ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन और तेज हो गया है। पुलिस के साथ झड़प में अभी तक 115 से ज्यादा प्रदर्शनकारी मारे जा चुके है। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण बहाली के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हिंसा चल रही है। इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के जनरल सेक्रेटरी ओबैदुल कादर ने शुक्रवार, 19 जुलाई की देर रात कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हिंसा काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया गया है।
खबरों के मुताबिक हिंसा में अब तक कम से कम 115 लोग मारे गए हैं। हिंसा के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विदेश दौरा रद्द कर दिया है। वे 21 जुलाई को स्पेन और ब्राजील के दौरे पर जाने वाली थीं। बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक करीब एक हजार भारतीय छात्र अपने घर लौट आए हैं। ढाका यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक के लिए बंद दिया है। छात्रों को बुधवार तक हॉस्टल खाली करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि 1971 में बांग्लादेश के आजाद होने के बाद यहां 80 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया गया। इनके अलावा पिछड़े जिलों के लिए 40 और महिलाओं के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए सिर्फ 20 फीसदी सीटें रखी गईं। बाद में इसमें कुछ बदलाव हुए और सामान्य छात्रों के लिए 45 फीसदी आरक्षण कर दिया गया। शुरू में स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे, बेटियों को ही आरक्षण मिलता था लेकिन 2009 से इसमें पोते, पोतियों को भी जोड़ दिया गया। 2012 विकलांग छात्रों के लिए भी एक फीसदी कोटा जोड़ दिया गया। इससे कुल आऱक्षण 56 फीसदी हो गया।