नई दिल्ली। आखिरकार चार साल के बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए लागू कर दिया। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे लागू करने के लिए बनाए गए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी। इस कानून के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है और कहा कि जान बूझकर इसे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू किया गया है। citizenship amendment act
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नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद अब केंद्र सरकार 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत आए गैर मुस्लिम प्रवासियों यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। गौरतलब है कि यह कानून दिसंबर, 2019 में संसद में पारित हुआ था और राष्ट्रपति के दस्तखत से कानून बन गया था। लेकिन अभी तक ये कानून लागू नहीं हो सका था, क्योंकि इस पर अमल के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित नहीं किया गया था। citizenship amendment act
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दिसंबर 2019 में कानून बनने के बाद इसके बारे प्रचारित किया गया कि यह मुसलमानों की नागरिकता छीनने वाला कानून है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया था कि यह कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं बना है। हालांकि तब भी इसके खिलाफ देश भर में आंदोलन शुरू हो गए। राजधानी दिल्ली में भी कई महीने तक आंदोलन चला और कोरोना महामारी फैलने के बाद आंदोलन समाप्त हुआ। सबसे लंबा प्रदर्शन दिल्ली के शाहीन बाग में हुआ था। इसी प्रदर्शन के दौरान 2020 ने उत्तरी पूर्वी दिल्ली में दंगे हुए थे। citizenship amendment act CAA
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बहरहाल कानून बनने के बाद 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर अवधि में विस्तार प्राप्त करता रहा है। लेकिन पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू होने से को कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि ये देश का कानून है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इस कानून को लागू कर दिया जाएगा। citizenship amendment act CAA