नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा के विभिन्न पहलुओं की जांच और राहत व पुनर्वास को लेकर रिपोर्ट देने के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है। जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली तीन पूर्व जजों की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को तीन रिपोर्ट सौंपी है। इस मामले की आगे की सुनवाई 25 अगस्त को होगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सात अगस्त को इस मामले में सुनवाई करते हुए तीन पूर्व जजों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने दो हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।
इसके साथ ही जस्टिस गीता मित्तल की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मणिपुर के लोगों के जरूरी दस्तावेज खो गए हैं, उन्हें फिर से जारी किया जाए। रिपोर्ट पेश करने के बाद पूर्व जज जस्टिस मित्तल ने कोर्ट से कहा कि मुआवजा योजना में बदलाव किए जा सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। महिला जजों की कमेटी में जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रहीं गीता मित्तल अध्यक्ष हैं। उनके साथ रिटायर जज जस्टिस शालिनी पी जोशी और जस्टिस आशा मेनन ने मणिपुर में राहत और पुनर्वास पर रिपोर्ट तैयार की।
सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रिपोर्ट मिलने के बाद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में मदद मांगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि इन रिपोर्ट्स की कॉपी केस से जुड़े वकीलों को दी जाएगी, ताकि वे अपने सुझाव बता सकें। इस बीच दूसरी ओर कुकी संगठन कुकी इन्पी मणिपुर, केईएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि अकादमिक जगत से जुड़े उनके लोगों पर किए गए केस वापस लिए जाएं। प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में केईएम ने कहा है- हमारे कई स्कॉलर्स, लेखक और समुदाय के नेताओं को लगातार धमकी मिल रही है और उनका हैरेसमेंट किया जा रहा है।