कहा- मुझे इस आवेदक की बात सुनने दें और फिर उस पर जुर्माना लगाएंगे। हमें शक  है कि कहीं यह एक प्रॉक्सी याचिका तो नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार की सुनवाई में भ्रामक सूचनाओं पर कार्रवाई करने के नियमों में संशोधन करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से नाराजगी जताई।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *