मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने शिव सेना के विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ज्यादा महत्व नहीं दिया है। उन्होंने कहा जल्दबाजी में कोई भी काम करने पर उसके खराब होने की संभावना रहती है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में जल्दी फैसला करने को कहा है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए यह भी कहा था कि स्पीकर इस मामले को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते हैं।
इस पर महाराष्ट्र के विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने गुरुवार को कहा- मैं शिव सेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देर नहीं करूंगा, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी भी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा- जल्दबाजी करना मिसकैरेज ऑफ जस्टिस हो सकता है। मैं जो भी फैसला लूंगा, संवैधानिक होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के तीन दिन बाद स्पीकर ने मीडिया से यह बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को शिव सेना शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की थी। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि वे इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। उनको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने विधायकों की अयोग्यता और शिव सेना के नाम और चुनाव चिन्ह से जुड़े दोनों मामले पर सुनवाई की।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के अपने फैसले में एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला विधानसभा के स्पीकर पर छोड़ा था। लेकिन 11 मई के बाद से स्पीकर ने चार महीने तक कोई सुनवाई नहीं की। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध हुआ तब 14 सितंबर को स्पीकर ने दोनों पक्षों के विधायकों को बुला कर विधानसभा के सेंट्रल हॉल में सुनवाई की। असल में सुनवाई में देरी होने पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर फिर से विचार करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष मामले को जान-बूझकर टाल रहे हैं।